जोशीमठ में जमीनों में आ रही दरारों को लेकर नई चिंता उठ खड़ी हुई है। अब डर यह है कि यदि जमीनों में आ रही दरारें परस्पर जुड़ी तो समस्या गहरा सकती है। सरकार दरारों के पैटर्न पर बारीकी से निगाहें बनाए हुए हैं। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि पूरे क्षेत्र में जमीन की दरारों के पैटर्न को लगातार जांचा जा रहा है। चिंता की बात है कि जोशीमठ में 44 नए मकानों में दरारे आई हैं। जबकि 17 नए मकान खतरनाक श्रेणी में आ गए। इस कारण क्षेत्र के लोगों में दहशत है।भू-धंसाव से जूझे रहे जोशीमठ में कई स्थानों पर जमीनों में दरारें भी उभरी है। कुछ स्थानों पर ये दरारें काफी गहरी हैं। बीते रोज दरारों की संख्या में एकाएक बढोतरी हुई है। इसे बढ़ोतरी की वजह से जोशीमठ में भूगर्भीय हलचल का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों के माथे पर भी बल डाल दिए हैं। रविवार को जोशीमठ पहुंचे आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव के सामने इस पहलू को रखा गया। सचिव ने बताया कि जमीनों में आ रही दरारों वाले क्षेत्रों का बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है।

ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित किया जा रहा है, जहां दरारें एक लाइन से विकसित हो रहा है। मनोहरबाग वाले क्षेत्र में यह ज्यादा है। इस कारण क्षेत्र के लेागों में भी दहशत है। जबकि शंकराचार्य मठ क्षेत्र में कुछ कम है। यदि दरारें परस्पर मिलती हैं तो यह चिंताजनक हो सकता है।  वर्तमान में सीबीआरआई, आईआईटी-रुड़की, वाडिया संस्थान, जीएसआई, आईआईआरएस और एनजीआरआई के विशेषज्ञ जोशीमठ के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं। सभी जोशीमठ में आ रही दरारों का विस्तार से अध्ययन कर रहे हैं।

44  मकानों में मिलीं दरारें, 17 और भवन खतरनाक

जोशीमठ में 44 नए मकानों में दरारे आई हैं। जबकि 17 नए मकान खतरनाक श्रेणी में आ गए। इस कारण क्षेत्र के लोगों में दहशत है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार दरार वाले मकानों की संख्या 826 हो गई है। जबकि असुरक्षित जोन के मकानों की संख्या 148 से बढ़कर 165 तक पहुंच गई। प्रशासन ने 10 और परिवारों को विभिन्न राहत केंद्रों में शिफ्ट किया गया है। जोशीमठ के विभिन्न राहत कैंपों में इस वक्त  798 लोग रह रहे हैं। (एएमएपी)