वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिकारियों ने कर चोरी के लिए ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों से एक लाख करोड़ रुपये की मांग करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को इसकी पुष्टि की। पिछले सप्‍ताह डेल्टा कॉर्प को 6,384 करोड़ रुपये के कर के कम भुगतान के लिए जीएसटी नोटिस मिला था, जो सितंबर में कंपनी को भेजे गए 16,800 करोड़ रुपये के कर नोटिस के ठीक बाद आया है। अन्य गेमिंग कंपनियां जिन्हें जीएसटी भुगतान में कमी के लिए ऐसे कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं, उनमें ड्रीम 11 और गेम्सक्राफ्ट शामिल हैं, जिन्हें 21 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत जीएसटी दर लागू करने की तारीख 1 अक्टूबर अधिसूचित की है। केंद्र सरकार ने राज्यों को स्पष्ट किया है कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर जीएसटी पूर्व प्रभाव से नहीं लगाया जा रहा है। कर नोटिस उन कंपनियों को दिये गये हैं जो सट्टेबाजी वाली ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ी हैं जिस पर पहले से ही 28 प्रतिशत जीएसटी लागू है।

केंद्र ने यह स्पष्टीकरण इसलिए दिया क्योंकि गोवा जैसे कुछ राज्यों ने दावा किया था कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर 28 प्रतिशत जीएसटी पूर्व प्रभाव से लगाकरर उन्‍हें नोटिस भेजे जा रहे हैं। कई ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को कथित तौर पर 55 हजार करोड़ रुपये की संचयी राशि के साथ जीएसटी चोरी करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

टैक्स दावा कितना?

12 सितंबर को, मुंबई स्थित ड्रीम 11 को जुआ और लॉटरी फर्मों के अनुरूप जीएसटी भुगतान करने को नोटिस मिला। इसने ड्रीम11 के वित्तीय वर्ष 2018 के 228 करोड़ रुपये के राजस्व के मुकाबले 217 करोड़ रुपये के कर का दावा किया, और वित्तीय वर्ष 2019 के 802 करोड़ रुपये के राजस्व के मुकाबले 1,006 करोड़ रुपये का कर दावा किया। नोटिस पाने वाली अन्य कंपनियों में बेंगलूरु की गेम्सक्राफ्ट और हेड डिजिटल वर्क्स शामिल हैं। जानकारों ने कहा कि गेम्स 24×7 को 20,000 करोड़ रुपये का शुरुआती नोटिस पहले ही भेजा जा चुका है और 5,000 करोड़ रुपये का नोटिस हेड डिजिटल वर्क्स को भी जा चुका है।

क्या कोई मामला बनता है?

डीजीजीआई का दावा है कि इन कंपनियों का कारोबार गलत व्यावसायिक श्रेणी में दिखाया गया है। उसके मुताबिक ये स्टार्टअप वास्तव में जुआ फर्म हैं न कि गेमिंग फर्म। एक शीर्ष गेमिंग फर्म के वकील ने कहा कि डीजीजीआई इस क्षेत्र पर केंद्र की नई 28% टैक्स रेट के आधार पर पिछली तारीख से दावे दायर कर रहा है। इन गेमिंग फर्मों ने अपनी शुद्ध कमाई के 18% (पिछली टैक्स रेट) पर टैक्स की गणना की है वहीं, डीजीजीआई की गणना संशोधित 28% के रेट पर आधारित है। कौशल आधारित खेलों वाले गेमिंग प्लेटफॉर्म में फिलहाल प्लेटफॉर्म शुल्क पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी दिया जा रहा है। पहली अक्टूबर से लागू होने जा रहे नए नियमों में कौशल या मौके के खेलों के बीच कोई
अंतर नहीं किया गया है।

इस अंतर की गणना कैसे की जा रही है?

यदि किसी गेमिंग स्टार्टअप को गेम खेलने के लिए उपयोगकर्ता से शुल्क के रूप में 100 रुपये मिलते हैं, तो वे ‘प्लेटफ़ॉर्म शुल्क’ के रूप में लगभग 10 रुपये कमाते हैं। नए टैक्स सिस्टम से पहले, स्टार्टअप इस 10 रुपये पर 1.80 रुपये यानी 18% जीएसटी का भुगतान कर रहे थे। नई कर व्यवस्था के तहत पूरे 100 रुपये पर 28% जीएसटी अनिवार्य है। इससे डीजीजीआई का टैक्स क्लेम 15 गुना बढ़ गया है।

गेमिंग उद्योग की प्रतिक्रिया: इस उद्योग के वकीलों इन कर दावों को अनुपातहीन करार दिया, क्योंकि मांग इन फर्मों के राजस्व से अधिक बन रही है। इन फर्मों को पहले के वर्षों के लिए दावे प्राप्त होने की संभावना है। एक ऑनलाइन गेमिंग फर्म के एक अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो अगस्त को 51वीं जीएसटी परिषद की बैठक के बाद पूर्वव्यापी दावों यानी पहले के राजस्व पर कर की देनदारी की सिफारिश नहीं की थी। फिलहाल ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां इन नोटिस को अदालतों में रिट याचिका के जरिये ही चुनौती दे सकती हैं। सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 73 या 74 के तहत भेजे गए कारण बताओ नोटिस के विरुद्ध रिट याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की जा सकती है।

इन दावों का कानूनी आधार क्या है?

गेमिंग उद्योग के वकीलों ने कहा कि ये दावे सरकार के वोडाफोन पर 11,218 करोड़ रुपये के पूर्वव्यापी कर दावे और 7,900 करोड़ रुपये के जुर्माने की याद दिलाते हैं। गेमिंग में, सुप्रीम कोर्ट सहित अदालतों ने कहा कि ये स्टार्टअप कौशल के खेल की पेशकश करते हैं, जो जुआ नहीं है। यही कारण है कि जुए के समान स्तर पर पूर्वव्यापी जीएसटी दावे पर बहस हो रही है। कौशल और अवसर के खेलों को अलग करने से गेम्सक्राफ्ट, ड्रीम11 और गेम्स24×7 जैसे स्टार्टअप को जुआ और लॉटरी संस्थाओं से अलग करने में भी मदद मिलेगी।  (एएमएपी)