गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा नेतृत्व द्वारा उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने से ऐन पहले पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत आठ नेताओं ने चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है। इसे राज्य में एक और बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जिससे सरकार विरोधी माहौल को चुनाव में कम से कम किया जा सके। साल भर इसके पहले भाजपा नेतृत्व में राज्य की पूरी सरकार को ही बदल दिया था।

भाजपा मुख्यालय में बुधवार रात लगभग आठ बजे पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शुरू हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह समेत भाजपा चुनाव समिति के सदस्य और गुजरात प्रदेश के प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया। बैठक देर रात तक चली, जिसमें उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिया गया। इसके एक दिन पहले गुजरात भाजपा के ग्रुप ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के साथ हर सीट पर चर्चा पूरी कर उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली थे। चूंकि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है इसलिए दोनों नेता हर सीट और उम्मीदवार पर पैनी नजर रखे हुए हैं।

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ये नेता नहीं लड़ेंगे

बैठक से पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, पूर्व मुख्यमंत्री नितिन पटेल, रुपाणी सरकार में मंत्री रहे छह और नेताओं प्रदीपसिंह जडेजा, भूपेंद्र सिंह चुडासमा, सौरभ पटेल, विभावरी दवे, बल्लभ काकड़िया और आरसी फलदू ने चुनाव न लड़ने की घोषणा की है। कुछ नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटील को इस संबंध में पत्र भी लिखा है। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के सामने भी चुनाव न लड़ने वाले इन नेताओं को लेकर चर्चा की गई।

रुपाणी ने कहा- नए लोगों के लिए मौका

विजय रुपाणी ने कहा कि मैंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, मैंने पांच वर्षों तक सभी के सहयोग से मुख्यमंत्री पद संभाला। इस बार के चुनाव में नए लोगों को मौका दिया जाना चाहिए। जिस भी शख्स को उम्मीदवार के रूप में चुना जाएगा, हम उसे जिताने के लिए काम करेंगे।

कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल

कांग्रेस के विधायक भगवान बराड़ ने बुधवार को विधायक पद तथा प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले छोटा उदयपुर से कांग्रेस विधायक मोहनसिंह राठवा ने भी पार्टी छोड़ दी थी।

सत्ता विरोधी माहौल कम करने की कोशिश

भाजपा नेतृत्व राज्य में ज्यादा से ज्यादा बदलाव कर रहा है, ताकि पिछले 27 साल से लगातार सत्ता में रहने के कारण सत्ता विरोधी माहौल को कम से कम किया जा सके। गौरतलब है कि भाजपा पिछले चार विधानसभा चुनाव में लगातार घटती रही हैं। पिछली बार बहुमत के आंकड़े से सात सीट ही ज्यादा हासिल कर पाई थी। ऐसे में भाजपा कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। भले ही राज्य में प्रमुख विरोधी कांग्रेस और दस्तक दे रही आम आदमी पार्टी का ज्यादा प्रभाव न हो। (एएमएपी)