एडीआर के राष्ट्रीय संयोजक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल वर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पिछली बार 2017 के चुनाव की तुलना में 2022 चुनाव के पहले चरण में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की संख्या 6 फीसदी बढ़ी है। 2017 में पहले चरण में 923 में से 137 उम्मीदवार (15 फीसदी) दागी थे, जो 2022 में बढ़कर 21 प्रतिशत हो गए। इस बार 89 सीटों पर 788 में से 167 उम्मीदवार दागी हैं। 2017 में गंभीर आपराधिक मामलों वाले 78 उम्मीदवार (8 फीसदी) थे, जो 2022 में 5 फीसदी बढ़कर 13 फीसदी (100 उम्मीदवार) हो गए हैं। इसके अलावा 9 उम्मीदवारों पर महिलाओं पर अत्याचार करने संबंधित मामले दर्ज हैं। सबसे चौंकाने वाली बात है कि राजनीतिक दल ने हत्या के आरोपितों को भी टिकट से नवाजा है। ऐसे तीन उम्मीदवार हैं जिन पर हत्या और 12 पर हत्या की कोशिश के मामले दर्ज हैं।
संयोजक अनिल वर्मा ने बताया कि राजनीतिक दलों ने 13 फरवरी 2020 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अनुपालन नहीं किया है। राजनीतिक दलों को एक राष्ट्रीय, एक स्थानीय समाचार पत्र, सोशल मीडिया के जरिए जनता को दागी उम्मीदवारों को चुनने, उनके अलावा कोई अन्य उम्मीदवार नहीं मिलने का कारण बताना अनिवार्य है। लेकिन, इन दलों ने जो कारण बताए हैं वे बेतुके और हास्यास्पद हैं। अधिकांश मामलों में कहा है कि उम्मीदवारों की लोकप्रियता जनता में अच्छी है। साथ ही उन्होंने सराहनीय सामाजिक कार्य किए हैं। आपराधिक मामलों पर वे सफाई देते हैं कि ये सभी दर्ज मामले राजनीति से प्रेरित हैं। एक तर्क यह भी दिया जाता है कि दागी उनके पार्टी के लंबे समय से कार्यकर्ता हैं। इतना नहीं गुजराती समाचार पत्र में भी यह जानकारी अंग्रेजी भाषा में दी गई, जिससे इसका उद्देश्य पूर्ण नहीं हो पाया।
गुजरात इलेक्शन वॉच की राज्य संयोजक पंक्ति जोग ने बताया कि एडीआर की मांग है कि जिन पर हत्या, दुष्कर्म, अपहरण, हत्या की कोशिश जैसे संगीन अपराध दर्ज हैं ऐसे उम्मीदवारों को हमेशा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित करनाचाहिए। 5 साल की सजा वाले अपराध में लिप्त उम्मीदवारों को कुछ समय के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। दागी उम्मीदवारों को टिकट देने वाले निर्देशों का लगातार उल्लंघन करने वाली पार्टियों को मिलने वाली कर राहत वापस लेनी चाहिए। उनका पंजीकरण रद्द करना चाहिए। (एएमएपी)