देश के कुल डायमंड एक्सपोर्ट्स में 80 फीसदी हिस्सेदारी

राज्य के गांधीनगर में 10 से 12 जनवरी 2024 में आयोजित हो रहे 10वें वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट की पूर्वार्ध के रूप में, राज्य सरकार 12 दिसंबर को सूरत में जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर एक सेमिनार आयोजित करेगी, जिसका उद्देश्य इस जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर के लिए रणनीति, दृष्टि और कार्य योजना से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं और प्रौद्योगिकी की भूमिका, और उद्योग के विकास में गुजरात के योगदान पर चर्चा करना है।गुजरात में 450 से अधिक ऑर्गनाइज़्ड ज्वैलरी मैन्युफैक्चर्स, इम्पोर्टर्स और एक्सपोर्टर्स हैं। गुजरात के सूरत, अहमदाबाद और राजकोट प्रमुख डायमंड क्लस्टर के रूप में उभरे हैं। इतना ही नहीं, सूरत डायमंड प्रोडक्शन में ग्लोबल पॉवर हाउस के रूप में उभरा है। आज दुनिया के 10 में से 8 हीरे गुजरात में प्रोसेस्ड होते हैं, जिससे भारत के कुल हीरा निर्यात में राज्य का योगदान 80 फीसदी हो जाता है।

अनुमान है कि गुजरात के 90 फीसदी हीरे सूरत और उसके आसपास प्रोसेस्ड होते हैं, जिससे 9 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है, जिससे इसे ‘हीरे से जगमगाता रेशमी शहर’ (‘सिल्क सिटी स्पार्कलिंग वीथ डायमंड्स’) भी कहा जाता है। हीरा उद्योग की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए, गुजरात सरकार ने सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) को आवासित करते हुए डायमंड रिसर्च एंड मर्केंटाइल (ड्रीम) सिटी की स्थापना की। एसडीबी, भारत का दूसरा हीरा व्यापार केंद्र बनने के लिए तैयार है, जो आकार में अमेरिका के पेंटागन से भी बड़ा है, जो 1,50,000 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है।

डायमंड प्रोडक्शन और मैन्युफैक्चरिंग में विशेषज्ञता वाला भारतीय हीरा संस्थान (आईडीआई) शिक्षा और कौशल विकास के प्रति सूरत की प्रतिबद्धता को दिखाता है। 32,000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षण देने के इतिहास के साथ, आईडीआई वैश्विक गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हीरा उद्योग की बदलती गतिशीलता को पहचानते हुए, गुजरात सरकार लैब-ग्रोन डायमंड (एलजीडी) क्षेत्र को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। जैसे-जैसे नेचुरल डायमंड्स की ग्लोबल सप्लाई घटेगी वैसे-वैसे लैब-ग्रोन डायमंड्स इस अंतर को पूरा करेंगे। गुजरात एलजीडी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए रीसर्च एंड डवलपमेन्ट सहयोग और स्किल डवलपमेन्ट सहित विभिन्न पहल का नेतृत्व कर रहा है। जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर का भविष्य बड़े खुदरा विक्रेताओं/ब्रांडों द्वारा संचालित होने की उम्मीद है, क्योंकि इस्टैब्लिश्ड प्लेयर्स मार्केट को गाइड करते है। सोने के आयात प्रतिबंधों में ढील और सोने की कीमतों के स्थिर होने से ज्वैलर्स के लिए वॉल्यूम ग्रोथ बढ़ने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, 5जी टेक्नोलॉजीस से लेकर मेडिकल प्रोसीजर्स तक लैब-ग्रोन डायमंड्स का भविष्य काफी उज्ज्वल दिखाई दे रहा है।

देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान

जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7 फीसदी का योगदान देता है। साथ ही देश के कुल व्यापारिक निर्यात का 15 फीसदी योगदान देता है। देश में डायमंड इंडस्ट्री 4.5 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोजगार देता है, जिससे यह रोजगार का महत्वपूर्ण स्रोत बन जाता है। इसकी क्षमता को पहचानते हुए केन्द्र सरकार ने इसे निर्यात प्रोत्साहन के लिए एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में नामित किया है।

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भारत ने डायमंड प्रोडक्शन के लिए ग्लोबल सेंटर के रूप में अपनी एक नई पहचान बनाई है। भारत वर्तमान में दुनिया के 75% पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात करता है, जिसका वित्तीय वर्ष 2022-23 में कुल निर्यात मूल्य 37.73 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। संयुक्त अरब अमीरात के साथ हाल ही में हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से निर्यात को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिसका लक्ष्य 52 अरब अमेरिकी डॉलर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। भारत के ज्वैलरी लैंडस्केप में गुजरात एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो विश्व के प्रोसेस्ड डायमंड्स की 72 फीसदी हिस्सेदारी रखता है।(एएमएपी)