2025-26 तक भारतीय मैन्युफैक्चरिंग मार्केट 1 ट्रिलियन डालर तक पहुंचने की क्षमता

मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात सरकार आगामी 10वें वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट की तैयारियों के अंतिम पड़ाव पर है। इस महत्वपूर्ण समय में गुजरात सरकार के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। कोलियर्स इंडिया ने भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ को लेकर एक विस्तृत स्टडी की है। इसमें उन्होंने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2025-26 तक भारतीय मैन्युफैक्चरिंग मार्केट 1 ट्रिलियन डालर तक पहुंच सकता है और इस उपलब्धि में सबसे अधिक योगदान गुजरात के रहने की संभावना है।अपनी स्टडी में कोलियर्स ने यह भी बताया है कि वर्ष 2023 में गुजरात ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सबसे अधिक निवेश हासिल किया है। “मोस्ट पिर्फर्ड डेस्टिनेशन फॉर मैन्युफैक्चरिंग” के मामले में गुजरात के बाद महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है और तमिलनाडु तीसरे स्थान पर है।

कोलियर्स इंडिया में एडवाइजरी सर्विसेस के एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर और हेड स्वप्निल अनिल ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की यात्रा में गुजरात के योगदान के बारे में बात करते हुए बताया, “नई औद्योगिक नीति के तहत, गुजरात विनिर्माण क्षेत्र के लिए लगभग 34.7 फीसदी प्रोत्साहन और लाभ आवंटित करता है, और जिसकी औसत सेटअप लागत अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है। यही कारण है कि गुजरात ने 2023 में घरेलू और विदेशी दोनों मैन्यूफैक्चरर्स से 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हासिल किया है। गुजरात में आने वाला यह निवेश राज्य के इंडस्ट्रियल फुटप्रिंट्स को मजबूत बनाएगा।”

बेरोजगारी दर सबसे कम

उन्होंने आगे बताया, “गुजरात में श्रमिक आबादी के बीच सबसे कम बेरोजगारी दर 4 फीसदी है और जो नए उद्योगों को अपने व्यवसाय स्थापित करने के लिए काफी आकर्षित करते हैं। इसके अलावा बंदरगाह, कनेक्टिविटी, स्थिर सरकार, सस्ती दरों पर भूमि की उपलब्धता, त्वरित निर्णय, श्रम उपलब्धता, व्यापार के लिए सहयोगात्मक माहौल और सहायक व्यापार नीतियों ने गुजरात को इस रेस में सबसे आगे बना रखा है।” वर्तमान में भी गुजरात देश का अग्रणी मैन्युफैक्चरिंग सेंटर है। यह स्टडी कहती है कि गुजरात की इस उपलब्धि के कई कारण हैं, जो नीतियों, संसाधनों और निवेश अनुकूल वातावरण के रणनीतिक संयोजन को दर्शाते हैं। इस स्टडी के अनुसार नीचे दिए जा रहे कारण भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की यात्रा में गुजरात के सर्वाधिक योगदान को सुनिश्चित करेंगे।

वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन : एक वैश्विक आर्थिक गठजोड़

पिछले दो दशकों से, वाइब्रेंट गुजरात समिट ने देश में सबसे महत्वपूर्ण निवेश कार्यक्रम के रूप में अपनी पहचान बनाई है। पर्याप्त निवेश प्राप्त करने और एमओयू की उच्चतम रूपांतरण दरों का दावा करते हुए, गुजरात सरकार का यह समिट वैश्विक आर्थिक सहयोग के लिए सर्वोच्च प्रतीकों में से एक है। इस समिट से राज्य सरकार ने वैश्विक स्तर पर औद्योगिक आवश्यकताओं को समझा और उसके अनुसार राज्य में सर्विसेस और इन्फ्रास्ट्रक्चर को डेवलप किया है। इस स्टडी के अनुसार गुजरात, 50 करोड़ रुपये की कैपिंग के साथ प्रोजेक्ट कॉस्ट के 40 फीसदी की लागत में कॉमन एनवायर्नमेंटल इन्फ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटीज की सुविधा प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, यह लैंड यूज कन्वर्जन के लिए रियायती दर प्रदान करता है जिससे निवेशक यहां निवेश करने के लिए आकर्षित होते हैं।

रणनीतिक एमओयू मजबूत मैन्युफैक्चरिंग साझेदारी

अपने सक्रिय दृष्टिकोण के प्रमाण में, 10वें वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के पूर्वार्ध में गुजरात ने पिछले 6 महीने में ही कई एमओयू किए हैं। अक्टूबर 2023 में हुए कई एमओयू में से केवल तीन एमओयू का सामूहिक मूल्य 3,000 करोड़ रुपये से अधिक है। यह दिखाता है कि गुजरात की प्रशासनिक शैली काफी प्रगतिशील है। ये एमओयू कपड़ा, औद्योगिक पार्क, इंजीनियरिंग और ऑटो उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों में फैले हुए हैं, जो क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। गुजरात की किफायती श्रम सुविधा और सहायक सरकारी नीतियां औद्योगिक विकास के लिए लाभ में परिवर्तित हो जाती हैं। राज्य में भूमि की दरें अन्य राज्यों की तुलना में कम हैं, यहाँ बहुत ही विशेष लास्ट-माइल कनेक्टिविटी और मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर जिसमें बंदरगाह, सड़क मार्ग और रेलवे शामिल हैं। इसके अलावा, गुजरात अपने समकक्षों की तुलना में अधिक आकर्षक दरों पर पानी, बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन प्रदान करता है।

विनिर्माण प्रभुत्व और प्रोत्साहन आवंटन

कोलियर्स ने अपनी स्टडी में यह पाया कि राज्य के एक्सपोर्ट पोर्टफोलियो में मैन्युफैक्चरिंग की महत्वपूर्ण 12.5 फीसदी हिस्सेदारी के साथ, गुजरात इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में अपनी शक्ति को रेखांकित करता है। गुजरात इंडस्ट्रियल कॉमन पॉलिसीज से कुल प्रोत्साहनों और लाभों का 34.7 फीसदी पर्याप्त मात्रा में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आवंटित करता है, जो मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ को गति देने की गुजरात की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इतना ही नहीं, गुजरात का प्रतिस्पर्धी औसत किराया (लगभग 18.5 रुपये प्रति वर्ग फुट प्रति माह) और आकर्षक पूंजी दरें (लगभग 16.50 मिलियन रुपये प्रति एकड़) राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे तुलनीय राज्यों से बेहतर हैं। राज्य की 1600 किमी लंबी तटरेखा, जिसमें कांडला, मुंद्रा, पिपावाव और हजीरा जैसे प्रमुख बंदरगाह हैं, जो गुजरात को 505 मिलियन टन के कुल कंटेनर थ्रूपुट के साथ एक लॉजिस्टिक पावरहाउस के रूप में स्थापित करता है।

एफडीआई बेहतर श्रम संबंध और सरकारी स्थिरता

गुजरात की अपील वैश्विक स्तर पर फैली हुई है। ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर, एफएमसीजी और आईटी में प्रसिद्ध उद्योगों ने गुजरात को प्राथमिकता दी है। इसी तरह, राज्य की श्रम शक्ति, कॉर्पोरेट हाउसेस और सरकार के बीच बेहतर सामंजस्य है जिस वजह से गुजरात में देश में सबसे कम हड़तालें होती हैं। इतना ही नहीं, पिछले छह टर्म से गुजरात की शासन स्थिरता, निवेशकों और डेवलपर्स के लिए एक अनुकूल और सुरक्षित वातावरण स्थापित करती है।

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भारत के विनिर्माण क्षेत्र में उभरते महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सेमीकंडक्टर, कृषि तकनीक, अपशिष्ट प्रबंधन विशेष रूप से ई-कचरा उन्नत प्रौद्योगिकियां, सस्टेनेबल प्रैक्टिसेस, इंडस्ट्री 4.0, स्थानीय विनिर्माण फोकस, एआई इंटीग्रेशन, 3डी प्रिंटिंग अपनाना और आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) संचालित प्रक्रियाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि उपरोक्त अधिकतर क्षेत्रों में गुजरात ने पहले से ही अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है और भविष्य में भी गुजरात अपनी इन विशेषताओं के बल पर भारत के मैन्युफैक्चरिंग मार्केट में सर्वाधिक योगदान कर्ता बनने का दावेदार बना रहेगा।

कोलियर्स, एक लीडिंग डायवर्सिफाइड प्रोफेशनल सर्विसेस और इन्वेस्टमेन्ट मैनेजमेंट कंपनी है जिसने भारत में निवेश और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लेकर हो रही दूसरी गतिविधियों पर अपनी स्टडी में यह विश्लेषण किया है।(एएमएपी)