मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आ गया है। गुरुवार को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने विवादित परिसर का सर्वे कराने के आदेश पारित किए। हिंदू पक्ष ने सर्वे एडवोकेट कमिश्नर के जरिए कराए जाने की मांग की थी। हालांकि एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति और सर्वेक्षण शुरू करने की तारीख पर फैसला नहीं हुआ है। हाईकोर्ट 18 दिसंबर को अगली सुनवाई में एडवोकेट कमिश्नर के जरिए सर्वेक्षण कराने की रूपरेखा तय करेगा।

क्या है शाही ईदगाह मस्जिद का विवाद?

हिंदू पक्ष का दावा है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे है। पूरा विवाद 13।37 एकड़ जमीन के मालिकाना का है। जमीन के 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनी है। 2।37 एकड़ हिस्सा शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। हिंदू पक्ष का दावा है पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि की है। इसलिए शाही ईदगाह मस्जिद की 13।37 एकड़ जमीन पर हिंदुओं को पूजा पाठ करने की इजाजत दी जाए। हिंदू पक्ष के मुताबिक काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर मस्जिद बनवाई थी। औरंगजेब के आदेश पर 1670 में मथुरा स्थित केशवदेव मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई।  शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। हिंदू पक्ष इस स्थल को भगवान कृष्ण की जन्मस्थली बताता है। 1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के हिंदू राजा को मस्जिद की जमीन का कानूनी अधिकार सौंप दिया था। 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाकर दोबारा भव्य मंदिर बनाने का फैसला लिया गया।

1968 में खुद ही मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता

1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन किया गया। कानूनी तौर पर संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था। इसके बावजूद उसने श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने 1964 में पूरी जमीन पर नियंत्रण के लिए एक सिविल मुकदमा दायर किया। लेकिन 1968 में खुद ही मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता कर लिया। समझौते के तहत मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ दी। बदले में मुस्लिम पक्ष को पास की जगह दे दी गई। इस तरह देखा जाए तो श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद की शुरुआत लगभग 350 साल पहले हो गई थी।

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद

अदालत ने बनारस की ज्ञानवापी के बाद अब मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद परिसर में सर्वे का रास्ता साफ कर दिया है। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम कर रही है। इस सर्वे की रिपोर्ट जल्द ही कोर्ट में दी जाएगी। ज्ञानवापी मस्जिद-गौरी श्रृंगार मंदिर विवाद में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर पूजा की अनुमति मांगी थी। सबसे पहले साल 1991 में ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदू पक्ष की तरफ से दावा सामने आया था। हिंदू पक्ष ने वाराणसी की कोर्ट में याचिका दायर कर ज्ञानवापी में पूजा पाठ की इजाजत मांगी थी।

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श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन पूजन की अनुमति मांगी

हाईकोर्ट ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन पूजन की अनुमति मांगी। महिलाओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वेक्षण कराने का आदेश पारित किया। दावा किया गया था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है। मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के दावे का खंडन किया। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि शिवलिंग नहीं फव्वारा है।(एएमएपी)