तोयज कुमार सिंह।

मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को दिल का दौरा पड़ने के बाद जिम के एक साथी ने मेरे मोबाइल पर मीम भेजा… ‘मोटापे से नहीं साहब जिम जाने से डर लगता है।’ ये मजाक नहीं था- ये डर था कि यार कहीं जिम में दिल का दौरा ना पड़ जाए। जिम सेहत बनाने की जगह है जान लेने की नहीं। मैं आपके मन से डर को तो निकाल दूंगा मगर मैं चाहता हूं कि उसकी जगह केयर और कंसर्न रहे। आपको ये पता रहे कि कहां रुकना है, कैसे अपनी बॉडी की आवाज को सुनना है, कैसे उसके सिग्नल को पकड़ना है।

 

बिना ज्यादा विज्ञान में गए एक बात आप समझ लें कि हाई इंटेसिटी ट्रेनिंग की कोई सीमा नहीं होती… मगर हर बॉडी की एक बॉर्डर लाइन होती है। कसरत में हमें उस लाइन तक स्ट्रेच करना होता है… और उसे धीरे-धीरे लांघना होता है। उसके पार अचानक कूदेंगे तो नुकसान उठाएंगे। ये फैक्ट तो सही है कि कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव और दक्षिण के महशूर अभिनेता पुनीत राजकुमार को जिम में कसरत के दौरान दिल का दौरा पड़ा। मैं डॉक्टर नहीं हूं मगर मैं इसके लिए जिम को जिम्मेदार नहीं मानता। हां, बॉडी की कंडीशन और उस पर पड़ने वाला लोड मामला बिगाड़ सकते हैं- ये बात सही है।

 

तो और बढ़ जाएगा ब्लड फ्लो

कसरत वैसे ही आपकी बॉडी में ब्लड फ्लो को बढ़ा देती है। इसमें भी अगर आप हाई इंटेसिटी वर्कआउट यानी हिट करेंगे तो ब्लड फ्लो और बढ़ जाएगा। इस कंडीशन में आपके दिल पर लोड बढ़ता है और अगर वो कमजोर हुआ तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। कई चीजें एक साथ मिलकर ऐसी कंडीशन पैदा कर सकती हैं, जिनमें दिल पर बहुत लोड पड़ सकता है जैसे सप्लीमेंट, हाई इंटेसिटी वर्कआउट और कमजोर दिल।

अगर आपने वर्कआउट से पहले कोक, कॉफी या रेड बुल जैसा ड्रिंक लिया है तो ये सभी ब्लड फ्लो तेज करते हैं। अगर कोई ऐसा सप्लीमेंट लिया है जिसमें एल आर्जिनाइन है तो इससे भी रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है। प्री वर्कआउट भी ये काम करता है और अगर फैट लॉस से जुड़ी कोई दवा चल रही है जैसे क्लीनब्यूट्रोल, तो वो भी ब्लड फ्लो तेज कर देती है। ये सब आपको इसलिए बता रहा हूं ताकि आपको समझ आ जाए कि क्या जोड़ना और क्या घटना है।

मैं तुरंत रुक गया

अभी चंद रोज पहले ही मैं सुबह के वक्त जिम गया तो खाली पेट ही करीब 7 ग्राम एल आर्जिनाइन और उसी में एक चम्मच कॉफी मिलाकर पी गया। इसके बाद मैंने लेग्स की ट्रेनिंग शुरू की। पहले सेट के बाद एक पार्टनर और जुड़ गया और उसने कहा चलो एक सेट बॉक्स जंप हो जाए। हम दोनों ने सेट शुरू कर दिया। पहले सेट में करीब आठ से दस जंप के बाद मुझे अपने दिल से धक-धक की जगह धड़ाम-धड़ाम की आवाज सुनाई देने लगी। मैं तुरंत रुक गया।

फ्लैश बैक में गया तो याद आया कि मैं एक साथ दो चीजें वो लेकर आया था जिनसे ब्लड फ्लो बढ़ जाता है और बॉक्स जंप हाई इंटेसिटी ट्रेनिंग का पार्ट है। मैंने उस कसरत को वहीं ड्रॉप किया। कूल डाउन हुआ, पानी पिया और फिर सिर्फ लाइट वेट के साथ आइसोलेट सेट किए और घर आ गया। ऐसा नहीं है कि एल आर्जिनाइन के साथ मैंने कॉफी पीकर कोई पाप कर दिया मगर उस दिन मेरी बॉडी शायद इसके लिए तैयार नहीं थी।

ऐसे बढ़ता है दिल पर लोड

आप काफी या प्री वर्कआउट पीकर निकले – ब्लड फ्लो बढ़ा।

आपने जिम में रनिंग शुरू की – ब्लड फ्लो और बढ़ा।

आपने रनिंग के दौरान ट्रेड मिल को इंक्लाइन कर दिया – और रक्त संचार बढ़ा।

अब इसमें आपने स्पीड को हाई कर दिया… दिल पर और लोड बढ़ा।

यानी आप 2 प्लस 2 प्लस 2 करते जा रहे हैं। वैसे ये गलत नहीं है। ट्रेनिंग ऐसी ही होती है, मगर सबका शरीर अलग- और सबकी ट्रेनिंग अलग- और सबकी लीमिट भी अलग होती है।

कोरोना को ना भूलें

जो मैंने पढ़ा मैं वो आपको बता रहा हूं। मैंने ऐसी कई स्टडी पढ़ीं जिनमें कहा गया है कि कोरोना ने दिल को कमजोर कर दिया है। एक मशहूर मैगजीन है नेचर। इसमें बड़ी रिसर्च छपती हैं। इसी की एक ताजा रिसर्च में मैंने पढ़ा कि कोरोना वायरस ने हमारे दिल की सुरक्षा दीवार को कमजोर कर दिया है। रिसर्च के मुताबिक, जो लोग कोविड की चलते आईसीयू में भर्ती हुए थे उनका दिल कम से कम एक साल के लिए गंभीर खतरे की जद में है। इन लोगों में दिल की सूजन का खतरा बीस गुना तक बढ़ गया है।

खतरा केवल उन्हीं लोगों को नहीं है, जो कोविड के चलते अस्पताल अथवा आईसीयू में भर्ती हुए। जो लोग घर पर रहकर ठीक हुए उनके दिल को खतरा बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे लोगों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा आठ गुना तक बढ़ गया है। कुल मिलाकर समझने वाली बात ये है कि कोविड ने दिल को कमजोर कर दिया है। हैवी एक्सरसाइज दिल पर लोड को बढ़ा देती है।

मैं खुद ये मानता हूं कि हमें इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए। पता नहीं ये कोरोना किसकी बॉडी को क्या नुकसान देकर गया है।

सबसे जरूरी बातें

  • अगर कोविड की वजह से आप अस्पताल में भर्ती हुए थे तो इस फैक्ट को पूरी तरह से नजरअंदाज ना करें।
  • अगर आपकी उम्र 40 प्लस है तो हमेशा ट्रेनिंग की शुरुआत धीमे करें। किसी कंपटीशन की तैयारी नहीं कर रहे तो आप शॉर्ट और हाई इंटेसिटी ट्रेनिंग की बजाए लंबी ट्रेनिंग करें।
  • समय-समय पर डॉक्टर से अपनी बेसिक जांच कराते रहें। खासतौर पर दिल की सेहत से जुड़ी जांच।
  • अगर आप पूरी तरह से फिट महसूस कर रहे हैं तब भी ट्रेनिंग को धीरे-धीरे ऊपर की ओर ले जाएं। शुरुआत योग आसनों से कर सकते हैं।
  • अपनी मेडिकल कंडीशन के बारे में कोच व जिम के साथियों को जरूर बताएं ताकि किसी इमरजेंसी में वो सही तरीके से मदद कर पाएं।
  • अगर गेनिंग या कटिंग के लिए कोई खास दवा ले रहे हैं तो उसके बारे में जरूर अपने पार्टनर को बताएं या उसे कहीं लिखकर रखें कि आप क्या खा या पी रहे हैं। कई बार आपकी तबीयत बिगड़ जाती है और डॉक्टर को ये पता ही नहीं चल पाता कि आपको क्या हुआ है। ये जानकारी जान बचाने के काम आती है।
  • ट्रेड मिल पर रनिंग करना इतना भी जरूरी नहीं है। आप मशीनों से आइसोलेट ट्रेनिंग करें। आइसोलेट ट्रेनिंग से मसल्स पर पूरा प्रेशर जाता है मगर दिल पर जोर कम पड़ता है। पिरामिड ट्रेनिंग करें- ये सेफ होती है। धीरे-धीरे इंटेसिटी बढ़ाएं और धीरे-धीरे नीचे आएं।
  • ध्यान रखें ये टिप्स एथलीट या कंपटीशन की तैयारी कर रहे लोगों के लिए नहीं हैं क्योंकि उनकी ट्रेनिंग तो हार्ड होगी। उनको अपनी लिमिट पुश करनी होगी। हां, मगर अपने दिल की आवाज उनको भी सुननी होगी। तभी गेम में टिके रहेंगे।

(हिंदुस्तान, दिल्ली में न्यूज़ एडिटर तोयज कुमार सिंह से बातचीत पर आधारित)