आपका अखबार ब्यूरो।
तमिल फिल्मों के सुपर स्टार रजनीकांत के बाद ऐसा लगता है कि तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की सहेली शशिकला को भगवान का संदेश मिल गया है। हालांकि उन्होंने अभी तक ऐसा कुछ कहा नहीं है। जेल में शशिकला की तबियत अचानक बिगड़ गई। जांच से पता चला है कि उन्हें कोरोना हो गया है। कुछ ही दिन में उनकी रिहाई होने वाली थी। उनकी पार्टी उसी के मुताबिक तैयारी कर रही थी।
बीमारी से चुनावी तैयारी गड़बड़ा गई
शशिकला आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में इस समय बंगलुरु की जेल में हैं। जनवरी के आखिरी हफ्ते में उनकी रिहाई होने वाली है। चर्चा यह थी कि उनके बाहर आते ही तमिलनाडु और खासतौर से अन्ना द्रमुक की राजनीति में उथल पुथल होगी। कयास इस बात के लग रहे थे कि उनकी पार्टी का अन्ना द्रमुक में विलय होगा या दोनों पार्टियों में सीटों का तालमेल होगा। उनकी बीमारी से शशिकला की पार्टी की सारी चुनावी तैयारी गड़बड़ा गई हैं। उनके खास सिपहसालार दिनकरन ने अचानक मौन धारण कर लिया है। किसी को पता नहीं है कि शशिकला को अस्पताल से कब छुट्टी मिलेगी।
अन्ना द्रमुक में वापसी संभव नहीं
बीमारी की खबर आते ही मुख्यमंत्री ई के पलनिसामी ने कहा कि शशिकला का अब अन्ना द्रमुक में वापस आना संभव नहीं है। पलनिसामी जानते हैं कि शशिकला के पार्टी में आने का मतलब होगा उनके लोगों को अहम पद देना। उससे भी बड़ी समस्या यह है कि दोनों दलों के विलय के बाद मुख्यमंत्री पद का मुद्दा भी खुल जाएगा। पलनिसामी चाहते हैं कि चुनाव से पहले पार्टी उनके मुख्यमंत्री बने रहने पर मुहर लगा दे। याद रहे उप मुख्यमंत्री ई पनीरसेल्वम राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जयललिता को आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में जेल जाना पड़ा था तो उन्होंने पनीरसेल्वम को ही मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी थी।
अन्ना द्रमुक-भाजपा गठबंधन का मामला
अन्ना द्रमुक और भाजपा के बीच गठबंधन का मामला भी अभी फाइनल नहीं हुआ है। अन्ना द्रमुक की ओर से पिछले दिनों एक अजीब सा बयान आया कि भाजपा से समझौता हुआ पार्टी फिर से सत्ता में आई तो भाजपा को सरकार में शामिल नहीं करेगी। भाजपा की ओर से इसकी तीखी प्रतिक्रिया आई। दरअसल अन्ना द्रमुक अभी तक इस बात आकलन नहीं कर पाई है कि भाजपा से गठबंधन से उसे चुनाव में फायदा होगा या नुक्सान। तमिलनाडु में भाजपा की छवि उत्तर भारत की हिंदी भाषी पार्टी की छवि है। अन्ना द्रमुक नेताओं को लगता है कि भाजपा से समझौता करने पर द्रमुक भाषा के मुद्दे को जोर शोर से उठाएगी।
पहला चुनाव जिसमें करुणा निधि, जयललिता नहीं होंगे
द्रमुक नेता करुणा निधि और अन्ना द्रमुक की नेता जयललिता के राजनीति में आने के बाद से यह पहला चुनाव होगा जब इन दोनों नेताओं की चुनाव में भौतिक उपस्थिति नहीं होगी। राज्य की जनता ने भी अभी तक कोई स्पष्ट संदेश नहीं दिया है। डेढ़ साल पहले हुए लोकसभा चुनावों के साथ ही राज्य में विधानसभा की सीटों के लिए भी उप चुनाव हुए। लोकसभा में लोगों ने अन्ना द्रमुक का सफाया कर दिया। पर विधानसभा में अन्ना द्रमुक को इतनी सीटें जिता दीं कि सरकार बच गई।