“पंच प्रण” पर आधारित “दीपोत्सव- पंच प्रण” कार्यक्रम का शुभारंभ 20 अक्तूबर, गुरुवार को नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में अपराह्न 4 बजे चाक पूजन के साथ हुआ। फिर स्वस्ति वाचन और सरस्वती वंदना हुई। इस मौके पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि यह अमृत काल की पहली दिवाली है। यह अवसर उत्साह, उल्लास और उमंग का है, साथ ही संकल्प का भी है। 2022 से 2047 तक के 25 वर्ष अमृत काल हैं। यह सिर्फ दीप जलाने का उत्सव नहीं है, बल्कि संकल्प का एक दीया अपने अंदर जलाने का भी पर्व है।
“औपनिवेशिकता से मुक्ति” विषय पर बोलते हुए अयोध्या के “हनुमान निवास” के महंत आचार्य मिथलेशनंदिनी शरण जी महाराज ने कह कि जब हम एक व्यक्ति की तरह, एक भारतीय की तरह अपने स्व को पहचानेंगे, अपनी दुर्बलताओं से आप ही निपटने के लिए डट कर खड़े हो जाएंगे, तो कोई व्यक्ति अथवा कोई सरकार अथवा कोई सत्ता हमें उपनिवेश बना करके अपनी स्वतंत्रता बेचने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगी और तभी हमारा प्रकाश पर्व होगा। इस सत्र की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय ने की और धन्यवाद ज्ञापन हिन्दुस्थान समाचार के अध्यक्ष श्री अरविंद भालचंद्र मार्डीकर ने किया।
सायं 5.30 बजे से बनारस घराने की सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका पद्मश्री सोमा घोष ने अपने अद्भुत शास्त्रीय गायन से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। मंत्रमुग्ध कर देने वाले इस सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रसिद्ध भोजपुरी लोक गायिका सुश्री चंदन तिवारी ने चरखा गीत से समां बांध दिया, तो सुप्रसिद्ध बाउल गायक मधुसुदन बाउल अपने बाउल वादन से श्रोताओं को एक अलग ही दुनिया में ले गए।
दूसरे दिन 21 अक्तूबर को कार्यक्रम की शुरुआत पूर्वाह्न 11.30 बजे होगी। इस दिन तीन विषयों “विकसित भारत”, “संस्कृति और धरोहर” तथा “नागरिकों में कर्तव्य भावना” विषय पर व्याख्यान होंगे। पहले सत्र के प्रमुख वक्ता होंगे केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान और सुप्रसिद्ध रामकथा वाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज। शाम 5.30 बजे से सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका सुश्री सुनंदा शर्मा और भजन गायक श्री कुमार विशु गायन प्रस्तुत करेंगे तथा रंगमेल द्वारा दीप नृत्य और आर्यभट्ट कॉलेज द्वारा बांस नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा।