उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने दिया बयान
गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है
शिक्षामंत्री ने कहा कि अंग्रेजों के इतिहास को कांग्रेस ने जारी रखा। लेकिन नरेंद्र मोदी के पीएम बनते ही हमने शिक्षा में बदलाव किया है। अब हम इतिहास भी बदलेंगे। हमारे इतिहास के पन्नों में अब महाराणा प्रताप महान होंगे, चंद्र गुप्त महान लिखे जाएंगे। हम तथ्यों के आधार पर स्कूल और कॉलेज की किताबों में इसे सम्मिलित करेंगे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने हमारे देश के 7 लाख स्कूल और कॉलेज बंद किए थे, अंग्रेजों के समय हमारे पूर्वजों को अशिक्षित कहके अपमानित किया जाता रहा है, इतिहास के पन्नों में हमारे पूर्वजों को लुटेरा अपराधी बताया गया, गलत इतिहास पढ़ाया जाता रहा है, हम किताबों में बदलाव करेंगे।
अब महाराणा प्रताप, विक्रमादित्य और चंद्रगुप्त का इतिहास पढ़ाया जाएगा
इंदर सिंह ने कहा कि केवल अंग्रेजों ने ही नहीं, कांग्रेस ने भी 70 साल तक गलत तथ्यों के आधार पर वही इतिहास पढ़ाने का काम किया। पीएम मोदी के नेतृत्व में चार साल के मंथन के बाद 2020 में पूरी शिक्षा की व्यवस्था को बदलने का काम किया। अब इतिहास भी सही करेंगे। इतिहास के पन्नों पर आक्रमणकारी महान नहीं लिखा जाएगा, इतिहास के पन्नों पर लुटेरा महान नहीं लिखा जाएगा, अब इतिहास के पन्नों पर तो महाराणा प्रताप ही महान लिखा जाएगा, इतिहास के पन्नों पर विक्रमादित्य महान लिखा जाएगा, चंद्रगुप्त ही महान लिखा जाएगा, सिकंदर महान नहीं होगा, अकबर महान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हम भारत के गौरवशाली इतिहास को स्कूल-कॉलेज की किताबों में शामिल करने जा रहे हैं।
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केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी कर चुके बदलाव की बात
बता दें कि केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इतिहास की किताबों में बदलाव की बात कर चुके हैं। उन्होंने एजेंडा आजतक 2023 कार्यक्रम के सेशन में कहा था कि हमारा इतिहास सिर्फ मुगलों से ही नहीं जुड़ा बल्कि उसमें कई ऐसे तथ्य हैं, जिनके बारे में हम नहीं जानते। इसलिए ये जरूरी है कि हम अपने बच्चों को उसके बारे में भी पढ़ाएं। उन्होंने आगे कहा था कि हमारा इतिहास आज भी मैकाले पद्धति के षडयंत्र में फंसा हुआ है, जिसे हमें बदलना होगा। उन्होंने बताया कि ईरान में भी भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की किताबों का अनुवाद करके पढ़ा जा रहा है। हमारे देश में कुछ लोग 21वीं सदी में भी मैकाले पद्धति से जी रहे हैं। लेकिन हमारा भारत एक प्रजातांत्रिक देश है इसलिए हमें पूरा अधिकार है कि हम अपनी शिक्षा नीति में जरूरी बदलाव करें।(एएमएपी)