आर्यभट्ट का निर्माण पूरी तरह भारत में ही किया गया था, लेकिन तब भारत के पास उपग्रह लॉन्च करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं थे। इसके लिए भारत ने सोवियत संघ से समझौता किया। समझौता यह हुआ कि सोवियत संघ भारत के सैटेलाइट को अपने रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में लॉन्च करेगा, बदले में भारत, सोवियत संघ को अपने बंदरगाहों का इस्तेमाल जहाजों को ट्रैक करने के लिए करने देगा।
भारत ने आर्यभट्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च तो कर दिया, लेकिन चार दिन बाद ही कुछ गड़बड़ियां सामने आने लगीं। पांचवें दिन सैटेलाइट से संपर्क टूट गया। 17 साल बाद 10 फरवरी, 1992 को उपग्रह पृथ्वी के वातावरण में वापस लौट आया। आर्यभट्ट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करना भारत और सोवियत संघ दोनों के लिए बड़ी उपलब्धि थी। रिजर्व बैंक ने इस ऐतिहासिक दिन को सेलिब्रेट करने के लिए 1976 और 1997 के 2 रुपये के नोट पर सैटेलाइट की तस्वीर भी लगाई। देश के पहले सैटेलाइट आर्यभट्ट को महान खगोलविद् और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था।(एएमएपी)