स्वामी ओमा द अक्क।
गुरु और शिक्षक बहुत अलग अलग चीज हैं।
शिक्षक वह बताता है जो उसने सुना है। जो उसको मिला है किसी अन्य के द्वारा। गुरु वह बताने में सफल हो जाता है जो उसे मिला था उसकी अपनी ही खोज में।
गुरु, सत्ता और महानता
महान व्यक्ति वो नहीं होता जो बहुतों की सामर्थ्य और शक्ति से सत्ता प्राप्त करता है। महान व्यक्ति हो वो होता है जिसकी सत शक्ति और सामर्थ्य से बहुत सारे लोग सत्ता प्राप्त करते हैं। ये अंतर होता है।
गुरु की शक्ति और सामर्थ्य से अनेक लोग सत्ता को प्राप्त करते हैं। एक शंकराचार्य ने कितनों को सत्ता दिला दी। एक बुद्ध ने कितनों को सत्ता दिला दी। एक महावीर ने कितनों को सत्ता दिला दी। एक मोहम्मद ने कितनों को सत्ता दिला दी। वे हैं वास्तविक महान। इसलिए भारत में महानता बड़ी चुन करके दी जाती है।
अगर भारत में अलेक्जेंडर पैदा होता तो व्यास उसे असुरों में रखता, दैत्यों में रखता, राक्षसों में रखता। जैसे उसने जरासंध को बड़ी ही हेय दृष्टि से देखा… हटाओ इसको। अगर जरासंध यूनान में पैदा हुआ होता तो कोई अलेक्जेंडर उसके मुकाबले में खड़ा नहीं होता। यह अंतर है पूर्व और पश्चिम के बीच में।
धर्म बदलने के लिए तलवार की जरूरत नहीं
जिस दिन तुम्हारी भाषा बदलेगी- उस दिन तुम्हारे उदाहरण बदल जाएंगे।
जिस दिन तुम्हारे उदाहरण बदल जाएंगे- उस दिन तुम्हारे तर्क बदल जाएंगे।
जिस दिन तुम्हारे तर्क बदल जाएंगे- उस दिन तुम्हारा न्याय बदल जाएगा।
जिस दिन तुम्हारा न्याय बदल जाएगा- उस दिन तुम्हारा विधान बदल जाएगा।
जिस दिन तुम्हारा विधान बदल जाएगा उस दिन तुम्हारा राष्ट्र बदल जाएगा।
जिस दिन तुम्हारा राष्ट्र बदल जाएगा उस दिन तुम्हारी संस्कृति बदल जाएगी।
…और जब तुम्हारी संस्कृति बदल जाएगी उस दिन तुम्हारा धर्म बदल जाएगा।
समझ के रखना तुम्हारे धर्म को बदलने के लिए किसी तलवार की जरूरत नहीं है। तुम्हारी भाषा का इतिहास इसकी गवाही देता है।
(लेखक आध्यात्मिक गुरु हैं)