समीर उपाध्याय,ज्योतिर्विद।
आखिर वह कौन सी सिद्धि है जिसके बल पर बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री किसी व्यक्ति के सामने आते ही उसके बारे में जानकारी देना शुरू कर देते हैं। उसका नाम, उसके परिजनों का नाम, वो क्या करते है। और यहां तक वो किस काम लिए आया है, ये तक बता देते हैं। इन दिनों इस चमत्कार को देखकर लोग हैरान हैं।

कान में बता देती है अलौकिक ताकत

पंडित धीरेन्द्र शास्त्री जिस विद्या से लोगों की पर्ची बनाकर समस्या का निराकरण करने का प्रयास करते है, दरसअल इस विद्या को कर्ण पिशा​चिनी सिद्धि कहते हैं। तंत्र साधना के बल पर कर्ण पिशाचिनी सिद्धि प्राप्त की जाती है, जिसमें हर सवाल का जवाब एक अलौकिक ताकत कान में आकर बता देती है। ये जबाव सिर्फ उसी को सुनाई देता है जिसके पास ये विद्या होती है। इस विद्या को कर्ण पिशाचिनी विद्या के नाम से जाना जाता है।

अत्यंत कठिन साधना

इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद आप किसी अलौकिक ताकत से जब चाहे संपर्क साध सकते हैं। कर्ण पिशाचिनी सिद्धि को प्राप्त करने के लिए काफी कड़ी तपस्या करनी पड़ती है। अत्यंत कठिन साधना से होकर गुजरना होता है। लेकिन अगर एक बार इस सिद्धि को प्राप्त कर लिया जाए तो आप किसी दिव्य शक्ति से जब चाहे बात कर सकते हैं।

सिर्फ पर्ची बनाने तक सीमित

पंडित धीरेन्द्र शास्त्री इस विद्या से पर्ची बनाने का कार्य करते हैं। इसके आगे का कार्य- अर्थात समस्या का समाधान- बागेश्वर धाम के हनुमान जी तथा अपने गुरु का आशीर्वाद और भारतीय ज्योतिष शास्त्र की ग्रह-दोष निवारण उपायों के माध्यम से करते हैं। जी हाँ, इन दोनों अलग अलग या परस्पर विरोधी दिखाई देने वाली शक्तियों को एक साथ साधने का चमत्कार कम उम्र का अविवाहित साधक अपनी ईमानदार साधना के माध्यम से कर सकता है।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य के शिष्य

पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सम्बंध बागेश्वर धाम से है। बागेश्वर धाम मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। यहां गढ़ा गांव के बागेश्वर धाम में हर मंगलवार और शनिवार को उनके भक्तों का विशाल मेला लगता है। मेले में हजारों लोग उमड़ते हैं।
धीरेन्द्र जगद्गुरु रामभद्राचार्य के शिष्य हैं। वह वर्तमान में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक हिंदू तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर और प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। उनके दादाजी का नाम भगवान दास गर्ग है। पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के दादाजी निर्मोही अखाड़े से जुड़े हुए हैं। पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अपने दादाजी को ही अपना गुरु मानते हैं।

सनातन संस्कारों का प्रचार प्रसार

सरयूपारीण ब्राह्मण कुल में जन्मे धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सनातन संस्कार के प्रचार- प्रसार हेतु अपने सिद्धि एवं सद्बबुद्धि  का इस्तेमाल कर बढ़िया प्रयास कर रहे हैं। धीरेन्द्र जब तक अपने विवेक का प्रयोग कर सनातन संस्कारों का प्रचार प्रसार करते रहेंगे तब तक उनकी चमत्कारी छवि बनी रहेगी। किंतु धीरेन्द्र शास्त्री ध्यान रखें राजनीति करना या राजनेताओं की यारी और वायुयान के छत पर बैठकर सवारी एक समान होती है।
(लेखक प्रख्यात ज्योतिषी हैं)