शिवचरण चौहान
दुनिया भर में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं। यह बहुत चिंताजनक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया भर में भयंकर रूप से हो रहा कार्बन उत्सर्जन प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण वज्रपात की घटनाएं दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम तक आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं पहले से बहुत बढ़ी हैं। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि जब वातावरण में कार्बन ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है तो आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में 32 प्रतिशत का इजाफा हो जाता है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस बात से चिंतित हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण आसमानी आपदाएं ज्यादा आने वाली हैं। तेज तूफान, वज्रपात, बादल फटना, बाढ़ और सूखा पिघलते ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन के कारण ही प्रभावित हो रहे हैं।
मौतों की संख्या में बढ़ोतरी
अब तक दुनिया में आसमानी बिजली गिरने से है प्रतिवर्ष 24 हजार से अधिक लोग मारे जाते थे और हजारों लोग विकलांग हो जाते थे किंतु 2021 से मौतों की संख्या में इजाफा देखा गया है। जानवरों, वृक्षों और इमारतों पर भी बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होने लगी हैं। सन 2007 में झारखंड की राजधानी रांची के एक स्कूल में आकाशीय बिजली गिरी थी जिसमें 7 बच्चे असमय मौत के गाल में समा गए थे। वैसे तो झारखंड और उड़ीसा में पहले से ही बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती रही हैं पर साल दर साल इस विभीषिका का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि झारखंड में खनन और भू चुंबकीय क्षेत्र में असंतुलन के कारण वज्रपात की घटनाएं अधिक होती हैं।
सबसे बड़ा वज्रपात का केंद्र
अफ्रीका का कांगो क्षेत्र दुनिया का सबसे बड़ा वज्रपात का केंद्र है। कांगो के एक गांव में प्रति वर्ग किलोमीटर 158 बार बिजली गिरती है। अफ्रीका में तो 1998 मैं फुटबॉल खेल रही एक टीम पर बिजली गिरी थी जिसमें 11 खिलाड़ी तत्काल मौत के मुंह में समा गए थे। ब्राजील सिंगापुर और वेनेजुएला में सबसे ज्यादा बिजली गिरती है। यहां की सरकारों ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अनेक उपाय किए हैं। पर भारत में इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कोई शोध नहीं कराया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली गिरने से हुई जनहानि पर 4 लाख प्रति व्यक्ति मृतक के परिवार को देने की घोषणा की है। वज्रपात से मरे जानवरों को मालिकों को भी क्षतिपूर्ति उत्तर प्रदेश सरकार देती है।
बाढ़, चक्रवात, ठंड, भीषण गर्मी, भूस्खलन, मूसलाधार बारिश और महामारी- यह सब प्रकोप प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण ही बढ़े हैं। झारखंड सरकार ने कुछ साल पहले कनाडा से ऐसे उपकरण मंगाए थे जो आकाशी य बिजली गिरने की पूर्व चेतावनी देते थे। भारत में बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादातर वर्षा ऋतु में होती हैं यानी जून से सितंबर तक बिजली गिरती है और जन हानि, पशु हानि होती है।
बिजलीघर पर ही गिर जाती है बिजली
2007 में जब रांची में बच्चों पर बिजली गिरी थी तो झारखंड उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह स्कूल और हर ऊंची इमारत में लाइटिंग कंडक्टर लगाएं। देवघर में भी 3 बच्चे बिजली गिरने से मारे गए थे। किंतु सरकार ने कोई उचित उपाय नहीं किए जिससे बिजली गिरने की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। सरकार मौसम की पूर्व सूचना देने के साथ ही वज्रपात की भी सूचना देती है और अब तो प्रत्येक 4G-5G मोबाइल में मौसम की सूचना दी जाने लगी है। मौसम का ऐप है इसे डाउनलोड करके प्रतिक्षण के मौसम की जानकारी ली जा सकती है। किंतु बेईमान मौसम कब बदल जाए इसका ठिकाना आज भी नहीं रहता।
बिजली गिरने से मनुष्य ही नहीं पशु पक्षी और जानवर भी शिकार होते हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक बार भेड़ों के झुंड पर बिजली गिरी थी जिसमें करीब 1000 भेड़ें मर गई थी। हिमाचल के कांगड़ा जिले में भी बिजली गिरने से दूरसंचार विभाग की करोड़ों रुपए की मशीनें जलकर बेकार हो गई थीं। 30 टेलिफोन एक्सचेंज और 15000 टेलिफोन लाइने जल गई थीं। कई बार तो बिजली के खंभों और बिजलीघर पर ही बिजली गिर जाती है।
एक ही बिल्डिंग पर हर साल 23 बार गिरती है बिजली
न्यूयॉर्क के एंपायर स्टेट बिल्डिंग पर हर साल 23 बार बिजली गिरती है। एक बार तो 24 घंटे के अंतराल में 8 बार बिजली इसी इमारत पर गिरी थी। दिल्ली के कुतुबमीनार में सन 1326 और सन 1368 में बिजली गिरने से क़ुतुब मीनार का काफी नुकसान हुआ था इसका विवरण इतिहास में मिलता है। मसूरी के लाल टिब्बा में बहुत बिजली गिरती थी। इसी कारण अंग्रेज इसे जला हुआ पर्वत कहते थे। मदुरई के मीनाक्षी मंदिर में भी अक्सर बिजली गिरती रहती है और इसी कारण इस मंदिर में ऐसे उपकरण तड़ित चालक लगाए गए हैं जिससे बिजली गिरने पर सीधे जमीन में समा जाए। कुछ साल पहले हावड़ा के एक मंदिर पर बिजली गिरी थी। इसमें 10 लोग जलकर मर गए थे। वर्ष 2006 में अमेरिका की एक संस्था ने बिजली गिरने की घटनाओं का अध्ययन किया था और पाया था कि बुधवार और गुरुवार को सबसे ज्यादा बिजली गिरने की घटनाएं होती हैं। इसका कारण बताया गया था कि इन दोनों दिनों में सड़क पर यातायात बहुत रहता है इससे कार्बन उत्सर्जन होता है और इसी कारण बिजली गिरने की घटनाओं में बढ़ोतरी होती है।
प्राचीन काल से भारत के प्राचीन मंदिरों के शिखर कलश के पास से ही तड़ित चालक लगाए जाते थे। इससे बिजली गिरने की घटनाएं होती तो थीं लेकिन क्षति बहुत कम होती थी। हम जैसे जैसे विकसित होते जा रहे हैं प्रकृति के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं। हम आग लगने पर कुआं खोदते हैं और जैसे ही आग बुझ जाती है कुआं खोदना छोड़ देते हैं।
हरे पेड़, ऊंची इमारतों के नीचे न खड़े हों
नासा सहित कई देशों के वैज्ञानिकों ने वज्रपात की घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखा है। बढ़ता कार्बन प्रदूषण और भू चुंबकीय क्षेत्र में असंतुलन भी इसके प्रमुख कारण बताया जा रहे हैं। अब तो मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों में भी बिजली गिरने की घटनाएं होने लगी हैं। वज्रपात की घटनाएं रोकने के लिए बहुत पहले काठमांडू, नेपाल में कई देशों के वैज्ञानिकों का एक सम्मेलन हुआ था। इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने कई सुझाव दिए थे जिसे काठमांडू प्रस्ताव कहा गया था। वैज्ञानिकों ने सुझाव दिए थे कि जिन देशों में बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं उन देशों में इसे आपदा माना जाए। मुख्य स्थानों पर तड़ित चालक लगाया जायें। ऊंचे शिखरों, मंदिरों और बहुखंडी इमारतों में अच्छे स्तर के लाइटिंग कंडक्टर लगाए जाएं। स्कूल की इमारतों की सुरक्षा के विशेष उपाय अपनाए जाएं। दक्षिण एशियाई देशों श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान… तथा भारत में केरल, असम और झारखंड जहां बिजली गिरने की अधिक घटनाएं होती हैं- सावधानी बरती जाए। मौसम की सूचना समय रहते दी जाए ताकि लोग सचेत हो सकें। जहां बिजली गिरने की अधिक घटनाएं होती हैं वहां के लोगों को जागरूक किया जाए कि वे बादलों के गरजते और बरसते समय किसी हरे पेड़ के नीचे, ऊंची इमारत के नीचे, बिजली के खंबे के नीचे, टेलीफोन टावर के नीचे- नहीं खड़े हों। बिजली गिरने का अनुमान होते ही जमीन पर दोनों हाथों से कान बंद कर लेट जाएं। एक साथ समूह में ना खड़े हों। दूध वाले पेड़ों पर बिजली ज्यादा गिरती है- इनसे भी दूरी बना कर रखना आवश्यक है।
वज्रपात एक राष्ट्रीय आपदा
उत्तर प्रदेश सरकार बिजली गिरने जैसी घटनाओं को रोकने के लिए अक्सर विज्ञापन देकर लोगों को सचेत करती है। उत्तर प्रदेश में बिजली गिरने पर होने वाली मौतों पर चार लाख रुपए मृतक के परिवार को दिए जाते हैं। कनाडा में बिजली गिरने और ऐसी घटनाएं रोकने के लिए कुछ अत्याधुनिक उपकरण बनाए गए हैं। भारत सरकार इन्हें खरीद सकती है अथवा ऐसे उपकरण भारत में बनवा कर वज्रपात की घटनाओं को रोक सकती है।
जलवायु परिवर्तन के कारण वज्रपात की घटनाएं बढ़ी हैं। आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं। इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए वज्रपात को राष्ट्रीय आपदा माना जाए। प्राचीन काल के लोग मानते थे की वर्षा के देवता इंद्र हैं और जब वह नाराज हो जाते हैं तो अपने वज्र से मनुष्यों को सजा देने के लिए वज्रपात करते हैं। इंद्र का सबसे खतरनाक हथियार वज्र है जो विद्युत से बना है। पर आज का विज्ञान यह सब बातें नहीं मानता। इसे मात्र घटना मानता है जो मनुष्यों की लापरवाही से बढ़ती जा रही है।