बहुत ज़्यादा महीने नहीं बीते हैं, जब विराट कोहली ने सार्वजनिक तौर पर इस बात को मानने से हिचकिचाहट भी नहीं दिखाई थी कि मौजूदा समय में पाकिस्तानी कप्तान बाबर आज़म क्रिकेट के तीनों फ़ॉर्मेट में शायद सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ हैं.कोहली ऐसे खिलाड़ी नहीं हैं, जो यूँ ही कुछ भी कहने के लिए ही ऐसे ही कुछ बयान दे दें.ख़ासकर तब, जब ऐसे खिलाड़ी की बात हो रही हो जिससे अक्सर उनकी तुलना की जाती रही है.ख़ैर कोहली तो कोहली हैं लेकिन बाबर आज़म भी तमाम संघर्ष से गुज़रने के बावजूद अब भी आईसीसी की रैंकिग में दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज़ बने हुए हैं।

लेकिन, पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमियों और जानकारों को बाबर की इस रैंकिंग से परेशानी है, क्योंकि उनका तर्क ये है कि अगर वर्ल्ड कप में अहम मुक़ाबलों में कप्तान बड़ी पारी खेलने में नाकाम हो रहा है तो बाक़ी तर्क बेमानी हो जाते हैं.दरअसल, टीम इंडिया से हारने के बाद से ही बाबर की कप्तानी और उनकी बल्लेबाज़ी पर सवाल उठने शुरू हो गए थे।

चौतरफ़ा आलोचना

लेकिन अफ़ग़ानिस्तान से हार के बाद बाबर पर हमले चौतरफ़ा होने लगे.अगर पूर्व कप्तान राशिद लतीफ़ ने बाबर की तुलना कोहली के उस दौर से कर दी है, जब उन पर ये आरोप लगता था कि वो ड्रेसिंग रूम में किसी की नहीं सुनते हैं, तो पूर्व तेज़ गेंदबाज़ आक़िब जावेद ने ये कह डाला कि बाबर से बेहतर कप्तान तो शाहीन शाह अफ़रीदी हो सकते हैं। दरअसल, उप-महाद्वीप की क्रिकेट संस्कृति से परिचित लोगों को शायद बाबर के ख़िलाफ़ उठने वाली अतिवादी प्रतिकिया से हैरानी नहीं हो, क्योंकि हार के दौर में सबसे आसान होता है कप्तान की धज्जियाँ उड़ा देना।

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इस बात की कोई फ़िक्र नहीं करता है कि आख़िर कप्तान के पास टीम कैसी है? क्रिकेट की एक पुरानी कहावत है कि कोई भी कप्तान उतना ही बेहतर दिखता है जितने बेहतर खिलाड़ी, जो उसकी टीम के पास होते हैं।अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ मैच हारने पर बाबर आज़म की प्रतिक्रिया।

टीम इंडिया ने भी देखा है ये दौर

ज़्यादा दूर जाने की ज़रूरत नहीं है और आप टीम इंडिया को ही देख लें.आज हर कोई रोहित शर्मा की बल्लेबाज़ी और कप्तानी की तारीफ़ करते नहीं अघा रहा है, लेकिन ठीक एक साल पहले रोहित तो रोहित पूर्व कप्तान और मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ के पीछे हर कोई पड़ा हुआ था.ये ऑस्ट्रेलिया में टी20 वर्ल्ड कप के बाद विफलता का समय था. लेकिन, बहुत कम लोगों को इस बात का ध्यान रहा था कि उस टीम में जसप्रीत बुमराह नहीं थे जिनके आक्रमण में आते ही किसी भी कप्तान के तरकश में अचानक से कितने तीर बढ़ जाते हैं।

आज बुमरहा क्या, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज भी शानदार खेल दिखा रहे हैं, रवींद्र जडेजा ऑलराउंडर के तौर पर छाए हुए हैं तो विराट कोहली ने पूरानी लय हासिल कर ली है। इसलिए अगर हार्दिक पंड्या भी चोटिल हैं, तो उनकी कमी उस तरह से नहीं खल रही है, अगर सूर्यकुमार यादव, शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, शार्दुल ठाकुर और रविचंद्रम अश्विन ने भी ज़बरदस्त तहलका नहीं मचाया है, तो टीम परेशान नहीं है।

बाबर को मिली है औसत टीम

लेकिन, बाबर आज़म की टीम को देखिए. शाहीन शाह अफरीदी के अगर ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ पारी में पाँच विकेट को छोड़ दिया जाय तो वो भारत और यहाँ तक कि अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ भी साधारण ही दिखे थे। मोहम्मद रिज़वान और और अब्दुल्लाह शफ़ीक़ को छोड़ दिया जाय, तो किसी और दूसरे बल्लेबाज़ ने इतने रन नहीं बनाए हैं कि उन्हें प्लेइंग इलेवन में नियमित तौर पर शामिल किया जा सके। लेकिन, बाबर को समस्या उस क्षेत्र से ज़्यादा हो रही है, जो पाकिस्तानी क्रिकेट की सबसे बड़ी ताक़त रही है.पाकिस्तानी गेंदबाज़ी आक्रमण के साधारण खेल को देखते हुए पूर्व कप्तान और धुरंधर गेंदबाज वसीम अकरम और वकार युनूस खीजते हुए अपना सर पकड़ रहे हैं। अफ़रीदी ने सबसे ज़्यादा 10 विकेट तो लिए हैं, लेकिन उनका इकॉनमी रेट क़रीब छह रन प्रति ओवर का है.अब बुमराह ने भी 12 विकेट लिए हैं लेकिन उनका इकॉनोमी रेट चार से भी कम का रहा है।

हसन अली और हारिस रऊफ़ के भी आठ-आठ विकेट हैं, लेकिन पहला जहाँ छह के क़रीब रन हर ओवर में लुटा रहा है, वहीं दूसरा सात के क़रीब.स्पिनर के नाम पर पाकिस्तान के पास शादब ख़ान और मोहम्मद नवाज़ जैसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें अब तक सिर्फ़ दो-दो विकेट ही मिले है, लेकिन इनका भी इकॉनमी रेट काफ़ी महंगा है.इफ़्तिख़ार अहमद और उसामा मीर का तो इस लेख में चर्चा करना भी शायद सही नहीं हो. ऐसे में सवाल ये उठता है कि इतनी साधारण टीम के साथ क्या वकार-वसीम सेमी फ़ाइनल तक पहुँच पाते?शायद नहीं और इसलिए पूर्व कप्तान और हाल ही तक में बल्लेबाज़ी कोच की भूमिका में रहने वाले मोहम्मद यूसुफ़ ने बाबर का बचाव किया है.उनका मानना है कि ऐसी हारों के लिए सिर्फ़ बाबर पर ठीकरा फोड़ना सही नहीं हैं. यूसुफ़ का कहना है कि पाकिस्तान सिर्फ़ बाबर की वजह से तो नहीं हारा है और ऐसे में वो उनके साथ खड़े हैं।

बाबर को समर्थन ज़रूरी

बहरहाल, कहने का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि बाबर के खेल में कमियाँ नहीं हैं या पिर उनकी कप्तानी में समस्या नहीं है. आलोचना होनी चाहिए और सलीके से होनी चाहिए। लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट को ये नहीं भूलना चाहिए कि पिछले पाँच सालों में सिर्फ़ और सिर्फ़ वर्ल्ड क्लास बल्लेबाज़ के तौर पर दुनिया के सामने पेश करने के लिए उनके पास बाबर ही हैं। इसी साल वनडे क्रिकेट के इतिहास में बाबर हाशिम अमला और विव रिचर्ड्स जैसे सर्वकालीन महान बल्लेबाज़ों की पीछे छोड़ते हुए सबसे तेज़ 5000 रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बने थे. कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ी भी हाल के सालों में उनकी नंबर वन की रैंकिग को चुनौती देने में नाकाम रहे हैं।

कुछ महीने पहले तक बाबर टी20 में भी टॉप 5 और टेस्ट में भी टॉप 5 में शुमार थे.

इंज़माम उल हक़ के रिटाय़रमेंट के बाद बाबर इकलौते ऐसे पाकिस्तानी बल्लेबाज़ हैं, जिन्होंने अपने बल्ले के दम पर दुनिया में शोहरत कमाई है. लेकिन अफ़सोस की बात है कि पाकिस्तान क्रिकेट उन्हें वो सम्मान नहीं दे रहा है, जिसके वो हक़दार हैं। शायद, पाकिस्तान का चमत्कारिक तरीक़े से वर्ल्ड कप के बचे हुए मैचों में जीतना ही उनकी धूमिल होती छवि को बचाने के लिए ब्रहास्त्र साबित हो.कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।  (एएमएपी)