अयोध्या सप्तपुरियों में से एक है। हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ के रुप में विख्यात रही अयोध्या और सरयू की उत्पत्ति पुराणों के अनुसार कैसे हुई। मनु के वंशज रघु और रघुकुल की उत्पत्ति से लेकर अयोध्या के स्थानीय तीर्थ की भी चर्चा हम कर चुके हैं। अयोध्या पर हूण और किरातों के आक्रमण, मुगल आक्रमण की चर्चा शुरू करने से पहले हम उन तीर्थो की चर्चा करेंगे जो मुगल आक्रमणों का सामना करते रहे।
अयोध्या के स्थानीय तीर्थों में नाग नागेश्वर महादेव, नंदीग्राम, मणिपर्वत, भरतकुंड, देवकाली समेत अनेक तीर्थ आते हैं जिनकी चर्चा करना आवश्यक है। अयोध्या में अनेक स्थान हैं जो मुगल आक्रमणों की यातना मौन होकर झेलते रहे। कई जगह मूर्तियों को भंग किया गया, कुछ स्थानों पर मंदिर तोड़ दिए गए तो कुछ स्थानों का नाम ही बदल कर पहचान मिटाने की कोशिश की गई। ऐसे ही स्थानों की सूची इस प्रकार है।
प्राचीन नाम — वर्तमान नाम
रामकोट — बेगमपुरा
सप्तसागर — इटउबा
पापमोचन घाट — गोडिय़ाना फटर
कुंजगली — टेढ़ी बाजार
त्रेतानाथ — उर्दू बाजार
रामघाट — रहीमाबाद
प्रमोदवन — वामे हयात
तुलसीबाड़ी — खजूरगंज
चक्रतीर्थ — इस्लामाबाद
वशिष्ठ कुंड — कजियाना
राजद्वार — रहमानगंज
श्रृंगारहाट — नौगजी
मीरापुर — डेराबीबी
मणिपर्वत — शीश पैगम्बर
गुप्तार घाट — सआदतगंज
यमस्थली — हसनू कटरा
कौशल्या घाट — बेगम जहूरन की डयोढ़ी
ऋणमोचन — फकीर बाड़ा
जानकी घाट — अख्तरगंज
वासुदेवघाट — अंगूरी बाग
विशाषवन — औलियाबाद
कैकेयीघाट — जीनत मंजिल
सरजू बाग — अवेहयात
नाग केसर भवन — मस्ताव बाग
स्वर्ण खान कुंड — सुलेमान बाग
रामगंज — रायगंज
स्वर्गद्वार — सैद बाड़ा
लक्ष्मणघाट — इमामहुसैन की डयोढ़ी
मत्तगजेंद्र — पीर मतगेंड
सुमित्रा घाट — अख्तर मंजिल
बृहस्पति कुंड — बाग विजेसर
विभीषण कुंड — सुत हट्टी
इसी प्रकार अयोध्या में कुंड और सरोवरों की संख्या करीब 50 हैं कालक्रम में इनकी स्थिति नष्ट और क्षीण अवश्य हुई है लेकिन लोक आस्था और मान्यता में कोई कमी नहीं आई है। श्रीसागर, अदभुत सागर, दशरथ कुंड, रुक्मिणी कुंड, राधिका कुंड, योगिनी कुंड, रामसरोवर, सीताकुंड, ब्रम्हाकुंड, निर्मली कुंड, बृहस्पति कुंड, लक्ष्मण कुंड, भरत कुंड, सूर्य कुंड, खर्जुली कुंड, शुक्र कुंड, वैतरणी, सुग्रीव कुंड, अग्रि कुंड, हनुमान कुंड, वासुकी कुंड, उर्वशी, गणेश कुंड, यमराज कुंड, कुशमायुध कुंड, गिरिजा कुंड, दुर्भसर, विभीषण कुंड, सप्तसागर, विद्या कुंड, महाभ्रमर, वशिष्ठ कुंड, चंद्र सरोवर, कौशल्या कुंड, चंद्र सरोवर, धनक्षय कुंड, पार्वती कुंड, शुक्र कुंड, तिलोदकी कुंड, स्वर्णखनी कुंड, क्षीर सागर, पिशाची कुंड, जन्मेजय कुंड, माण्डवी कुंड, विदेहसर, प्रमोद कुंड, दंतधावन कुंड, धो पाप कुंड, चक्रतीर्थ, शत्रुघ्र कुंड, अंजनी कुंड और लक्ष्मी कुंड।
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इसी प्रकार अयोध्या में हिंदू धर्म की जिन जातियों के पंचायती मंदिर प्राचीन काल से मौजूद हैं। उनमें- अग्रहरी वैश्य का पंचमहला पंचायती मंदिर है। ठठेर जाति का नजर बगिया मुहल्ले में हैं। कलवार का टेढ़ी बाजार जिसे कभी कुंंज गली कहा जाता था। धरकार बिरादरी का पंचायती मंदिर कटवा में हैं, कुर्मी लोगों का पंचायती मंदिर कनीगंज में, कायस्थों का पंचायती मंदिर मीरापुर मुहल्ले में हैंं। कुम्हार का पांजीटोला, कुरील का रामकोट, केवट का कैथाना, कसौधन का बेगमपुरा जिसे रामघाट कहा जाता था। तेली का सुग्रीव किला के पास है, धोबी का छपिया मंदिर के पीछे हैं, नाऊ का रघुनाथ दास जी छावनी के पास है। कोहार का कटरा, खटिक का पंचायती मंदिर कजियाना में हैं जिसे प्राचीन काल में गुरु वशिष्ठ नाम से जाना जाता था। लोनिया और लुहार का पुराना थाना, सोनार का कनीगंज, हलवाई का रायगंज, बरबर क्षत्रिय का बरियारी टोला में स्थित है। गड़रिया का भी रामकोट में है, कनीगंज में ही ठठेरा लोगों का एक और पंचायती मंदिर है। निषाद का मातगेंड में, पटहार का छपिया मंदिर के पास, पासी का कनीगंज में है। इसीप्रकार बढ़ई का ऋणमोचन चौराहे के पास, रायगंज में भी है। वेलदार का टेढ़ी बाजार, लोधी क्षत्रिय का रामकोट में, राजभर का लिरौनियां में, पतिवढ़ भर का खाकी अखाड़ा के पास, भूज का अशर्फी भवन के पास, भंगी का कैकेयी घाट के पास, माली का रामजन्म भूमि के पीछे। मुराव और यादव का कैथाना में, रैदास का हनुमान कुंड के पास पंचायती मंदिर है।