एससीपीसीआर के छापे से सामने आया सच, गैर मुसलमानों के प्रति बाल मन में भरी जा रही है नफरत
डॉ. मयंक चतुर्वेदी
मध्यप्रदेश को शांति का टापू और देश का ह्दय प्रदेश कहा जाता है, लेकिन इस वक्त यह शांति का टापू जिस शिक्षा व्यवस्था से गुजर रहा है, यदि आगे कुछ साल यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब यहां भी पश्चिम बंगाल, केरल, जम्मू-कश्मीर, झारखण्ड एवं अन्य इस्लामिक अराजकता के माहौल वाले राज्यों जैसा हाल दिखाई देने लगे । जिसमें ‘हिंसा’ और ‘सिर तन से जुदा’ करने के नारे ही नहीं होंगे बल्कि गैर इस्लामिक लोगों को शांति से रहना भी राज्य में दूभर हो जाएगा। फिर यही बड़ा प्रश्न होगा कि आखिर मप्र का बहुसंख्यक हिन्दू समाज एवं अन्य मत, पंथ वाले अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए कहां पलायन करे!उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के मुताबिक तीन तरह के मदरसे देश में चल रहे हैं। मान्यता प्राप्त या प्रक्रिया वाले और वो जिनसे प्रशासन का संपर्क नहीं हुआ। तीसरी कैटेगरी में वो संस्थान हैं जिनमें औरंगजेब के ज़माने की शिक्षा दी जा रही है। आयोग ने एमपी सरकार को पिछले साल पत्र लिखकर निजी तौर पर संचालित मदरसों की मैपिंग के निर्देश दिए थे।
शासन ने अभी मदरसों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया तो आनेवाला समय होगा विस्फोटक
दरअसल, राज्य में इस वक्त मान्यता प्राप्त मदरसों एवं अवैध मदरसों के माध्यम से जो बच्चों के मनों में जहर भरा जा रहा है, उसका जब भी विस्फोट होगा, वह कितना भयावह और हिंसा से भरा होगा, यह सिर्फ यहां पढ़ाई जानेवाली पुस्तकों से सहज अंदाजा लग रहा है। कहने को पूर्व मुख्यंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले साल 19 अप्रैल को तत्कालीन गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और पुलिस-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को अवैध मदरसों पर पैनी नजर रखने के लिए सख्त निर्देश दिए थे। चौहान ने कहा था कि प्रदेश में किसी तरह का अतिवाद और कट्टरता बर्दाश्त नहीं होगी । अवैध मदरसों व कट्टरता का पाठ पढ़ाने वाले संस्थानों पर नजर रखते हुए इस प्रकार की सभी संस्थानों का रिव्यू किया जाए और कट्टरता और अतिवाद फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो ।
तत्कालीन सीएम के निर्देश पर प्रशासन सक्रिय भी हुआ और कट्टरता की पहचान कर अवैध मदरसों को समाप्त करने का प्रयास शुरू किया गया। लेकिन तथ्यों के आधार पर अभी जो सामने आ रहा है, उसके अनुसार समस्या का समाधान पिछले एक साल पहले दिए गए सीएम के आदेश के बाद भी जस के तस हैं । राज्य में तत्कालीन शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बड़ा खुलासा 29 जून 2023 को करते हुए यहां तक बता दिया था कि करीब 1000 मदरसे बिना पंजीयन के अवैध रूप से मप्र में चलाए जा रहे हैं।
प्रदेश में चल रहे एक हजार से अधिक अवैध मदरसे
सरकार ने शक जताया था कि बच्चों को स्कूली शिक्षा से वंचित रखना इन मदरसों की एक साजिश हो सकती है। सरकार चाहती है कि मदरसों के बच्चे स्कूली शिक्षा से जुड़ें, ताकि वो राष्ट्रीयता को महसूस ही नहीं करें, बल्कि उसे आत्मसात करें । लेकिन राज्य के सरकारी आंकड़ों में देखें तो स्थिति जो एक साल पहले प्रदेश में थी, वह अब भी बनी हुई है। यहां अवैध मदरसों की संख्या में प्रशासन की तमाम सख्तियों के बाद भी कोई कमी नहीं आई है। तमाम आंकड़े यही बता रहे हैं कि अभी भी पूर्व की भांति ही 1000 या इससे भी कुछ अधिक ही अवैध मदरसे राज्य में संचालित हो रहे हैं ।
‘मदरसा फैज-ए-सिद्दीकी नूर उल कुरान’ में हुए कई नए खुलासे
मध्यप्रदेश में पिछले एक दिन पूर्व जब बाल आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने अचानक से शिवपुरी जिले के बदरवास में संचालित मदरसा फैज-ए-सिद्दीकी नूर उल कुरान पर अपनी टीम के साथ छापा मारा तो यहां बच्चों की पढ़ाई को लेकर कई नए खुलासे हुए। साथ ही यह पूरी तरह से अवैध रूप से संचालित होना पाया गया । मदरसा रिकार्ड का हवाला देकर यहां के काजी ने कहा कि 17 बच्चे यहीं आवासीय व्यवस्था में रहते हुए पढ़ाई कर रहे थे, जबकि स्थानीय लोगों का कहना था कि 20 से 30 बच्चे यहीं रहते हैं। इनके अलावा हर रोज आसपास से 100 से 150 की संख्या में बच्चे ‘दीनी तालीम’ लेने यहां आते हैं।
इस संबंध में डॉ. निवेदिता शर्मा का कहना है कि मदरसा के संचालक काजी मोहम्मद शराफत कह रहे थे कि बच्चे रमजान के चलते अपने घरों पर चले गए हैं। उन्होंने मदरसे की बैलेंस शीट तो बताई लेकिन यह नहीं बता सके कि कि मदरसा संचालन के लिए उन्हें ग्रांट कहां से मिलती है। मदरसे की आय का स्रोत क्या है। हमने मप्र मदरसा बोर्ड से मान्यता लेकर विधिवत इसे नियमों से संचालित करने के लिए यहां के व्यवस्थापक मो. मुन्ना खां एवं अन्य जिम्मेदारों को बोला है। यहां मिली पुस्तकों पर भी आयोग सदस्य ने गहरी आपत्ति जताई है। इसके साथ ही राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम एवं जिला शिक्षा विभाग के एडीपीसी राजा बाबू आर्य, बीआरसीसी बाल कृष्ण ओझा, सहायक संचालक महेंद्र सिंह व प्रोटेक्शन आफिसर राघवेंद्र शर्मा को यहां अन्य कई अनियमितताएं मिली हैं।
मदरसों में जिहाद फैलाने और गैर मुसलमानों के प्रति बालकों के मन में जहर घोला जा रहा
बच्चों के रहने की कोई उचित व्यवस्था मदरसे में नहीं मिली। बच्चों को नीचे दरी पर सुलाया जाना पाया गया। भोजन बनाने का स्थान एवं बच्चों के भोजन कराने के बर्तन टूटे-फूटे थे । छात्रों के निवास स्थल पर बहुत गंदगी मिली। साथ ही यह भी जानकारी सामने आई कि राज्य सरकार जिस तरह से प्रत्येक बच्चे को आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था देती है उस प्रकार से यहां रह रहे किसी भी आवासीय छात्र को वह आधुनिक शिक्षा अभी तक कई वर्षों के संचालन के बाद भी उपलब्ध नहीं कराई गई है। मप्र बाल आयोग ने इस पर अपनी नाराजगी जताई है। इसके साथ जिस तरह की पुस्तकों पढ़ाई जा रही हैं, वह भी शासन से किसी तरह से अनुबंध नहीं रखतीं। दीनी तालीम के नाम पर इस तरह के अवैध संचालित हो रहे मदरसों में जिहाद फैलाने और गैर मुसलमानों के प्रति बालकों के मन में जहर घोलना भी पाया गया। आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने यहां जिन पुस्तकों को पकड़ा, उनमें न सिर्फ महिलाओं बल्कि गैर मुसलमानों के प्रति नफरत भर देनेवाली बातें लिखी हुई मिली हैं।
पुस्तक ‘हिदायतुल कुरआन’ लव जिहाद को उकसा रही
यहां मिली ‘हिदायतुल कुरआन’ नाम की पुस्तक 21 वें पृष्ठ पर लिखा हुआ है – ”मुशरिक औरतों से निकाह न करो जबतक कि वो ईमान न ले आयें, ईमानदार लौंडी मुश्रिका शरीफजादी से बेहतर ह, गो तुम्हें मुश्रिका ही अच्छी लगती हो और मश्रिक मर्दों से अपनी औरतों को निकाह न करो, तब तक कि वो ईमान न ले आये, ईमानदार गुलाम मुश्रिक शरीफजादे से बेहतर है,गो तुम्हें मुश्रिक ही अच्छा लगता हो।”
इसका यदि सामन्य अर्थ समझें तो यह आधुनिक भाषा में मुस्लिम बच्चों को लव जिहाद करने के लिए उकसा रही है, अपनी मजहब से ज्यादा ये दूसरे धर्म, मत, पंथ की लड़की से निकाह करना अच्छा मान रही है, लेकिन जब कि उसे ईमान के रास्ते यानी की (अल्ला की इबादत करने वाला/वाली) मुसलमान न बना दिया जाए। यह हर उस स्थिति में मुश्रिक अर्थात् मूर्ति पूजकों को ईमान वाला बनाए जाने के लिए उकसा रही है, जिसका कि ईस्लाम में कोई विश्वास नहीं है।
पुस्तक दे रही ‘हलाला’ को बढ़ावा
इसी पृष्ठ पर लिखा गया है कि जिहाद करना तुम पर फर्ज है…जब मैदान में जाने की जरूरत पड़े तो बेखौफ होकर मैदाने जंग में कूद पड़े। अनजाम का इल्म तो सिर्फ खुदा को ही है और शहीद के सारे गुनाह बख्श दिये जाते हैं बजुज कर्ज के। पुस्तक का 23 वां पृष्ठ तलाक और हलाला को बढ़ावा दे रहा है। लिखा है, तीसरी बार तलाक दे दे तो अब इसके लिए हलाल नहीं, जब तक कि वो औरत किसी दूसरे मर्द से निकाह न कर ले । फिर अगर वो भी तलाक दे दे तो फिर पहले शौहर से निकाह किया जा सकता है, वह गुनाह नहीं होगा।
महिलाओं को पीटने की बच्चों को दी जा रही शिक्षा
इसके 34 वें पेज पर लिखा गया है कि मर्द औरतों पर हाकिम हैं। जो औरतें तुम्हारी बात नहीं मानें उन्हें अलग बिस्तरों पर छोड़ दो, उन्हें पीटो, फिर अगर वो तावेदारी करने लगे तो मारने का कोई बहाना तलाश मत करो। इसमें हर हाल में औरत से कहा गया है कि वह अपने पति को खुश करने के लिए वह सब करे तो वह चाहता है। साथ ही औरत अपने नफ्स को काबू में रखे और खाबिन्द के माल की हिफाजत करे। इसमें सोचनेवाली बात यह है कि आखिर खाबिन्द का माल है कौन सा ?
जिनका अल्लाह में विश्वास नहीं, उनके लिए बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गईं
इसका अगला पृष्ठ तो और भी अधिक खतरनाक है, 35 नंबर पेज पर लिखा गया है कि ” जिन लोगों ने हमारी आयतों से कुफ्र किया है उन्हें हम यकीनन आग में डाल देंगे, जब उनकी खालें गल जाएंगी तो हम उनकी खालों को बदल कर नई कर देंगे ताकि वो अजाब का मजा चखते रहें।” फिर इसके विस्तार में लिखा गया है, ”कुरान शरीफ की आयतों को न मानने वालों को आग में डाला जायेगा जब तक चमड़ी जल जाएगी, तो दूसरी बदल दी जाएगी जो सफेद कागज के मिसाल होगी, एक-एक काफिर की सौ-सौ खालें होंगी। हर-हर खाल पर तरह-तरह के अजाब होते रहेंगे।…एक साअत(घड़ी) में एक सौ बीस बार खाल बदली जायेगी।”
गाय और हिरण के मांस के साथ इन जानवरों के शिकार करने के लिए उकसाया जा रहा बच्चों को
पुस्तक ‘हिदायतुल कुरआन’ का 39 पृष्ठ ‘गाय’ और ‘हिरण’ के मांस को हलाल ठहरा रहा है, इस पर लिखा हुआ है कि ”मवेशी जानवर जैसे : ऊंट, गाय, भैंस, बकरी और भेड़ तुमको हलाल किए गए। ये पालतू जानवर हैं और जंगली जानवरों में हिरण, सावर, नील गाय और जंगली गधे हलाल हैं।” इसी में आगे के पेज पर लिखा है ” जो मर्द या औरत चोरी करे उसका (दाहिना) हाथ (गट्टे पर से) काट दो…” यहां 46वें पृष्ठ पर लिख दिया गया, ”अये ईमान वालो! जब तुम (जिहाद में) काफिरों से दूबदू मुकाबिल में हो जाओ तो उनसे पीठ मत फेरना। (यानी डरकर भागना नहीं)। इसी तरह से किताब का 48 पेज मुश्रक (मूर्तिपूजकों) को नापाक यानी कि अपवित्र करार देता है। इन्हें मस्जिदों से दूर रखने के लिए कह रहा है।
मदरसे में बताया जा रहा इंसान को सड़ी हुई मिट्टी के सूखे गारे से बनाया गया
पुस्तक 52 वें पृष्ठ के जरिए बच्चों को समझा रही है, कि(अल्लाह) ” हमने इंसान को सड़ी हुई मिट्टी के सूखे गारे से बनाया और इससे पहले जिन्नों को आग की लपट से पैदाकर चुके थे।” इसमें साफ लिखा हुआ है, जिनका अल्लाह की आयतों पर ईमान नहीं लाते, उनके लिए दर्दनाक अजाब होगा। पुस्तक अपने रब की राह की तरफ गैर मुसलमानों को लाने के लिए प्यार से बात करने के लिए कहती है, साथ में यह भी जोड़ती है कि जरूरत पड़े तो डर और धमकी का इस्तमाल करें ताकि लोग अल्लाह से डरें। यह पुस्तक कहती है कि ”जन्नत में जो शहद की नहरें हैं वो मक्खियों के पेट से निकला शहद नहींहै बल्कि मुसनद एहमद की हदीस में है कि जन्नत में दूध, पानी, शहद और शराब के समन्दर हैं जिनमें से ये नहरें जारी होती हैं। वहां पाक साफ बीवियां मिलेंगी और जन्नती दुनिया की तरह वहां भी अपनी बीवियों से लज्जत हासिल करेंगे मगर बाल-बच्चे नहीं होंगे क्योंकि वहां किसी को पेशाब, पाखाना, थूक,रेंहट, मनी, हैज निफास बगैराह कोई गन्दगी नहीं निकलेगी बस एक डकार आई कि सब खाया-पिया हजम।
मदरसे में जन्नत की ऐसी तारीफ की…निकाह बड़ी-बड़ी आंखों वाली हूरों से, शराब, कबाब और भी बहुत कुछ
किताब के 75वें पृष्ठ पर कहा गया है कि ”(जन्नती) बराबर बिछे हुये शानदार तख्तों पर तकिया लगाये हुए बैठे होंगे और हम उन उनके निकाह बड़ी-बड़ी आंखों वाली हूरों से कर देंगे और जो लोग ईमान लाये और उनकी औलाद ने भी उनके ईमान की पैरवी की, हम उनकी औलाद को उन तक पहुंचा देंगे और उनके आमाल से कुछ कम न करेंगे हर शख्श अपने-अपने आमाल का गिरवीं है। हम उनके लिए मेवे और मरगूब गोश्त की रेल-पेल कर देंगे। वो (खुशतबई के साथ) एक दूसरे से जाम (शराब) की छीना-झपटी करेंगे जिस शराब के सुरूर में बेहूदगी होगी न गुनाह और उनके इर्द-गिर्द नौउम्र गुलाम चल फिर रहे होंगे।…” पुस्तक इस बात पर जोर देती है कि ”यकीनन मुत्तकी लोगों के लिए एक कामरानी का मुकाम है, बाग, अंगूर, हमउम्र नौजवान औरतें, शराब के छलकते हुए गिलास…।”
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बच्चों को नमाज नहीं करने पर डराने, धमकाने पर दिया गया है जोर
साथ ही इस पुस्तक में बच्चों को नमाज नहीं करने पर धमकाने और डराने तक के लिए कहा गया है। पूरी पुस्तक में बार-बार अल्लाह से डरने पर सबसे अधिक जोर दिया गया है। इसी तरह की अन्य पुस्तकें ‘तालीमुल इस्लाम’ समेत कई अरबी लिपि में पढ़ाई जा रही हैं जोकि बच्चों के बाल मन (कच्ची मिट्टी) को अभी से नफरती आग में बदलने का काम कर रही हैं। यदि शासन ने अभी ध्यान नहीं दिया तो आनेवाला वक्त मध्यप्रदेश के लिए शांति के टापू वाले स्थल का नहीं रह जाएगा। यहां भी देश के कई राज्यों की तरह रोजमर्रा के जीवन में किसी न किसी कौने में अशांति और दंगें होते हुए दिखाई देंगे।(एएमएपी)