भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा है कि उनके देश का हमेशा से यह कहना रहा है कि रूस-यूक्रेन विवाद के मामले में भारत दोनों पक्षों की बात सुनने के लिए ‘‘बहुत अच्छी स्थिति’’ में है।
एकरमैन ने कहा, उन्हें हालांकि नहीं पता कि नयी दिल्ली का क्या करने का इरादा है, लेकिन बर्लिन ‘‘किसी भी तरह की बातचीत का स्वागत करेगा।’’ जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की भारत यात्रा से पहले जर्मनी के राजदूत एकरमैन ने यहां अपने आवास पर मीडिया से बातचीत की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चांसलर शोल्ज 25 अक्टूबर को सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता करेंगे। आईजीसी एक संपूर्ण सरकारी ढांचा है, जिसके तहत दोनों पक्षों के मंत्री अपने-अपने जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में चर्चा करते हैं और अपने विचार-विमर्श के परिणामों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री और चांसलर को देते हैं।
दो साल से अधिक समय से जारी संघर्ष का समाधान निकालने में भारत की संभावित भूमिका के बारे में पूछे गए एक सवाल पर एकरमैन ने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री (मोदी) कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से वापस आ रहे हैं। वह रूसी राष्ट्रपति सहित कई नेताओं से बातचीत कर रहे हैं और द्विपक्षीय वार्ता के एजेंडे को जाने बिना…मुझे यकीन है कि यह एजेंडे में होगा और चांसलर बहुत उत्सुक होंगे कि इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री क्या कहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हमेशा कहा है कि भारत दोनों पक्षों की बात सुनने तथा दोनों पक्षों को ध्यान में रखने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में है। हमने प्रधानमंत्री को कीव जाते देखा है…मुझे नहीं पता कि भारत क्या करने का इरादा रखता है, लेकिन हम किसी भी तरह की बातचीत का स्वागत करेंगे।’’
बाद में संवाद एजेंसियों के साथ बातचीत में जर्मनी के राजदूत ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि मोदी और शोल्ज ‘‘भू-राजनीति पर चर्चा करेंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री मोदी और शोल्ज के बीच बातचीत में क्या यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष का मुद्दा आएगा, उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं, हालांकि मुझे द्विपक्षीय बैठक का एजेंडा नहीं पता, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि वे भू-राजनीति पर चर्चा करेंगे। चीजों पर भारत के दृष्टिकोण को सुनना अच्छा रहेगा। हमारे पास चीजों पर एक यूरो-केंद्रित दृष्टिकोण है, भारत इस दृष्टिकोण में बहुत कुछ जोड़ सकता है। मुझे पता है कि चांसलर और प्रधानमंत्री के बीच इन सवालों पर बहुत अच्छी बातचीत है, और मुझे यकीन है कि ये… (बैठक) के दौरान चर्चा में आएंगे।’’
प्रधानमंत्री मोदी वर्तमान में कजान में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा पर हैं। मंगलवार को, उन्होंने शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूसी शहर कजान पहुंचने के कुछ घंटे बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस-यूक्रेन विवाद का समाधान शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से करने का स्पष्ट रूप से आह्वान करते हुए बुधवार को कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत युद्ध का नहीं बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है।
अपने संबोधन में मोदी ने युद्ध, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर चिंता जताई और कहा कि ब्रिक्स विश्व को सही रास्ते पर ले जाने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई में रूस का दौरा किया था, जो यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद उनकी पहली यात्रा थी। अगस्त में उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के निमंत्रण पर यूक्रेन की यात्रा की थी। इस यात्रा पर विदेश मंत्रालय द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य में भारतीय पक्ष ने अपना सैद्धांतिक रुख दोहराया था तथा वार्ता और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान पर ध्यान केंद्रित किया था।
इसके तहत भारत ने इस वर्ष जून में स्विटजरलैंड के बर्गेनस्टॉक में यूक्रेन में शांति पर आयोजित शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। यूक्रेन ने भारत की इस तरह की भागीदारी का स्वागत किया था और अगले शांति शिखर सम्मेलन में उच्च स्तरीय भारतीय भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला था। सितंबर में, प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जेलेंस्की से मुलाकात की थी। नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों पर विचारों का आदान-प्रदान किया था और यूक्रेन की स्थिति पर भी चर्चा की थी। प्रधानमंत्री ने संघर्ष के बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में रचनात्मक भूमिका निभाने की भारत की इच्छा को दोहराया था।
जर्मनी की नजर में रूस और यूक्रेन विवाद के हल में भारत से काफी उम्मीदें
भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा है कि उनके देश का हमेशा से यह कहना रहा है कि रूस-यूक्रेन विवाद के मामले में भारत दोनों पक्षों की बात सुनने के लिए ‘‘बहुत अच्छी स्थिति’’ में है।
एकरमैन ने कहा, उन्हें हालांकि नहीं पता कि नयी दिल्ली का क्या करने का इरादा है, लेकिन बर्लिन ‘‘किसी भी तरह की बातचीत का स्वागत करेगा।’’ जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की भारत यात्रा से पहले जर्मनी के राजदूत एकरमैन ने यहां अपने आवास पर मीडिया से बातचीत की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चांसलर शोल्ज 25 अक्टूबर को सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता करेंगे। आईजीसी एक संपूर्ण सरकारी ढांचा है, जिसके तहत दोनों पक्षों के मंत्री अपने-अपने जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में चर्चा करते हैं और अपने विचार-विमर्श के परिणामों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री और चांसलर को देते हैं।
दो साल से अधिक समय से जारी संघर्ष का समाधान निकालने में भारत की संभावित भूमिका के बारे में पूछे गए एक सवाल पर एकरमैन ने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री (मोदी) कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से वापस आ रहे हैं। वह रूसी राष्ट्रपति सहित कई नेताओं से बातचीत कर रहे हैं और द्विपक्षीय वार्ता के एजेंडे को जाने बिना…मुझे यकीन है कि यह एजेंडे में होगा और चांसलर बहुत उत्सुक होंगे कि इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री क्या कहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हमेशा कहा है कि भारत दोनों पक्षों की बात सुनने तथा दोनों पक्षों को ध्यान में रखने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में है। हमने प्रधानमंत्री को कीव जाते देखा है…मुझे नहीं पता कि भारत क्या करने का इरादा रखता है, लेकिन हम किसी भी तरह की बातचीत का स्वागत करेंगे।’’
बाद में संवाद एजेंसियों के साथ बातचीत में जर्मनी के राजदूत ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि मोदी और शोल्ज ‘‘भू-राजनीति पर चर्चा करेंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री मोदी और शोल्ज के बीच बातचीत में क्या यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष का मुद्दा आएगा, उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं, हालांकि मुझे द्विपक्षीय बैठक का एजेंडा नहीं पता, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि वे भू-राजनीति पर चर्चा करेंगे। चीजों पर भारत के दृष्टिकोण को सुनना अच्छा रहेगा। हमारे पास चीजों पर एक यूरो-केंद्रित दृष्टिकोण है, भारत इस दृष्टिकोण में बहुत कुछ जोड़ सकता है। मुझे पता है कि चांसलर और प्रधानमंत्री के बीच इन सवालों पर बहुत अच्छी बातचीत है, और मुझे यकीन है कि ये… (बैठक) के दौरान चर्चा में आएंगे।’’
प्रधानमंत्री मोदी वर्तमान में कजान में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा पर हैं। मंगलवार को, उन्होंने शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूसी शहर कजान पहुंचने के कुछ घंटे बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस-यूक्रेन विवाद का समाधान शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से करने का स्पष्ट रूप से आह्वान करते हुए बुधवार को कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत युद्ध का नहीं बल्कि संवाद और कूटनीति का समर्थन करता है।
अपने संबोधन में मोदी ने युद्ध, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी चुनौतियों पर चिंता जताई और कहा कि ब्रिक्स विश्व को सही रास्ते पर ले जाने में सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई में रूस का दौरा किया था, जो यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद उनकी पहली यात्रा थी। अगस्त में उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के निमंत्रण पर यूक्रेन की यात्रा की थी। इस यात्रा पर विदेश मंत्रालय द्वारा जारी संयुक्त वक्तव्य में भारतीय पक्ष ने अपना सैद्धांतिक रुख दोहराया था तथा वार्ता और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान पर ध्यान केंद्रित किया था।
इसके तहत भारत ने इस वर्ष जून में स्विटजरलैंड के बर्गेनस्टॉक में यूक्रेन में शांति पर आयोजित शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। यूक्रेन ने भारत की इस तरह की भागीदारी का स्वागत किया था और अगले शांति शिखर सम्मेलन में उच्च स्तरीय भारतीय भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला था। सितंबर में, प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जेलेंस्की से मुलाकात की थी। नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों पर विचारों का आदान-प्रदान किया था और यूक्रेन की स्थिति पर भी चर्चा की थी। प्रधानमंत्री ने संघर्ष के बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में रचनात्मक भूमिका निभाने की भारत की इच्छा को दोहराया था।