मॉनसून सत्र की तारीख का ऐलान हो गया है। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा। मैं सभी पार्टियों से सत्र के दौरान संसद के विधायी और दूसरे काम-काज में रचनात्मक योगदान देने की अपील करता हूं।
इस तारीख के ऐलान के साथ ही कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर निशाना साधा। कांग्रेस नेता ने प्रहलाद जोशी के उसी ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा, ‘।।।और हम आशा करते हैं कि जोशी जी इस बात से अवगत होंगे कि सरकार लोगों से जुड़े उन सभी मुद्दों पर चर्चा करेगी जिन्हें विपक्ष लगातार उठा रहा है। उन मुद्दों पर भी जिन पर प्रधानमंत्री पूरी तरह से मौन हैं।’
चुनावों से पहले हर दल हावी होना चाहेगा!
इस ट्रेलर से इतना अनुमान तो लगाया ही जा सकता है कि विपक्ष भी आक्रामक मोड में रहेगा। साल 2024 के लोकसभा चुनावों और पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले संसद का यह आखिरी मॉनसून सत्र होने जा रहा है। इस दौरान कई मु्द्दों पर सियासी माहौल गर्म रहने की संभावना है। गौर करने वाली बात यह भी है कि देश में इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में संसद का इस्तेमाल तेज और तल्ख बयानबाजी के लिए भी किया जा सकता है। भाजपा हो या कांग्रेस या कोई अन्य दल हर कोई संसद के इस सत्र में हावी होकर अपने मु्द्दों से सुर्खियां बंटोरना जरूर चाहेगा।
इन पांच राज्यों में होंगे विधानसभा चुनाव
राजस्थान
मध्य प्रदेश
छत्तीसगढ़
तेलंगाना
मिजोरम
कई मायनों में ऐतिहासिक होगा मॉनसून सत्र
संसद का मॉनसून सत्र कई मायनों में ऐतिहासिक माना जा रहा है। ऐसी खबरें हैं कि मानसून सत्र की कार्यवाही नई संसद में हो सकती है। जिसका उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। इतना ही नहीं मॉनसून सत्र में संसद की कार्यवाही में राहुल गांधी भी नहीं रहेंगे। अयोग्य होने की वजह से वो कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकेंगे लेकिन कांग्रेस के तेवर वैसे ही आक्रामक दिख सकते हैं। सत्र के हंगामेदार रहने की उम्मीद इसीलिए भी है क्योंकि विपक्षी दल अगले साल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाने के लिए एकजुट हो रहे हैं। बताते चलें कि इस मॉनसून सत्र में कई मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा की जानी है।।।
1. अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार का विरोध
मॉनसून सत्र के दौरान मोदी सरकार सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश को बदलने के लिए एक विधेयक ला सकती है। इस अध्यादेश का आम आदमी पार्टी लगातार विरोध कर रही है। इसके लिए केजरीवाल की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है। केंद्र के फैसले के खिलाफ और संसद में समर्थन के लिए केजरीवाल अब तक कई नेताओं के दरवाजे पर चक्कर लगा चुके हैं। यहां तक कि पटना की विपक्षी एकता की बैठक में भी हाजिरी लगा चुके हैं। लेकिन पटना में जब कांग्रेस समेत विपक्ष की दूसरी पार्टियों ने अपने पत्ते साफ नहीं किए तो आम आदमी पार्टी की अनबन हो गई। ऐसे में केजरीवाल के लिए तो सबसे बड़ी परीक्षा यही रहनी है कि वो इस अध्यादेश को राज्यसभा में रोक सकें। इसके लिए उन्हें कई विपक्षी दलों से जुड़े राज्यसभा सांसदों के वोटों की जरूरत होगी।
2. मणिपुर हिंसा
मणिपुर में जारी हिंसा देश में अब भी चर्चा का अहम विषय है। ऐसे में जब संसद की कार्यवाही शुरू होगी तो विपक्ष इस मुद्दे को भी उठाएगा। कांग्रेस नेता जयराम रमेश का ट्वीट भी इसी ओर इशारा करता है। उन्होंने ट्वीट कर साफ लिख दिया है कि हम उम्मीद करते हैं कि इस सत्र में उन मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसपर कि पीएम ने मौन साध रखा है। बताते चलें कि मणिपुर में 3 मई को पहली बार हिंसा हुई थी। तब से हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। 59वें दिन भी राज्य हिंसा की चपेट में हैं। जातीय संघर्ष के बाद से राज्यभर में अब तक करीब 50,000 लोग 300 से ज्यादा राहत शिविरों में रह रहे हैं। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य के सीएम के साथ और अन्य सभी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें कर चुके हैं। राज्य में बिगड़े माहौल के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी राहत शिविरों का दौरा कर चुके हैं।
3. समान नागरिक संहिता
राजनीतिक गलियारों से आमजनों के बीच तक इस वक्त चर्चा का एक अहम विषय यूनिफार्म सिविल कोड भी है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस सत्र में समान नागरिक संहिता बिल पेश कर सकती है। यूसीसी कानून संबंधी बिल संसदीय समिति को भी भेजा सकता है। लेकिन इस बिल के पास होने की भी राह इतनी आसान नहीं रहने वाली है। पटना की विपक्षी एकता में एक साथ दिखने वाले कई दल इस बिल पर अलग-अलग मत रखते हैं। ऐसे में अगर यह बिल संसद में पेश किया गया तो जोरदार हंगामा होना लगभग तय ही माना जा रहा है।
4. अदाणी मुद्दे पर जेपीसी की मांग
मॉनसून सत्र में कांग्रेस अदाणी मुद्दे पर जेपीसी की अपनी मांग को फिर दोहराएगी। कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दल भी लंबे समय से अदाणी मामले में जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) जांच की मांग कर रहे हैं। पिछले सत्र के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर जमकर हमला बोल ही रहे थे कि इसी बीच मोदी सरनेम मामले को लेकर उनके एक पुराने बयान के चलते संसद से सदस्यता चली गई थी। बताते चलें कि संसद के पिछले सत्र में अदाणी मामले को लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपनी इस मांग को लेकर संसद भवन में विरोध प्रदर्शन तक किया था। विपक्षी दलों के नेता ‘वी वांट जेपीसी (हमें जेपीसी चाहिए)’ लिखे हुए बोर्ड लेकर संसद के बाहर तक मार्च निकालते हुए दिखे थे।
5. बालासोर हादसे के चलते रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग
मॉनसून सत्र में इस बार कांग्रेस बालासोर रेल हादसे का मुद्दा भी उठाएगी। कांग्रेस समेत कुछ और विपक्षी दल इस हादसे के लिए भारतीय रेल के खराब मैनेजमेंट को जिम्मेदार मानते हैं और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार रेल सुरक्षा को गंभीरता से नहीं ले रही है। बताते चलें कि 2 जून को ओडिशा के बालासोर जिले में बहानगा बाजार स्टेशन से गुजर रही कोरोमंडल एक्सप्रेस अचानक पटरी से उतरी तो ट्रेन के कुछ डिब्बे मालगाड़ी से जा भिड़े। इसी दौरान हादसे के समय डाउन लाइन से गुजर रही यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के पीछे के दो डिब्बे भी पटरी से उतरी कोरोमंडल एक्सप्रेस की चपेट में आ गए।
6. टमाटर की बढ़ी कीमत और बेरोजगारी
देश में टमाटर के बढ़े दाम भी इन दिनों आम लोगों की जेब को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में महंगाई का मुद्दा भी इस मॉनसून सत्र में चर्चा का अहम विषय बन सकता है। कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा भी है कि महंगाई और बेरोजगारी हमारे लिए अहम मुद्दा हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि विपक्षी नेता केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर घेरने के लिए मजबूत तैयारी के साथ उतरेंगे।
7. महिला पहलवानों का मुद्दा
संसद के इस मॉनसून सत्र में चर्चा का एक विषय इस बार महिला पहलवानों से जुड़ा भी रहने वाला है। जब प्रधानमंत्री मोदी नई संसद का उद्घाटन कर रहे थे, तब पदक विजेता महिला पहलवान दिल्ली पुलिस के लाठी-डंडों का शिकार हो रही थीं। देश के तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर शुरू से ही सरकार को घेरते आए हैं और आरोप लगाते रहे हैं कि भाजपा अपने सासंद बृजभूषण शरण सिंह को बचाने के लिए पहलवानों का अपमान कर रही है। (एएमएपी)