मोदी सरकार में बढ़ी देश में बिजली की खपत, कोयले ने संभाला ऊर्जा का मोर्चा।

नई दिल्‍ली । दुनिया के हर देश में ऊर्जा की खपत दिनों दिन बढ़ती जा रहा है, भारत भी इससे अछूता नहीं, ऐसे में जरूरत के हिसाब से बिजली का निरंतर रहना जरूरी है और इस कार्य को देश में मुख्‍यतौर पर कोयले से संभाल रखा है। पिछले नौ साल के दौरान मोदी सरकार में जहां ऊर्जा की दिनोंदिन खपत बढ़ी तो इस खपत को पूरा करने के लिए कोयले ने मोर्चा संभाल लिया, देश में लगातार कोयले का उत्‍पादन बढ़ा है। कोयले का उत्पादन सितंबर, 2023 में 16 फीसदी बढ़कर 6.721 करोड़ टन तक पहुंच गया, जो पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 5.804 करोड़ टन था।

एक साल में अतिरिक्‍त 15.81 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई

इस संबंध में मासिक आंकड़ा भी कोयला मंत्रालय के द्वारा दिया गया है, जिसमें कि बताया गया सितंबर 2023 के दौरान कुल कोयला उत्पादन में भारी बढ़ोतरी अर्जित की है और 67.21 मिलियन टन कोयले का उत्‍पादन हुआ है, जो पिछले वर्ष के इसी महीने में हुए 58.04 मिलियन टन के आंकड़े से अधिक है। इस प्रकार उत्‍पादन में 15.81 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। इसे ओर गहराई से समझें तो वर्ष 2021 के कोयला संकट से सबक सीखते हुए सरकार और कोयला उत्पादक सरकारी कंपनी कोल इंडिया (सीआइएल) ने जो कदम उठाए हैं उसमें अगस्त, 2023 के मानसून से प्रभावित महीने में भी कोल इंडिया ने 5.23 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया है जो अगस्त, 2022 के मुकाबले 13.2 फीसद ज्यादा है।

सीआइएल ने दिया बिजली सेक्‍टर को मांग के अनुरूप कोयला

कोल इंडिया (सीआइएल) ने बताया है कि अगस्त माह में बिजली सेक्टर को कुल 4.7 करोड़ टन कोयला दिया गया है। यह अगस्त, 2022 के मुकाबले आठ फीसद ज्यादा है। इस साल कंपनी हर महीने बिजली सेक्टर को उनके साथ किये गये समझौते से ज्यादा किया है। कोल इंडिया ने बिजली सेक्टर को 14.4 लाख टन कोयला हर दिन आपूर्ति करने का वादा किया था जबकि अभी तक असलियत में 15.15 लाख टन कोयले की आपूर्ति की जा रही है। अप्रैल से अगस्त के दौरान ताप बिजली घरों को कुल 24.87 करोड़ टन कोयला दिया गया है। यही वो कारण भी है जो अप्रैल और मई 2023 में बिजली की मांग में रिकार्ड वृद्धि होने के बावजूद कोयले की दिक्कत महसूस नहीं की गई ।

कोयला क्षेत्र में उत्पादन, ढुलाई और स्टॉक स्तरों में उल्लेखनीय वृद्धि इसलिए हुई

कोयला मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि वह लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। कोयला मंत्रालय ने ताप बिजली संयंत्रों को आवंटित कोयला खदानों के समायोजन का काम भी कर रहा है। इसके तहत अगर किसी संयत्र को दूर का खदान मिला है तो उसे नजदीक का कोयला खदान दिया जा रहा है। इसलिए ही देश में कोयला क्षेत्र में उत्पादन, ढुलाई और स्टॉक स्तरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस असाधारण वृद्धि का श्रेय कोयला सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के अटूट समर्पण को दिया जाता है, जिसने इस असाधारण प्रगति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कोयला आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता को रेखांकित करता है, जिससे देश भर में कोयले का बाधारहित वितरण सुनिश्चित हुआ है।

सितंबर 2023 में कोयले की ढुलाई में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई जो 70.33 मिलियन टन के स्‍तर पर पहुंची, जो सितंबर 2022 में दर्ज हुई 61.10 मिलियन टन की ढुलाई से 15.12 प्रतिशत वृद्धि को दर्शाती है। इसी दौरान, कोल इंडिया लिमिटेड ने कोयले की ढुलाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और सितंबर 2023 में 55.06 मिलियन टन कोयले की ढुलाई की है, जो सितंबर 2022 में हुई 48.91 मिलियन टन की तुलना में 12.57 प्रतिशत  की वृद्धि को दर्शाती है। वित्त वर्ष 2023-24 में कोयले की संचयी ढुलाई (सितंबर 2023 तक) 462.32 मिलियन टन हुई है, जो उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाती है। वित्त वर्ष 2022-23 में इसी अवधि के दौरान 416.64 मिलियन टन कोयले की ढुलाई हुई थी। इस प्रकार कुल कोयले की संचयी ढुलाई में 10.96 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

इस आंकड़े भी समझा जा सकता है

इससे जुड़ा एक आंकड़ा यह भी है कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का उत्पादन सितंबर 2023 में बढ़कर 5.144 करोड़ टन हो गया, जो सितंबर 2022 में 4.567 करोड़ टन था, इस तरह 12.63 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई। 2023-24 में कुल कोयला उत्पादन (सितंबर 2023 तक) 42.825 करोड़ टन तक बढ़ गया, जबकि 2022-23 में इसी अवधि के दौरान 38.216 करोड़ टन था, जो 12.06 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, सितंबर 2023 में कोयला प्रेषण में भी वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान दर्ज किए गए 6.110 करोड़ टन के मुकाबले 7.033 करोड़ टन तक पहुंच गया, जिसमें 15 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, सीआईएल का डिस्पैच सितंबर 2023 में 5.506 करोड़ टन तक पहुंच गया, जबकि सितंबर 2022 में यह 4.891 करोड़ टन था, जो 12.57 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है।

दो साल पहले करना पड़ा था बिजली संकट का सामना

कोयले की कमी की वजह से आज से दो वर्ष पहले वर्ष 2021 में पूरे देश में बिजली संकट का सामना करना पड़ा था। लेकिन कोयला मंत्रालय और बिजली मंत्रालय के बीच बेहतर तालमेल की वजह से वर्ष 2022 और वर्ष 2023 में अभी तक इस तरह का कोई संकट देखने को नहीं मिला है। हर साल अगस्‍त, सितंबर, नवंबर माह में कोयला की मांग बिजली सेक्टर में अचानक बढ़ती है । बराबर पूर्ति नहीं होने पर कई राज्‍यों मं अंधेरे की स्‍थ‍िति पैदा हो जाती है।

देश में कोयले का वितरण और विपणन इस तरह का है

सीआईएल का विपणन प्रभाग अपनी सभी सहायक कंपनियों के विपणन के कार्यकलाप का समन्वय करता है। सीआईएल ने देश में चयनित स्थानों पर क्षेत्रीय विक्रय कार्यालय तथा उप-विक्रय कार्यालय स्थापित किए हैं ताकि विभिन्न क्षेत्रों में उपभोक्ता क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। वर्तमान आयात नीति के अनुसार, उपभोक्ता अपनी वाणिज्यिक सूझबूझ के आधार पर अपनी आवश्यकताओं को देखते हुए कोयले का आयात (खुला सामान्य लाईसेंस के अंतर्गत) करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस्पात क्षेत्र द्वारा कोकिंग कोयले का आयात मुख्य रूप से आवश्यकता और स्वदेशी उपलब्धता के बीच अंतर को पाटने और गुणवत्ता में सुधार के लिए किया जा रहा है। अन्य क्षेत्र जैसे पावर सेक्टर, सीमेंट आदि और कोयला व्यापारी नॉन-कोकिंग कोयले का आयात कर रहे हैं।

देश के निरंतर विकास और समृद्धि में कोयला मंत्रालय का योगदान

इस संबंध में कोयला मंत्रालय की ओर से अधिकारिक तौर पर कहा गया है कि कोयला मंत्रालय लगातार कोयला उत्पादन और ढुलाई को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे देश के निरंतर विकास और समृद्धि में योगदान देने वाले विश्वसनीय और लचीले ऊर्जा क्षेत्र के लिए निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।

उल्‍लेखनीय है कि कोयला मंत्रालय कोयला तथा लिग्नाइट के भंडारों के अन्वेषण और विकास के संबंध में नीतियों का निर्धारण करने एवं उच्च मूल्य की महत्वपूर्ण परियोजनाओं को स्वीकृत करने और सभी सम्बद्ध मामलों का निर्णय करने के लिए समग्र रूंप से उत्तरदायी है। इन महत्वपूर्ण कार्यों का निर्वहन सार्वजनिक क्षेत्र के इसके उपक्रमों अर्थात कोल इंडिया लि. (सीआईएल)और नेयवेली लिग्नाइट कारपोरेशन इंडिया लि. (एनएलसीआईएल) तथा सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लि. (एससीसीएल), जो तेलंगाना सरकार तथा भारत सरकार का एक संयुक्त उद्यम है तथा जिसमें इक्विटी पूंजी का अनुपात 51:49 है, के माध्यम से किया जाता है। (एएमएपी)