डॉ. संतोष कुमार तिवारी।
पिछले पच्चीस-तीस वर्षों में पत्रकारिता में कई परिवर्तन हुए हैं। जैसे कि पहले व्यापार समाचारों को बहुत अधिक प्राथमिकता नहीं दी जाती थी। लेकिन अब सेंसेक्स के ऊपर-नीचे होने की खबर दैनिक समाचारों का एक स्थायी अंग बन गई है। पहले अखबारों में खेल समाचार भी इतने अधिक नहीं होते थे जितने आज हैं। इसी प्रकार अध्यात्म, धर्म या सकारात्मक चिन्तन से संबन्धित कालम या पूरे पृष्ठ अब भारत के अधिकतर दैनिक अखबारों का एक अभिन्न अंग बन गए हैं।
तमाम आध्यात्मिक चैनल भी तेजी से बढ़ रहे हैं। जैसेकि आस्था, संस्कार, साधना, गाड टीवी, आदि। इनमें से कुछ की भजन-कीर्तन आदि की अलग शाखाएँ भी हैं।
ऐसा क्यों हो रहा है? शायद इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि दैनिक जीवन में नैतिक मूल्यों का तेजी से ह्रास हो रहा है। परिवार टूट रहे हैं। सब जगह पैसे के लिए मारामारी है। अखबार और समाचारों के टीवी चैनल नकारात्मक खबरों से भरे हुए हैं। अधिकतर जगह झूठ का बोलबाला है। ऐसे में लोगों को शांति की तलाश है। लोगों को घने अंधकार में उजाले की तलाश है।
पहले भी अध्यात्म और धर्म से संबन्धित सामाग्री अखबारों में होती थी, परंतु हाल के वर्षों में यह सामाग्री बढ़ी है।
घोर वामपंथी अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ में भी ‘फेथ’ अर्थात आस्था शीर्षक से एक कालम लगभग प्रतिदिन प्रकाशित होता है।
अंग्रेजी दैनिक ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में वर्ष 1995 से संपादकीय पृष्ठ पर ‘द स्पीकिंग ट्री’ शीर्षक से एक कालम रोज प्रकाशित हो रहा है। पिछले कई वर्षों से टाइम्स आफ इंडिया देश का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अंग्रेजी अखबार है।
हिन्दी दैनिक हिंदुस्तान धर्म पर पूरा एक पृष्ठ हर सप्ताह प्रकाशित करता है।
टाइम्स आफ इंडिया के सहयोगी हिन्दी अखबार नवभारत टाइम्स में भी ‘द स्पीकिंग ट्री’ शीर्षक से एक कालम नियमित प्रकाशित होता है। इसकी सामग्री टाइम्स आफ इंडिया के कालम से अलग होती है।
दैनिक जागरण में भी संपादकीय पृष्ठ पर लगभग प्रतिदिन ऊर्जा शीर्षक से एक कालम प्रकाशित होता है।
इसी तरह से अमर उजाला में एक दैनिक कालम छापता है – अन्तर्यात्रा।
दैनिक हिंदुस्तान में भी अध्यात्म और धर्म पर नियमित तौर से सामाग्री छापी जाती है।
यहाँ इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाना आवश्यक है कि हिन्दी अखबारों की पाठक संख्या अंग्रेजी अखबारों से कई गुना अधिक है। कहने का मतलब यह है कि लोगों का एक बड़ा वर्ग है जो अध्यात्म में रुचि रखता है।
तमिलनाडु में एक प्रतिष्ठित तमिल दैनिक दिनमालार में नियमित तौर से किसी न किसी मंदिर के बारे में सामग्री छपती है।
The Best of Speaking Tree (द बेस्ट आफ स्पीकिंग ट्री)
टाइम्स आफ इंडिया के कालम ‘द स्पीकिंग ट्री’ की लोकप्रियता का यह हाल है कि इसमें प्रकाशित चुनी हुई सामग्री अब तक कई खंडों में पुस्तक रूप में भी प्रकाशित हो चुकी है। इस पुस्तक का नाम है ‘द बेस्ट आफ स्पीकिंग ट्री’। इसका बारहवाँ खंड वर्ष 2019 में प्रकाशित हुआ था। इसकी लोकप्रियता का एक कारण यह भी है कि इसमें विभिन्न धर्मों और सभी प्रकार के आध्यात्मिक दृष्टिकोणों को स्थान मिलता है और इसकी भाषा बहुत सरल होती है। टाइम्स आफ इंडिया के कालम में लेखक का नाम भी छापा जाता है, जबकि द हिन्दू अखबार के कालम ‘फेथ’ में लेखक का नाम नहीं दिया जाता है।
इनके अतिरिक्त तमाम आध्यात्मिक पत्रिकाएं भी हैं। जैसे के गीता प्रेस की हिन्दी मासिक पत्रिका कल्याण, गायत्री परिवार की हिन्दी मासिक अखण्ड ज्योति, आदि। अन्य भारतीय भाषाओँ में भी सैकड़ों अन्य आध्यात्मिक पत्रिकाएं हैं। इनकी सर्कुलेशन संख्या लाखों में है।
Gita Seva मोबाइल एप
इनके अलावा Gita Seva Trust की ऑनलाइन हिन्दी मासिक पत्रिका है – गीत-गोविंद और बंगला में है – विवेक वाणी। इन्हें Gita Seva एप डाउनलोड करके पढ़ा जा सकता है। इस एप पर कल्याण के कुछ पुराने वर्षों के अंक भी पढ़े जा सकते हैं। गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित लगभग साढ़े ग्यारह हजार पुस्तकें इस पर फ्री में पढ़ी जा सकती हैं। ये पुस्तकें हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, कन्नड़, बंगला, तमिल, मराठी, उड़िया भाषाओँ में हैं। गुजराती तथा अन्य भाषाओं की पुस्तकें में भी जल्दी ही इस एप पर अपलोड होंगी। इसके अतिरिक्त Gita Seva एप पर श्री जयदयालजी गोयन्दका, श्री हनुमान प्रसादजी पोद्दार और स्वामी श्री रामसुखदासजी महाराज के लगभग लगभग बारह हजार प्रवचन उन्हीं की वाणी में फ्री में सुने जा सकते हैं। इसके आलावा भजन, कीर्तन, गीता पाठ, हनुमानचालीसा, सुन्दर काण्ड आदि भी सुने जा सकते हैं।
इसके आलावा सैकड़ों आध्यात्मिक यूट्यूब चैनल भी हैं।
सोशल मीडिया
यह तो हुई बात अख़बारों, टीवी चैनलों, पत्रिकाओं और Gita Seva एप की। इसके अतिरिक्त आजकल सोशल मीडिया भी बहुत सक्रिय है। इसमें हिन्दी, अंग्रेजी और विभिन्न भाषाओँ में सैकड़ों यूट्यूब चैनल हैं जो आध्यात्मिक सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। हिन्दी में शायद आजकल सबसे अधिक लोकप्रिय यूट्यूब चैनल वे हैं जो श्री प्रेमानन्द महाराज के प्रवचन दिखाते और सुनाते हैं।
मजे की बात यह है कि ये सब भारत में ही नहीं विदेशों में भी देखे जाते हैं। इस सब में उन लोगों की रूचि है जो इस कलियुग के अंधेरे में प्रकाश की एक किरण तलाश रहे हैं।
(लेखक सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर हैं)