विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने 14 टीवी पत्रकारों का बायकॉट करने का फैसला किया है। इन एंकरों के शो में ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल सभी दल अपने प्रवक्ता नहीं भेजेंगे। कांग्रेस नेता और मीडिया एंड पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के चेयरमैन पवन खेड़ा ने उन न्यूज एंकर्स की लिस्ट जारी की, जिनके शो में प्रवक्ताओं को नहीं भेजा जाएगा। इस सूची में सुधीर चौधरी, चित्रा त्रिपाठी समेत 14 नाम हैं। इस पर अब राजनीति और विरोध तेज हो गया है। बीजेपी ने इसकी निंदा की है, वहीं न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन ने गठबंधन से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।

कांग्रेस ने लगाया नफरत फैलाने का आरोप

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा है कि इंडिया मीडिया समिति द्वारा एक वर्चुअल बैठक में 14 न्यूज एंकर्स की लिस्ट बनाई है और यह निर्णय लिया गया है कि इंडिया दल इनके शो और इवेंट में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेगा। उनके टीवी शो और इवेंट का बहिष्कार किया जाएगा। हम उनकी नफरत भरी चीजों को आगे नहीं बढ़ाना चाहते जो समाज को खराब कर रही हैं। पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि इन टीवी शोज में उनके नेताओं के खिलाफ हेडलाइंस और मीम्स बनाए जाते हैं  बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है।

खेड़ा ने आगे कहा कि हम इस फैसले को लेते हुए दुखी हैं। हम इनमें से किसी एंकर को नफरत नहीं करते हैं। लेकिन हम अपने देश को, भारत को इससे ज्यादा प्यार करते हैं। लिस्ट में अदिति त्यागी, अमन चोपड़ा, अमीष देवगन, आनंद नरसिम्हन, अर्णब गोस्वामी, अशोक श्रीवास्तव, चित्रा त्रिपाठी, गौरव सावंत, नविका कुमार, प्राची पराशर, रुबिका लियाकत, शिव अरूर, सुधीर चौधरी और सुशांत सिन्हा हैं।

बीजेपी ने की कांग्रेस के इस फैसले की निंदा

बीजेपी ने कांग्रेस के इस फैसले की निंदा की है। सत्ताधारी पार्टी ने आरोप लगाया कि मीडिया को धमकाने का कांग्रेस का इतिहास रहा है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं जब कांग्रेस ने मीडिया पर पाबंदी लगाई है। नेहरू ने बोलने की आजादी पर अंकुश लगाया था और उनकी निंदा करने वालों को गिरफ्तार करवाया था। इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था। राजीव गांधी ने मीडिया को सरकार के अधीन करने की कोशिश की थी, लेकिन विफल रहे। सोनिया गांधी की यूपीए ने सोशल मीडिया हैंडल्स को बैन करवाया था क्योंकि कांग्रेस को उनके विचार पसंद नहीं थे।

एनबीडीए ने भी इस फैसले को माना गलत

बीजेपी के साथ-साथ समाचार प्रसारक संघ ने भी इंडिया गठबंधन के फैसले को गलत माना है। न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) ने गठबंधन से इस फैसले को वापस लेने को कहा है।  एनबीडीए ने लिखा कि इंडिया मीडिया कमेटी के फैसले ने खतरनाक मिसाल पेश की है। उसने आगे लिखा है कि ये बैन लोकतंत्र के लोकाचार के खिलाफ है और असहिष्णुता का संकेत देता है। एनबीडीए ने विपक्षी गठबंधन से इस फैसले को वापस लेने की गुहार लगाई है।

गौरतलब है कि विपक्ष टीवी मीडिया पर लंबे समय से हिंदू- मुस्लिम करने और उनके नेताओं को ज्यादा कवरेज नहीं देने का आरोप लगाता रहा है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भी राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि मेरा आरोप है कि संपादकों ने यात्रा का बहिष्कार किया। यात्रा को लोगों का समर्थन मिला, लेकिन मुख्यधारा की मीडिया ने इसका बहिष्कार किया। क्या आप इतने बड़े अभियान को नहीं दिखाएंगे? इससे पहले साल 2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी कांग्रेस ने एक महीने तक टीवी चैनलों को बायकॉट किया था और अपना प्रवक्ता नहीं भेजा था।(एएमएपी)