द्विपक्षीय वार्ता में दोनों देशों के रक्षा स्टार्टअप के बीच सहयोग पर हुई व्यापक चर्चा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष रिचर्ड मार्ल्स के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। बातचीत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, पनडुब्बी रोधी और ड्रोन रोधी युद्ध और साइबर डोमेन जैसे विशिष्ट प्रशिक्षण क्षेत्रों में सैन्य सहयोग पर जोर दिया गया। भारत और ऑस्ट्रेलिया इस बात पर सहमत हुए कि दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा साझेदारी हिंद-प्रशांत की समग्र सुरक्षा के लिए अच्छी होगी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलियाई उप प्रधान मंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने संयुक्त अभ्यास, आदान-प्रदान और संस्थागत बातचीत सहित दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। रक्षा मंत्री ने इस वर्ष अगस्त में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में बहुपक्षीय अभ्यास ‘मालाबार’ के सफल आयोजन पर मंत्री मार्ल्स को बधाई दी।

दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के बीच सूचना आदान-प्रदान और समुद्री डोमेन जागरुकता में सहयोग को और बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया। दोनों पक्ष हाइड्रोग्राफी सहयोग और हवा से हवा में ईंधन भरने के लिए सहयोग पर कार्यान्वयन व्यवस्था को समाप्त करने के लिए चर्चा के उन्नत चरण में हैं।

राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों की सेनाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, पनडुब्बी रोधी और ड्रोन रोधी युद्ध और साइबर डोमेन जैसे विशिष्ट प्रशिक्षण क्षेत्रों में भी सहयोग करना चाहिए। दोनों मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि रक्षा उद्योग और अनुसंधान में गहरा सहयोग पहले से ही मजबूत संबंधों को बढ़ावा देगा।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलिया को सुझाव दिया कि जहाज निर्माण, जहाज की मरम्मत और रखरखाव और विमान रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सहयोग के संभावित क्षेत्र हो सकते हैं। दोनों मंत्रियों ने पानी के भीतर प्रौद्योगिकियों में संयुक्त अनुसंधान के लिए सहयोग पर भी चर्चा की। इसके अलावा चुनौतियों को संयुक्त रूप से हल करने सहित दोनों देशों के रक्षा स्टार्टअप के बीच सहयोग पर चर्चा की गई। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि एक मजबूत भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा साझेदारी न केवल दोनों देशों के पारस्परिक लाभ के लिए, बल्कि हिंद-प्रशांत की समग्र सुरक्षा के लिए भी अच्छी होगी। (एएमएपी)