चीन में भू-राजनीतिक और स्वास्थ्य की चुनौतियां अब उसके लिए भारी पड़ रही हैं। एपल की सप्लायर कंपनियां भारत और वियतनाम को अपना पसंदीदा विनिर्माण केंद्र बना रही हैं। काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार, प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता स्थानीय प्रोत्साहन नीतियों का लाभ उठाते हुए वैश्विक स्तर पर अपनी क्षमता में विविधता लाने के लिए तेजी से आगे बढ़ रही हैं। यहां की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां उन देशों में अपना केंद्र बना रही हैं, जहां उन्हें प्रोत्साहन मिल रहा है।फॉक्सकॉन विनिर्माण क्षमता का 30 फीसदी हिस्सा ब्राजील और अन्य एशियाई देशों में ले जाना चाहती है। फॉक्सकॉन और ताइवानी असेंबलर पेगाट्रॉन कॉर्प जैसी कंपनियां असेंबली और पैकेजिंग के लिए चीन के बाहर अपना पांव पसार रही हैं। फॉक्सकॉन और पेगाट्रॉन के नेतृत्व में कंपनियों ने पहले ही कारखानों, उत्पादन लाइनों, उन्नत विनिर्माण प्रक्रियाओं और भारत में कर्मियों के प्रशिक्षण में निवेश किया है। वियतनाम में चीन की तुलना में सस्ते कामगार मिल रहे हैं।

भारत में निर्मित स्मार्टफोन इस साल की दूसरी तिमाही में 16 फीसदी की वृद्धि के साथ 4.4 करोड़ यूनिट से अधिक तक पहुंच गए। विश्वबैंक के आंकड़ों के मुताबिक, चीन में 2020 के बाद से लगातार कामगारों की संख्या घट रही है। कुछ शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कुशल श्रमिकों का एक समूह चीन की रीढ़ रहा है। भारत की विशाल जनसंख्या विदेशी कंपनियों के लिए एक आकर्षक बाजार बनाती है।

फॉक्सकॉन का 20 एकड़ में हॉस्टल का निर्माण

चेन्नई के पास ताइवानी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन करीब 20 एकड़ की जमीन पर मेगा हॉस्टल का निर्माण तेजी से कर रही है। इसमें कई बड़े छात्रावास ब्लॉक होंगे। मौजूदा समय में फॉक्सकॉन के श्रीपेरंबदूर में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरिडोर में 15 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं। इसमें से अधिकांश महिलाएं हैं। (एएमएपी)