नई दिल्ली । श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि वो चीन के सर्वे और रिसर्च पोत शी यैन 6 को श्रीलंका के ख़ास इकोनॉमिक ज़ोन में सर्वे न करने देने की भारत की गुज़ारिश पर विचार करेंगे। मीडियो में छपी एक ख़बर के अनुसार ये पोत श्रीलंका की नेशनल एक्वाटिक रिसोर्स रिसर्च एंड डेवेलपमेन्ट एजेंसी के साथ मिल कर साझा सैन्य शोध करने के लिए श्रीलंका आ रहा है. ये साझा अभियान इसी साल अक्तूबर और नवंबर के बीच होना है।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 11 अक्तूबर को कोलंबो में राष्ट्रपति विक्रमसिंघे से मुलाक़ात के दौरान इस मुद्दे पर बातचीत की थी. सूत्रों के हवाले से अख़बार लिखता है कि राष्ट्रपति का रवैया टालमटोल करने वाला था। इससे पहले 9 अक्तूबर को श्रीलंका के द आइलैंड नाम के एक अख़बार में विदेश मंत्री अली साबरी का एक बयान छापा था, जिसके अनुसार उनकी सरकार ने चीन के शी यैन 6 को नवंबर में कोलंबो को बंदरगाह में रुकने की इजाज़त दी है. उनका कहना था कि श्रीलंका “भारत, चीन और अमेरिका जैसी बड़ी ताक़तों के आपसी तनाव में किसी तरह से शामिल नहीं होना” चाहता।
अख़बार लिखता है कि अमेरिकी नेवी का युद्धपोत यूएसएनएस ब्रुन्सविक बुधवार को कोलंबो बंदरगाह पर उतरा है. हालांकि अब तक चीन के पोत के कोलंबो पहुंचने की सही तारीख साझा नहीं की गई है। अख़बार के अनुसार कुछ दिनों पहले शी यैन श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह से एक हज़ार किलोमीटर दूरी पर था. अब ये बंगाल की खाड़ी में चेन्नई से पूर्व की तरफ 500 किलोमीटर की दूर पर मौजूद है. जहाज़ में क़रीब दो हज़ार टन डीज़ल है जो इसे दो महीनों तक चलाए रखने के लिए काफी है.
इसी साल जुलाई के महीने में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने भारत का दौरा किया था. इस दौरान भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि ये ज़रूरी है कि दोनों मुल्क एक-दूसरे के सुरक्षा हितों को ध्यान में रख कर काम करें। कि चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट से जुड़े एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इस महीने 17 और 18 अक्तूबर को विक्रमसिंघे बीजिंग का दौरा करने वाले हैं. हो सकता है कि वो शी यैन 6 को लेकर इस सम्मेलन के बाद फ़ैसला करें।
बीते पांच सालों में हिंद महासागर में चीनी पोतों- युद्धपोतों, बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर, रिसर्च पोतों की आवाजाही बढ़ी है. जहां 2019 में ये संख्या 29 थी, 2020 में ये बढ़कर 39 और 2021 में 43 हो गई. इस साल सितंबर तक इस इलाक़े में 28 चीनी पोत आ चुके हैं।
इसराइल-हमास जंग के बाद भारत में कई जगहों पर बढ़ाई गई सुरक्षा
इसराइल और फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास के बीच जारी जंग का कुछ-कुछ असर दुनिया के दूसरे मुल्कों समेत भारत की अलग-अलग जगहों पर दिख रहा है। भारत सरकार ने इसराइल के दूतावास के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है, वहीं श्रीनगर में फ़लस्तीन समर्थकों के प्रदर्शनों की आशंका के चलते मस्जिद में जुमे की नमाज़ न पढ़ने का फ़ैसला किया गया था। अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार चीन के बीजिंग में इसराइली दूतावास के एक कर्मचारी पर चाकू हमले के बाद भारत सरकार ने दिल्ली में मौजूद इसराइली दूतावास और यहूदी संगठनों के आसपास के इलाक़ों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
2012 और 2021 में इसराइल के दूतावास और राजनयिकों पर हमले की घटनाओं के मद्देनज़र ये फ़ैसला लिया गया है। 2012 में चाणक्यपुरी के पास हुए एक धमाके में इसराइली डिफेन्स अटैचे की पत्नी और दूतावास का एक कर्मचारी घायल हो गए थे. 2021 जनवरी में इसराइली दूतावास के सामने एक धमाका हुआ था. बीटिंग रिट्रीट के दौरान हुए इस धमाके से सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई थीं। पुलिस का कहना है कि हमास के हमले के बाद इसराइल की जवाबी कार्रवाई के ख़िलाफ़ हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आशंका है जिसके मद्देनज़र दिल्ली में गुरुवार को सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
अख़बार के अनुसार गुरुवार को मिले एक इंटेलिजेंस इनपुट के बाद पुलिस ने जामा मस्जिद, सीलमपुर, जाफराबाद और जामिया नगर के कुछ इलाक़ों में पट्रोलिंग भी की पुलिस अधिकारी ने अख़बार को बताया, शुक्रवार की नमाज़ के बाद विरोध प्रदर्शनों की आशंका को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है, यहूदी रिहाइश वाले इलाक़ों और पूजा स्थलों के आसपास भी तैनाती बढ़ाई गई है।
सूत्रों के हवाले से अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया लिखता है कि महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और गोवा में अधिकारियों से इसराइली राजनयिकों की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के लिए कहा है। अमेरिका, यूके, फ्रांस और जर्मनी की सरकारों ने भी फ़लस्तीन समर्थकों के विरोध प्रदर्शनों और इसराइली राजनयिकों और नागरिकों पर संभावित हमले को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। हमास के ख़िलाफ़ इसराइल के अभियान की घोषणा के बाद हमास के पूर्व प्रमुख खालिद मशाल ने शुक्रवार को “जिहाद का वैश्विक दिन” करार दिया था।
शुक्रवार को बंद रही श्रीनगर की जामा मस्जिद
जम्मू कश्मीर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के केयरटेकर ने उप राज्यपाल पर शुक्रवार को मस्जिद बंद करने का आदेश देने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि उप राज्यपाल नमाज़ रोक रहे हैं और हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ को फिर से नज़रबंद कर रहे हैं। ये कदम इस बात की आशंका के जताए जाने के बाद उठाया गया है कि ग़ज़ा में फ़लस्तीनियों की बढ़ रही मौतों को लेकर श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं।
अख़बार द हिंदू के अनुसार जामा मस्जिद की देखरेख कर रही अंजुमन ऑक़फ़ जामा मस्जिद के प्रवक्ता ने कहा है कि “पुलिस अधिकारियों ने मस्जिद का गेट बंद कर दिया और कहा कि शुक्रवार को नमाज़ नहीं होगी. मीरवाइज़ को शुक्रवार की नमाज़ पढ़ाने की इजाज़त दी गई थी, लेकिन उन्हें भी नज़रबंद कर दिया गया है। अख़बार के अनुसार मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने एक बयान जारी कर कहा है, हम मुश्किल वक्त में फ़लस्तीन के लोगों के प्रति सहानुभूति रखते हैं. हमें उम्मीद है कि लोगों को तकलीफ़ पहुंचाने वाली ये जंग ख़त्म होगी और इसका समाधान निकलेगा।
फ़लस्तीनियों के साथ ग़लत हुआ है, उनके युवा, महिलाओं और बच्चों को उनके घरों में मारा गया है. अल-अक्सा मस्जिद में तोड़फोड़ की गई जिससे मुसलमानों को दुख पहुंचा है. जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संघर्ष का समाधान नहीं निकालता और फ़लस्तीनियों के साथ न्याय नहीं करता, ये समस्या हल नहीं होगी। अख़बार लिखता है कि शुक्रवार को घाटी की कई मस्जिदों में नमाज़ के दौरान फ़लस्तीन में मारे गए आम नागरिकों के लिए प्रार्थना की गई और इसराइल की आक्रामक कार्रवाई के लिए उसकी निंदा की गई थी। शुक्रवार की नमाज़ के बाद लद्दाख के करगिल में फ़लस्तीनियों के समर्थन में जमात उल-उलामा इस्ना अशरिया ने रैली आयोजित की थी, वहीं कश्मीर के बडगाम में जम्मू कश्मीर अंजुमन-ए-शेरे शाइन ने मार्च का आयोजन किया था।
इसराइल से सैन्य सप्लाई बाधित नहीं होगी- सरकार
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार कई सरकारी अधिकारियों ने अख़बार को बताया है कि इसराइल और हमास के बीच जारी संघर्ष का तुरंत असर इसराइल से होने वाले सैन्य साज़ो-सामान के आयात पर नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर युद्ध लंबा खिंचा तो इसमें परेशानी आ सकती है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के आंकड़ों के अनुसार 2018 से लेकर 2022 के बीच भारत के लिए सबसे बड़े सैन्य साज़ो-सामान के आयातक रूस, फ्रांस और इसराइल रहे हैं. इस दौरान इसराइल के हथियारों के निर्यात का 37 फ़ीसदी हिस्सा भारत का था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने अख़बार को बताया कि भारतीय सेना इसराइल-हमास संघर्ष पर नज़र बनाए हुए है.
वो कहते हैं, इसका असर तब पड़ेगा जब ये युद्ध रूस-यूक्रेन जंग की तरह लंबा खिंच जाए… उस सूरत में उन्हें अपने हथियारों और गोला-बारूद का इस्तेमाल संघर्ष के लिए करना होगा। सिप्री के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार 2013 से 2017 और 2018 से 2022 तक हथियारों के मामले में भारत ने रूस से सबसे अधिक हथियार खरीदे हैं. लेकिन यूक्रेन के साथ लंबे चले संघर्ष के कारण रूस पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गईं और वहां से हथियारों के आयात को लेकर मुश्किलें आई हैं। लेकिन इसराइल का मामला इससे थोड़ा अलग है क्योंकि कई भारतीय कंपनियों ने इसराइली कंपनियों के साथ साझा उपक्रम किए हैं और इस कारण इसकी आशंका कम ही है कि जंग का असर हथियारों की खरीद पर पड़ेगा।
मणिपुर: दो छात्रों की हत्या मामले में सीबीआई ने पुणे में की गिरफ्तारी
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक और ख़बर के अनुसार मणिपुर में दो मैतेई छात्रों को अगवा कर उनकी हत्या के मामले की जांच कर रही सीबीआई ने पुणे से एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने संदिग्ध की पहचान 22 साल के पोओलुन मांग के तौर पर की है. सीबीआई का कहना है कि अपराध के बाद ये पुणे आकर छिप गये थे। अख़बार के अनुसार सीबीआई ने कहा है कि गिरफ्तारी 11 अक्तूबर को हुई थी जिसके बाद मांग को गुवाहाटी की एक अदालत में पेश किया गया था. फिलहाल सीबीआई को 16 अक्तूबर तक के लिए मांग की कस्टडी मिल गई है।
20 साल के फिजाम हेमजी और 17 साल की हिजाम लुआनथो इनगाम्बी, इस साल 6 जुलाई को बिष्णुपुर के पास से लापता हो गए थे. बाद में मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट बहाल होने के बाद इन दोनों के शवों की तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई जिसके बाद इस मामले में न्याय की मांग करते हुए कई विरोध प्रदर्शन हुए।
चंद्रबाबू नायडू के परिवार ने जेल में उनकी जान को बताया ख़तरा
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के परिवार ने राजामहेंद्रवरम सेंट्रल जेल में बंद उन्हें लेकर चिंता जताई है और कहा है कि जेल में उनकी जान को ख़तरा हो सकता है। स्किल डेवेलपमेन्ट घोटाले में गिरफ्तारी के बाद अदालत ने उन्हें न्यायिक हिसारत में भेज दिया था जिसके बाद वो बीते 35 दिनों से जेल में बंद हैं। द हिंदू में छपी एक ख़बर के अनुसार नायडू की पत्नी भुवनेश्वरी, उनके बेटे लोकेश और बहू ब्राह्मनी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़र्म एक्स पर उनकी सेहत को लेकर चिंता जताई। इन्होंने अगल-अलग सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि एक महीने के भीतर चंद्रबाबू नायडू का वज़न पांच किलो घट गया है और अगर उनका वज़न और कम हुआ तो इसका असर उनकी किडनी के काम करने पर पड़ सकता है।
इन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें मेडिकल सुविधाओं की ज़रूरत है जो उन्हें जेल में नहीं दी जा रही है.
नायडू की पत्नी भुवनेश्वरी ने लिखा, अपने पति की सेहत को लेकर मैं बहुत चिंतित हूं. आंध्र प्रदेश सरकार जेल में उन्हें आवश्यक मेडिकल सुविधा दे पाने में नाकाम रही है। वहीं उनके बेटे लोकेश ने लिखा कि “उनकी जान को ख़तरा है. उन्हें जानबूझकर नुक़सान पहुंचाया जा रहा है. बिना शक उनकी सुरक्षा ख़तरे में है. जेल में वो बेहद मुश्किल परिस्थितियों में रह रहे हैं- मच्छर और गंदे पानी के साथ-साथ वो वज़न घटना, संक्रमण और एलर्जी जैसी परेशानी झेल रहे हैं। उन्हें वक्त पर ज़रूरी मेडिकल सुविधाएं नहीं दी जा रहीं. सरकार उन्हें स्टेरॉएड देने की कोशिश कर रही है. सरकारी डॉक्टर और प्रशासन क्या छिपाना चाहते हैं? अगर चंद्रबाबू नायडू को कुछ हुआ तो इसके लिए मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ज़िम्मेदार होंगे। (एएमएपी)