अभ्यास में इंजीनियर कंपनी, मेडिकल टीम की तैनाती व रोजगार पर फोकस
संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘विनबैक्स’ के चौथे संस्करण में भाग लेने के लिए 45 कर्मियों वाली भारतीय सशस्त्र बल की टुकड़ी हनोई (वियतनाम) पहुंच गई है। भारतीय दल में बंगाल इंजीनियर ग्रुप के इंजीनियर रेजिमेंट के 39 कर्मी और आर्मी मेडिकल कोर के छह कर्मी हैं। वियतनाम पीपुल्स आर्मी की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व 45 सैन्य कर्मी करेंगे।वियतनाम के हनोई में 21 दिसंबर तक होने वाले अभ्यास की शुरुआत 2018 में हुई थी और पहला संस्करण जबलपुर (मध्य प्रदेश) में आयोजित किया गया था। यह भारत और वियतनाम में वैकल्पिक रूप से आयोजित एक वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम है। अभ्यास का पिछला संस्करण अगस्त, 2022 में हरियाणा के पंचकूला शहर से सटे शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में स्थित भारतीय सेना की सैन्य छावनी चंडीमंदिर मिलिट्री स्टेशन में हुआ था।
An #IndianArmy🇮🇳 contingent has arrived at Hanoi in #Vietnam🇻🇳 for the 11 day-long “VINBAX-2023” Joint Military Exercise. pic.twitter.com/eRGu3QW8kI
— Indian Aerospace Defence News – IADN (@NewsIADN) December 11, 2023
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस अभ्यास का उद्देश्य सहयोगात्मक साझेदारी को बढ़ावा देना, अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा देना और शांति स्थापना संचालन पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत दोनों पक्षों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना है। यह अभ्यास एक कमांड पोस्ट अभ्यास सह फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास के रूप में आयोजित किया जाएगा, जिसमें एक इंजीनियर कंपनी और एक मेडिकल टीम की तैनाती और रोजगार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। अभ्यास का समापन सत्यापन अभ्यास के साथ होगा, जिसमें दोनों दल प्राप्त मानकों का प्रदर्शन करेंगे। दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र की टुकड़ियों की विश्वव्यापी तैनाती जैसे परिदृश्यों के अनुसार तकनीकी सैन्य अभियान चलाएंगे।
संयुक्त अभ्यास के दौरान दोनों सेनाओं के बीच विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा और दोनों दल संयुक्त रूप से रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं का अभ्यास करेंगे। परिचालन क्षेत्रों में सड़क, पुलिया, हेलीपैड, गोला-बारूद आश्रय और अवलोकन चौकियों के निर्माण के आधुनिक तरीकों पर विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा लड़ाकू इंजीनियरिंग और लड़ाकू चिकित्सा कार्यों से संबंधित अभ्यास के लिए रिहर्सल किया जाएगा। संयुक्त अभ्यास से दोनों टुकड़ियों के बीच समझ और अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी और मित्रवत सेनाओं के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत किया जाएगा।(एएमएपी)