विश्व की सबसे बड़ी परीक्षा आयोजित करने वाले भारतीय रेलवे ने लाखों युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया है। रेलवे में रोजगार के वास्तविक तथ्यों पर गौर करें तो पिछले एक साल में भारतीय रेलवे ने 1.5 लाख रोजगार दिए। इतना ही नहीं पिछले 9 साल में रिकॉर्ड भर्तियां भी हुईं।

उत्तर-पश्चिम रेलवे जयपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार रेलवे ने 2004-2014 की अवधि में 4,11000 भर्तियां कीं, यानी रेलवे वार्षिक 41,000 औसत भर्ती कर चुका है। वहीं 2014 से अब तक 5 लाख भर्तियां कर चुका है। इसमें औसतन 50,000 भर्तियां कोविड काल के दौरान और 62,000 भर्तियां कोविड अवधि के अतिरिक्त की गई हैं। इनमें सहायक लोको पायलट, स्टेशन मास्टर, ट्रेन मैनेजर, जूनियर इंजीनियर, तकनीशियन, वाणिज्यिक क्लर्क, ट्रैक मेंटेनर, पॉइंट्समैन, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिविल, सिग्नल और दूरसंचार आदि विभिन्न विभागों में सहायक जैसी श्रेणियों के लिए यह भर्तियां की गई हैं।

रेलवे द्वारा दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 के बीच एनटीपीसी (गैर तकनीकी लोकप्रिय श्रेणी) पद पर आयोजित परीक्षा में 1.26 करोड अभ्यर्थी शामिल हुए। 15 भाषाओं में हुई यह परीक्षा 211 शहरों के 726 केंद्रों पर 133 पारी में आयोजित की गई। वहीं इसी अवधि में आरआरसी (ग्रुप डी) के पद पर आयोजित परीक्षा में 1.11 करोड़ अभ्यर्थी शामिल हुए। 15 भाषाओं में हुई यह परीक्षा 191 शहरों के 551 केंद्रों पर 99 पारी में आयोजित की गई। इस प्रकार इस अवधि में 2.37 करोड़ अभ्यर्थी इस मेगा परीक्षा में शामिल हुए। खास बात यह रही कि भारतीय रेलवे ने भ्रष्टाचार मुक्त एवं पारदर्शी तरीके से बड़े पैमाने पर इन परीक्षाओं का सफल आयोजन किया।

ट्रैक बिछाने के कार्य से भी रोजगार सृजन किया गया। औसतन 1 किमी ट्रैक के निर्माण से सालाना लगभग 33,000 मानव दिवस रोजगार उत्पन्न होता है। भारतीय रेलवे के एक साल में 5,600 किलोमीटर ट्रैक का निर्माण हुआ। अतः प्रतिदिन सृजित कुल मानव दिवस 5,06,301 है। इसके अलावा भारतीय रेलवे ओएचई, सिग्नलिंग, पीयू और पीएसयू जैसे बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास पर काम कर रहा है, रोजगार सृजन के लिए स्टेशन पुनर्विकास कार्य शामिल हैं। इससे एक वर्ष में लगभग 10 लाख परोक्ष नौकरियां पैदा हुई हैं। रेलवे में बुनियादी ढांचे के काम के लिए औसतन अर्थव्यवस्था पर 3.5 गुना प्रभाव पड़ता है, जिससे परोक्ष रूप से विभिन्न क्षेत्रों में 35 लाख परोक्ष नौकरियां पैदा होती हैं।

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वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2.6 लाख करोड़ का पूंजी आवंटन किया गया है। सितंबर 2020 तक व्यय 1,50,444 करोड़ रुपये (बजट ग्रांट का 58%) है, जबकि 1,02,881 रुपये (सितंबर 22 तक बजट ग्रांट का 43%) यानी पिछले वर्ष की तुलना में 46% की वृद्धि हुई। इससे भारतीय रेलवे में रोजगार पैदा करने में मदद मिली है।  (एएमएपी)