जर्मनी में पढ़ाई, शोध और नौकरी करना पहले से आसान होगा। इसके लिए भारत और जर्मनी ने समग्र प्रवासन एवं आवाजाही साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसका सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को होगा जो अध्ययन के लिए जर्मनी जाते हैं। उनके लिए वीजा प्रक्रिया सरल बनाने पर भी सहमति बनी।कारोबार, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, सहित द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाने के साथ ही हिंद प्रशांत, यूक्रेन संघर्ष, पाकिस्तान से जुड़े मुद्दे, सीरिया की स्थिति पर भी बात की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और जर्मनी के बीच दस समझौतों पर हस्ताक्षर अधिक समकालीन द्विपक्षीय साझेदारी के आधार का मजबूत संकेत है। वहीं, दो दिन की भारत यात्रा पर आईं जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया कठिन परिस्थितियों का सामना कर रही है, हमारे लिए मिलकर आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है।

हर साल तीन हजार भारतीयों को वीजा

भारत-जर्मनी के बीच हुए प्रवासन एवं गतिशीलता समझौते (एमएमपीए) के तहत जर्मनी हर साल भारतीयों के लिए तीन हजार जॉब सीकर वीजा प्रदान करेगा। साथ ही जर्मन में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को अध्ययन पूरा करने के बाद 18 महीने का विस्तारित रेजिडेंट परिमट प्रदान करेगा। समझौते में कौशल और प्रतिभा के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए गतिशीलता और रोजगार के अवसरों को सुविधाजनक बनाने के लिए विशिष्ट प्रावधान हैं। बयान में कहा गया है कि यह समझौता जर्मनी के साथ भारत की तेजी से बढ़ती बहुआयामी रणनीतिक साझेदारी का प्रमाण है।

जयशंकर बोले, युद्ध का युग नहीं

बैठक के बाद बेयरबॉक के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में जयशंकर ने कहा कि हमने अफगानिस्तान की स्थिति और पाकिस्तान के बारे में चर्चा की जिसमें सीमा पार आतंकवाद से जुड़ा विषय शामिल था। हमने हिंद प्रशांत के विषय और ईरान के मुद्दे पर चर्चा की। यूक्रेन मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट है कि यह युद्ध का युग नहीं है और बातचीत के जरिये समाधान निकाला जाना चाहिए। हमने लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाने पर चर्चा के साथ ही इस दिशा में समग्र प्रवासन एवं आवाजाही साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।  (एएमएपी)