केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि भारत की ‘बायो इकोनॉमी’ पिछले आठ वर्षों में आठ गुना बढ़कर 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 80 बिलियन डॉलर हो गई है। भविष्य में जैव-प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य उपचार का सबसे बड़ा आधार बनेगी। डॉ. मनसुख मांडविया ने सोमवार को गुजरात के अहमदाबाद में 10वें वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन से पूर्व आयोजित सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करते हुए यह बात कही।डॉ. मांडविया ने कहा कि भारतीय जैव प्रौद्योगिकी उद्योग का लक्ष्य 2025 तक 150 बिलियन डॉलर और 2030 तक 300 बिलियन डॉलर तक वृद्धि का है। वर्तमान में वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में भारत की हिस्सेदारी लगभग 3 प्रतिशत की है और विश्व में शीर्ष 12 गंतव्यों में से एक है। उन्होंने कहा, “यह उद्योग कृषि, पर्यावरण, औद्योगिक उत्पादन और कई अन्य क्षेत्रों में जटिल समस्याओं के समाधान खोजने का माध्यम बन जाएगा और भविष्य में अर्थव्यवस्था जैव प्रौद्योगिकी आधारित हो जाएगी।”

डॉ. मांडविया ने कहा, “वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में, भारत जल्द ही शीर्ष दस देशों में से एक होगा।” केंद्रीय मंत्री ने कहा, “राष्ट्रीय जैव प्रौद्योगिकी विकास रणनीति 2020-25 सरकार को ज्ञान साझा करने के लिए कौशल विकास, संसाधन और नवाचार को एक सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तित करने के लिए एक मंच प्रदान करती है।”

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डॉ. मांडविया ने जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास में योगदान के लिए देश भर के स्टार्टअप, उद्योगों, उद्योग संघों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों की भागीदारी की सराहना की। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दो दशकों में जैव प्रौद्योगिकी पर समर्पित गुजरात के प्रयासों और योगदान की सराहना की और भारत को स्वास्थ्य देखभाल और नवाचार के लिए तैयार देश बनाने में इसके सुदृढ़ योगदान की सराहना की। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गुजरात 15-20 साल पहले बायोटेक मिशन स्थापित करने वाला देश का पहला राज्य था।(एएमएपी)