एक तरफ दुनियाँ के कई देशों में आर्थिक उथल-पुथल मची हुई है, खास कर इजराइल- हमास और यूक्रेन-रूस के युद्ध से तमाम देशों का आर्थिक गणित बिगड़ गया है, उनकी अर्थव्यवस्था संभालते नहीं संभल रही है तो दूसरी ओर भारत विकास दर के मामले में दुनिया में सबसे तेज दौड़ लगा रहा है। विश्व भर के भारी उथल-पुथल के बीच कंसल्टेंसी फर्म डेलॉयट इंडिया ने कहा है कि भारत की चालू वित्त वर्ष में विकास दर 6.5-6.8 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ सकती है।
इससे पहले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने भी अपनी रिपोर्ट में 2024 के लिए भारत की जीडीपी का अनुमान 6.3% निकाला है जो वैश्विक स्तर पर सबसे आगे है, और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत लगातार आगे बढ़ रहा है।विकास की वजह देश में लगातार बढ़ रहा निवेश और घरेलू मांग का बढ़ना बताया गया है। विश्व बैंक की इंडिया डेवलपमेंट अपडेट (आईडीयू) प्रतिवेदन में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन कायम है। इस कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में रफ्तार बनी रहेगी।

विकसित देशों में विकास दर 1.2 प्रतिशत रहने का अनुमान

इसी प्रकार, आर्थिक विकास एवं सहयोग संगठन (ओईसीडी) द्वारा जारी किए गए एक अन्य प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2023 में भारत की विकास दर 6.3 प्रतिशत एवं वर्ष 2024 में 6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले सबसे अधिक वृद्धि दर रहने वाली है। जबकि इसी अवधि के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर क्रमश: 3 प्रतिशत एवं 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। जी-20 समूह में शामिल विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर वर्ष 2023 में 1.5 प्रतिशत और वर्ष 2024 में 1.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

इस संबंध में आर्थिक मामलों के विश्लेषक और परंपरागत रूप से उद्योग-व्यापार व्यवसाय में कार्यरत रहने के साथ ही मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रमुख आशीष अग्रवाल कहते हैं, “यह परिणाम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आर्थिक दृष्टिकोण, नीतियों एवं महत्वपूर्ण निर्णयों का सुफल है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत एक नई शक्ति के रूप में वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर अपना स्थान पुनः प्राप्त कर रहा है। हमें गर्व है कि देश में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एक मजबूत, निर्णायक और लोक केंद्रित सरकार है।”

भारत में जीडीपी ग्रोथ की मुख्य वजह हिंदू त्यौहार

दूसरी ओर कंसल्टेंसी फर्म डेलॉयट इंडिया ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि फेस्टिवल सीजन में खर्च बढ़ने और अगले साल लोकसभा चुनावों के पहले सरकारी खर्च बढ़ने से इस ग्रोथ (जीडीपी) को जोरदार सपोर्ट मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि देश में त्यौहारी मौसम प्रारम्भ हो चुका है नवरात्रि चल रही है, दीपावली, क्रिसमस दिवस, नव वर्ष, महाशिवरात्रि, होली, आदि  जैसे बड़े त्यौहार आने वाले हैं, जिन्हें भारत के नागरिक बड़े ही उत्साह के साथ मानते हैं एवं इन त्यौहारों का भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी योगदान रहता है। साथ ही, भारत में अब धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन भी बहुत तेज गति से बढ़ रहा है, जिससे  भारत के आर्थिक विकास को बल मिल रहा है।

डेलॉयट ने जारी अपनी भारत आर्थिक परिदृश्य इस रिपोर्ट में कहा है कि भारत को साल 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनने के लिए हर वित्त वर्ष में कम से कम 6.5 प्रतिशत की स्पीड से आगे बढ़ना होगा। इसके साथ ही यह रिपोर्ट कहती है कि यदि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र के रूप में दुनिया के बीच स्वयं को प्रस्तुत करना है तब उस स्थिति में उसे हर साल आठ-नौ प्रतिशत आर्थिक विकास दर की जरूरत होगी,  यदि वह इस स्थिति को हासिल कर ले तब कोई भी भारत को विकसित राष्ट्र होने से नहीं रोक सकता है।

तीन माह पूर्व 7.8 प्रतिशत रही जीडीपी

जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो कि एक साल पहले की अवधि के 7.2 प्रतिशत से ज्यादा है। डेलॉयट इंडिया ने कहा कि पहली तिमाही की ग्रोथ को ध्यान में रखते हुए हमने इस साल के लिए अपने ग्रोथ अनुमान को संशोधित किया है। हमें उम्मीद है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5-6.8 प्रतिशत के दायरे में बढ़ना तय है। इसकी मुख्य वजह आने वाले महीनों में त्योहारी खर्च के बढ़ोतरी और उसके बाद अगले साल के मध्य में होने वाले चुनावों से पहले सरकारी खर्चों में तेजी  का आना है।

इसके साथ ही अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार का मानना है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी से निपटना निस्संदेह आसान नहीं होगा। भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए अपनी घरेलू मांग पर निर्भर रहना होगा और इसके लिए विशेष रूप से निजी खपत और निवेश खर्च पर ध्यान देना होगा।

उन्होंने कहा कि भारत इस समय 3.4 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी के साथ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके साथ ही डेलॉयट ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर अगले साल 6.5 प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान जताया है।

रिजर्व बैंक :  रहेगी देश की विकास दर 6.5 प्रतिशत

इस के अलावा देश के जाने-माने आर्थिक विश्लेषक प्रहलाद सबनानी का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त-वर्ष 2023-24 के लिए भारत की विकास दर 6.5 प्रतिशत के आसपास रहने की बात कही है। आईएमएफ के अनुसार आने वाले समय में भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
आईएमएफ के पूर्व विश्व बैंक द्वारा भी एक ताजा प्रतिवेदन में यह अनुमान भी लगभग यही है।  एक अन्य वैश्विक निवेश बैंक मार्गन स्टेनली द्वारा पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

प्रहलाद सबनानी  कहते हैं कि चीन की विस्तारवादी नीतियों के चलते अब विश्व के कई देशों का चीन पर विश्वास लगातार कम हो रहा है, जिसके कारण विकसित देशों की कई कम्पनियां चीन से अपनी विनिर्माण इकाईयों को अन्य देशों में स्थानांतरित कर रही हैं। इससे चीन में कई आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है। इस बीच भारत ने बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयां स्थापित करने हेतु आकर्षित करने उद्देश्य से उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना लागू की है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियां अपनी विनिर्माण इकाईयों को अब भारत में स्थापित कर रही हैं। विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, स्मार्ट फोन उत्पादन, फार्मा, टेक्सटाइल, सुरक्षा उपकरणों के निर्माण, सूचना प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण इकाईयों की स्थापना की जा रही है।

आर्थिक विकास के चलते देश में कम हुई बेरोजगारी की दर

इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि भारत की लगातार बढ़ती आर्थिक विकास दर के चलते अब भारत में बेरोजगारी की दर भी कम हो रही है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण वार्षिक प्रतिवेदन 2022-2023 के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों के लिए भारत में बेरोजगारी की दर जुलाई 2022 से जून 2023 के खंडकाल के दौरान छह वर्ष के निचले स्तर अर्थात 3.2 प्रतिशत पर आ गई है। एनएसएसओ के अनुसार, एक वर्ष पहले की समान अवधि में यह 7.6 प्रतिशत थी। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों के लिए वर्तमान साप्ताहिक स्थिति में श्रमबल भागीदारी भी बढ़ी है। अप्रैल-जून 2023 में साप्ताहिक स्थिति में श्रमबल भागीदारी बढ़कर 48.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो एक वर्ष पहले 47.5 प्रतिशत थी। (एएमएपी)