पहले कोरोना महामारी और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुईं चुनौतियों ने दुनियाभर के लिए महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक विकास के मोर्चे पर काफी मुश्किलें खड़ी कर दीं। आलम यह है कि अमेरिका और यूरोप जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाएं मंदी में फंसने के कगार पर हैं। इन चुनौतियों के बीच मजबूत आर्थिक और बुनियादी ढांचा प्रबंधन के दम पर भारत ऐसे हालात में भी सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में भारत की विकास दर क्रमशः 13.5 फीसदी एवं 6.3 फीसदी रही, जो दुनियाभर में सबसे तेज है।महंगाई : 10 महीने बाद आखिरकार मिली राहत
महंगाई के लिहाज से यह साल काफी चुनौतियों भरा रहा। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल और अन्य कमोडिटी की बढ़ी कीमतों ने इस साल जनवरी से अक्तूबर के दौरान आम लोगों से लेकर उद्योग तक को परेशान किया।

हालांकि, खुदरा महंगाई के मोर्चे पर 10 महीने बाद थोड़ी राहत मिली, जब नवंबर में खुदरा महंगाई घटकर 11 महीने में पहली बार 6 फीसदी के नीचे आई। वहीं, अप्रैल, 2021 से सितंबर, 2022 तक लगातार दहाई अंकों में रहने वाली थोक महंगाई भी इस दौरान घटकर 21 महीने के निचले स्तर 5.85 फीसदी पर आ गई।

स्टार्टअप :  यूनिकॉर्न में हमने चीन को पीछे छोड़ा

मंदी की आशंका और अन्य चुनौतियों के बावजूद भारत जनवरी-जुलाई, 2022 के बीच स्टार्टअप यूनिकॉर्न (एक अरब डॉलर से ज्यादा मूल्यांकन) के मामले में चीन को पीछे छोड़ने में कामयाब रहा। इस अवधि में देश में 14 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने, जबकि चीन में यह आंकड़ा सिर्फ 11 रहा। फिलहाल देश में 108 यूनिकॉर्न हैं। इस में मामले अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर है।

आज वैश्विक स्तर पर हर 10 में एक यूनिकॉर्न का उदय भारत में हो रहा है। सरकार के प्रयासों और तकनीक-नवाचार की बदौलत मेट्रो शहरों के साथ छोटे इलाकों में भी स्टार्टअप का विस्तार हुआ। विस्तार की यह दर बाकी दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा है। देश में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या 2016 में 452 थी, जो 30 नवंबर, 2022 तक 186 गुना बढ़कर 84,012 पहुंच गई।

हालांकि, यूनिकॉर्न बनने और फंडिग मिलने की रफ्तार पिछले साल के मुकाबले 2022 में कम रही। 2021 में 44 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने थे, जबकि इस साल यह संख्या सिर्फ 23 रही। मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के मुताबिक, 2022 में घरेलू स्टार्टअप को 24.7 अरब डॉलर की फंडिंग मिली, जो पिछले साल के 37.2 अरब डॉलर से 35 फीसदी कम है।

107 यूनिकॉर्न हैं देश में फिलहाल, 23 इसी साल बने

एक अनुमान के मुताबिक, 2030 तक अर्थव्यवस्था में स्टार्टअप की हिस्सेदारी बढ़कर 30 से 50 फीसदी हो जाएगी। केंद्र ने इसी साल जुलाई में अगली पीढ़ी के स्टार्टअप के लिए 750 करोड़ रुपये की समर्थन वाली डिजिटल इंडिया जेनेसिस योजना शुरू करने की घोषणा की थी। (एएमएपी)