उन्होंने कहा कि भारत ‘चीन प्लस वन’ स्ट्रेटिजी को अपनाने वाली कंपनियों के लिए एक प्रमुख गंतव्य है। बड़े घरेलू बाजार की वजह से इस मामले में दूसरे प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में भारत लाभ की स्थिति में है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी है। पर्चेजिंग पावर के मामले में यह तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2050 तक देश की जनसंख्या 1.67 अरब पर पहुंच जाएगी। अभी भारत की आबादी 1.43 अरब है।
बैंकों की बुककीपिंग बेहतर
वुल्फ ने कहा कि देश के बैंकों का बही-खाता बेहतर हो गया है। लोन ग्रोथ भी अब बेहतर आकार ले रही है। उन्होंने लिखा कि आगामी दशकों में देश की इकॉनमी और आबादी दोनों तेजी से बढ़ेगी। इससे भारत, चीन को टक्कर देगा। भारत के पश्चिमी देशों के साथ भी अच्छे संबंध हैं, जो एक अच्छी बात है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कभी प्रतिबंधित रहे नरेंद्र मोदी का वॉशिंगटन में गर्मजोशी से स्वागत किया। पेरिस में इमैनुएल मैक्रों ने भी भारतीय नेता को उतनी ही गर्मजोशी से गले लगाया। यह एक ऐसे देश के साथ नजदीकी संबंधों को दिखाता है, जो चीन के लिए शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी साबित हो सकता है।’
पश्चिमी ताकतों का अच्छा दांव
उन्होंने कहा कि क्या यह पश्चिमी ताकतों का अच्छा दांव है? हां, निश्चित रूप से भारत तेजी से बढ़ती ताकत है। उनके हितों में भी सामंजस्य है। आईएमएफ ने 2023 से 2028 तक सालाना इकॉनमिक ग्रोथ छह फीसदी से कुछ अधिक रहने का अनुमान लगाया है, जिसमें प्रति व्यक्ति जीडीपी इससे लगभग एक प्रतिशत अंक कम की रफ्तार से बढ़ेगा। वुल्फ ने कहा कि यदि ग्लोबल या घरेलू स्तर पर कोई बड़े झटके नहीं लगते हैं, तो यह ग्रोथ पिछले तीन दशक के औसत के बराबर होगी। उन्होंने कहा कि भारत एक युवा देश है, जिसके श्रमबल की गुणवत्ता में सुधार की संभावना है, बचत की दर काफी ऊंची है और अधिक ग्रोथ की व्यापक उम्मीदें हैं।
वुल्फ ने कहा कि 2050 तक भारत का प्रति व्यक्ति जीडीपी (खरीदने की शक्ति के आधार पर) उसी स्तर पर होगा, जहां आज चीन है। वुल्फ ने यह अनुमान भारत की सालाना ग्रोथ पांच प्रतिशत तथा अमेरिका की 1.4 प्रतिशत रहने के आधार पर लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत की आबादी भी अमेरिकी की तुलना में 4.4 गुना होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे में यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2050 तक अमेरिका के समान होगा।(एएमएपी)