आठ मृतकों की आंखें और इन्हीं में से तीन की त्वचा भी की गई दान।
बावड़ी में गिरने से 36 लोगों ने गंवाई जान, 20 से ज्यादा लोग घायल।

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में रामनवमी पर हुए भीषण हादसे में किसी ने बेटी खोई तो किसी ने बेटा, किसी का पति चल बसा तो किसी की पत्नी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, फिर भी इंदौरवासी मानवता का फर्ज नहीं भूले। श्री बेलेश्वर महादेव मंदिर की बावड़ी में हुए हादसे में अपनों को खोने का दुख तो जीवनभर नहीं भुलाया जा सकेगा, लेकिन दुनिया से जाने वालों की आंखें किसी जरूरतमंद की दुनिया में उजाला भर दें, इससे बड़ी बात और क्या होगी। वे तो नहीं दिखाई देंगे, लेकिन उनकी आंखों से जरूरतमंद देख पाएंगे। उनकी देह तो पंचतत्व में विलीन हो जाएगी, लेकिन त्वचा किसी की देह का आवरण बन जाएगी।दुखों का पहाड़ टूटने के बाद भी इंदौर के लोग मानवता का फर्ज नहीं भूले और उन्होंने एक मिसाल कायम करते हुए अपने मृत परिजनों के अंगदान करने का फैसला किया। दरअसल, बावड़ी से निकाले गए शव जब एमवाय अस्पताल पहुंचाए गए तो वहां भी दर्द और आंसुओं का सैलाब बह रहा था। अंगदान कराने वाली संस्था के प्रतिनिधियों ने याद दिलाया तो डबडबाईं आंखों और डूबते मन के बीच मानवता जागृत हुई। मृत लोगों के परिजनों ने अपनों की आंखें और त्वचा दान करने की सहमति दे दी। इस तरह आठ मृतकों की आंखें और इन्हीं में से तीन की त्वचा भी ली गई। अब दक्षा पटेल, इंद्र कुमार, भूमिका खानचंदानी, लक्ष्मी पटेल, मधु भम्मानी, जयंतीबाई, भारती कुकरेजा और कनक पटेल की आंखें और इंद्र कुमार, भूमिका और जयंतीबाई की त्वचा किसी जरूरतमंद के काम आएगी।

सबसे पहले भारती कुकरेजा के परिजनों ने नेत्रदान के लिए अधिकारियों और इंदौर सोसाइटी फार आर्गन डोनेशन के प्रतिनिधियों से संपर्क किया। अंगदान के लिए सक्रिय भूमिका निभाने वाले मुस्कान ग्रुप के प्रतिनिधि तुरंत एमवाय अस्पताल पहुंचे। सोसाइटी के आर्गन ट्रांसप्लांट को-आर्डिनेटर संदीपन आर्य और मुस्कान ग्रुप के जीतू बागानी ने सारा इंतजाम कराया। इसके बाद जितने भी शव आए उनके परिजनों को भी नेत्रदान और त्वचा दान के लिए प्रेरित किया। अपनों के नेत्रदान को लेकर परिजनों ने कहा कि हमारे अपने तो चले गए, लेकिन उनका कोई अंग किसी जरूरतमंद के काम आए तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। हमारे मृत परिजन तो अब लौटकर नहीं आ सकते, लेकिन उनकी आंखों से किसी की जिंदगी रोशन होगी, यही हमारे लिए अब सबसे बड़ा सुकून है।

इंदौर बावड़ी हादसे में अब तक 36 लोगों की मौत

शहर के श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर के बावड़ी हादसे में अब तक 36 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से ज्यादा लोगों को बावड़ी से निकालकर विभिन्न अस्पतालों में भर्ती किया गया है, जहां उनका उपचार जारी है। बताया जा रहा है कि अभी एक व्यक्ति और लापता है, जिसकी तलाश की जा रही है।

गुरुवार को यहां रामनवमी पर पूजा की जा रही थी। मंदिर परिसर के अंदर बावड़ी की गर्डर फर्शी से बनी छत पर 60 से ज्यादा लोग बैठे थे। तभी स्लैब भर-भराकर गिर गया और सभी लोग गहरी बावड़ी में जा गिरे। यह मंदिर करीब 60 साल पुराना है। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू शुरू किया। फिलहाल रेस्क्यू जारी है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना के जवानों ने भी मोर्चा संभाल रखा है। प्रशासन की भी कई टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हैं।

इंदौर के संभागीय कमिश्नर डॉ. पवन शर्मा ने बताया कि इस हादसे में अब तक 36 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हुई है। राहत कार्य अब भी जारी है। अब तक 18 लोगों को बचाया जा चुका है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मृतकों के परिवार को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और घायलों को 50 हजार रुपये की मदद देने का ऐलान किया है। घायलों के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी।

घटना दुर्भाग्यपूर्ण : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार सुबह इंदौर पहुंचे और एप्पल अस्पताल में भर्ती घायलों और उनके परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, ”घायलों का इलाज सरकार कराएगी। प्रदेश में ऐसे ढंके हुए कुएं-बावड़ी की तलाश कर खोले जाएंगे, ताकि फिर कोई हादसा न हो।”इसके बाद उन्होंने घटनास्थल का दौरा भी किया।

मुख्यमंत्री ने यहां मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। लगातार रेस्क्यू आपरेशन चल रहा है। पूरा प्रशासन और मैंने रातभर बैठकर इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए रखी। हमारी इस समय प्राथमिकता यह है कि अंतिम खोए व्यक्ति की तलाश पूरी की जाए और रेस्क्यू आपरेशन पूरा किया जाए। हमने घटना के मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश दिए हैं। मामले में पुलिस केस भी दर्ज किया गया है। जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।(एएमएपी)