अब जमात-ए-इस्लामी हिंद ने लगाई क्लास।

एक हरियाणा विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही कांग्रेस के बहुत से सहयोगी और मित्र उस पर हमलावर हो गए हैं। समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) आदि तो परिणामों की घोषणा के बाद से ही आँखें तरेर रहे थे। मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर कांग्रेस हमेशा से समर्पित रही और उनके वोट पाती रही। अब उस वर्ग से भी कांग्रेस को कडुवी बातें सुननी पड़ रही हैं।

बृहस्पतिवार को एक प्रमुख मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी हाशिए पर पड़े वर्गों को साथ जोड़ने में नाकाम रही और जाटों पर ध्यान केंद्रित करने की “राजनीतिक चूक की” भारी कीमत चुकानी पड़ी।

नयी दिल्ली में जारी एक बयान में संगठन ने कहा कि हरियाणा चुनाव के नतीजे “अप्रत्याशित” हैं और इनसे पता चलता है कि विपक्ष की भविष्यवाणियां और रणनीतियां लोगों की अपेक्षाओं से मेल नहीं खाती। उसने कहा कि विपक्ष उचित अभियान चलाने या समावेशी दृष्टिकोण अपनाने में विफल रहा तथा उसका नागरिक समाज के साथ सहयोग और परामर्श दिखाई नहीं दिया।

बयान में जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कहा, “मतदाताओं को एकजुट करने की पूरी कवायद जाट बनाम गैर-जाट को जोड़ने में बदल गई। कांग्रेस जाट समुदाय के अलावा उपेक्षित वर्गों को साथ लाने में विफल रही और उसे इस राजनीतिक चूक की भारी कीमत चुकानी पड़ी।”

हरियाणा में भाजपा ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की जिससे कांग्रेस की उम्मीदें धराशायी हो गईं। कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा में जाति-आधारित गोलबंदी से भाजपा को फायदा हुआ, जहां कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान पिछड़े वर्गों को लुभाने के लिए जाति सर्वेक्षण का वादा किया था।

संगठन ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया के शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होने पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि चुनाव में लोगों की भागीदारी उत्साहवर्धक रही।