डॉ. संतोष कुमार तिवारी
इस्कॉन के संस्थापक भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी (1896-1977) से सन् 1975 में एक सैन फ्रांससिस्को (San Francisco, California) अमेरिका में एक टेलीविजन इंटरव्यू किया गया था। अंग्रेजी में लिए गए उस इंटरव्यू में इस्कॉन के बारे में लगभग वे सभी प्रश्न पूछे गए थे, जो कि आम तौर से लोग जानना चाहते हैं। प्रस्तुत हैं वे प्रश्न और उनके उत्तर भावार्थ सहित:
Intreviewer: Wlecome. (भावार्थ: आपका स्वागत है।)
Prabhupadji: Thank you.
(भावार्थ: धन्यवाद।)
Interviewer: You founded the Hare Krishna movement some seven years ago in 1967. Did you not? (भावार्थ: आपने कोई सात वर्ष पहले सन् 1967 में हरे कृष्ण आन्दोलन की स्थापना की थी है। आपने ही किया था न?)
Prabhupadji: Yes.
(भावार्थ: जी हां।)
Interviewer: In a capsule, what is this movement? (भावार्थ: संक्षेप में क्या आप बताएंगे कि ये हरे कृष्ण आन्दोलन क्या है?)
Prabhupadji: The movement is to awaken God consiousesness of the human being. The human being is distinguished from the animals that the animals cannot understand what is God. And if a human being also does not understand what is God, then he is an animal.
(भावार्थ: यह आन्दोलन मनुष्यों को ईश्वर के बारे में जागरूक करने का है। मनुष्य और जानवर में यह अंतर है कि पशु यह नहीं समझ सकते हैं कि ईश्वर क्या है। और यदि मनुष्य भी यह नहीं समझता है कि ईश्वर क्या है, तो वह तो पशु ही हुआ।)
Interviewer: I see. So your movement is to bring about an understanding of God among human beings. And Hare Krishna means what? (भावार्थ: अच्छा, तो आपके आन्दोलन का उद्देश्य है मनुष्यों को ईश्वर के बारे में समझाना। लेकिन हरे कृष्ण का मतलब क्या है?)
Prabhupadji: Hare Krishna means addressing the energy of God. (भावार्थ: हरे कृष्ण का मतलब है ईश्वरीय शक्ति का आव्हान करना।)
Interviewer: Okay. You were here yesterday to attend your annual festival that was held in Golden Gate Park and we were there too. And in fact, here it is. A few thousand people came out to hear it. How many people are disciples of Krishna Consciousness movement? (भावार्थ: ठीक है। आप कल यहाँ के गोल्डन गेट पार्क में आयोजित अपने वार्षिकोत्सव में उपस्थित थे। वहां हम भी थे। वास्तव में वहां हजारों लोग आपको सुनने आए थे। तो कृष्ण भावनामृत अन्दोलन में कितने शिष्य हैं?)
Prabhupadji: Dedicated life about 10,000.
(भावार्थ: इसमें लगभग 10,000 लोगों ने अपना जीवन समर्पित किया है।)
Interviewer: About 10,000 dedicated. In the Western world, Your Grace, is there any significance at all of shaved head? (लगभग 10,000 समर्पित लोग। आपकी असीम कृपा है। कृपया यह बताइए कि इस पश्चिमी जगत् में सिर घुटवाने का क्या महत्व है? आप और आपके सभी समर्पित शिष्य सिर घुटवाए रहते हैं।)
Prabhupadji: Why are not head shaved? We keep ourselves very clean. That’s all.
(भावार्थ: सिर क्यों न घुटवाया जाए? हम लोग अपने को स्वच्छ रखते हैं। बस इतना ही।)
Interviewer: Oh it is just a cleanliness thing. Is there any significance in the colour of the robe? At least at the present moment, people think that by keeping long hair, it becomes very beautiful. (भावार्थ: ओह, तो यह सिर्फ स्वच्छता की बात है। अच्छा, ये बताइए कि आप लोग जिस रंग के वस्त्र धारण करते हैं, उसका क्या महत्त्व है? वर्तमान समय में तो लोग लम्बे बाल इसलिए रखहते हैं कि वे सुन्दर दिखें।)
Prabhupadji: I see we are against that. Just as simple as that.
(भावार्थ: हम इसके खिलाफ हैं। बस इतनी सी ही बात है।)
Interviewer: Is there any significance in the yellow robes? (भावार्थ: आप लोगों की पीले रंग के वस्त्रों का भी कोई खास कारण है?)
Prabhupadji: The yellow robe is the dress for those who are dedicated. It could very well have been a blue robe. It’s just something that has arisen.
(भावार्थ: पीले वस्त्र उन लोगों की ड्रेस है, जो इस आन्दोलन में समर्पित कृष्ण भक्त हैं। यह नीले रंग की भी ड्रेस हो सकती थी। लेकिन बस पीले रंग का एक विचार मस्तिष्क में आया, तो वह हो गया।)
Interviewer: It is sad, Your Grace, why do you feel that so many people are pulling away from the treditional religions in this country, such as Christianity, and so forth, and going for them, trying to undersand the Eastern religions? We hear a lot about Swamis and Gurus and other types of Yogi and so forth. Why do you feel people are are pulling away from tradional Christian standards here? (भावार्थ: आप कृपालु हैं। यह बहुत दुःख की बात है कि इस देश में लोग ईसाई आदि जैसे पारम्परिक धर्मों से हटते जा रहे हैं, और इस विश्व के पूर्वी भूभाग के धर्मों को समझने का प्रयास कर रहे हैं। हम स्वामी, गुरु, और तरह-तरह के योगी लोगों के बारे में अक्सर सुनते हैं। आपके विचार से यहाँ के लोग पारम्परिक ईसाई मानकों से क्यों दूर हट रहे हैं।)
Prabhupadji: We see that the Christian churches, especially those I have seen in London, are mostly closed. people are not interested or the Christian leaders, they cannot make them interested.
(भावार्थ: मैंने देखा है कि खास तौर से लन्दन में ईसाई चर्च अधिकतर बंद होते जा रहे हैं। लोग उनमें रूचि नहीं लेते हैं। या यूं कहें कि चर्च के नेतागण लोगों की रूचि बनाए रखने में असमर्थ हैं, विफल हैं।)
Interviewer: Why? Did Christianity fail the people, which is why they are turning to other things? (भावार्थ: क्यों? क्या लोगों के लिए ईसाइयत विफल हो गई है, जिसकी वजह से वे दूसरी ओर मुड़ रहे हैं।)
Prabhupadji: I think so.
(भावार्थ: जी हां, मैं ऐसा ही समझता हूँ।)
Interviewer: You say that the Hare Krishna consciousness pretty much takes the absolute truths from the Bible, the Koran, the Torah, and the Vedic. (भावार्थ: आप कहते हैं कि हरे कृष्ण भावनामृत ने परम सत्य को बाइबिल, कुरान, तोरह और वैदिक ज्ञान से लिया है।)
Prabhupadji: Everywhere religion means to understand God. I understand.
(भावार्थ: हर जगह धर्म का मतलब है ईश्वर को समझना, बोध करना, अनुभव करना। ऐसा मैं समझता हूँ।)
Interviewer: But do you feel that in getting truths from various places like the Bible and the Koran and so forth, don’t you run into conflicts at all or contradictions in those particular philosophies? (भावार्थ: लेकिन क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि परम सत्य या निरपेक्ष सत्य को बाइबिल और कुरान आदि अलग-अलग स्थानों से लेने से टकराव या विरोधाभास की स्थिति बनती है?)
Prabhupadji: No, I don’t find any conflict because the ultimate goal is God. So you have to understand God and try to love Him. So you can go through any religious process. If the goal is attained, that you have understand what is God and you try to love Him, then your life is perfect. (भावार्थ: जी नहीं, मुझे इसमें कोई विरोधाभास नहीं लगता, क्योंकि सभी का अन्तिम लक्ष्य तो ईश्वर ही है। इसलिए आपको ईश्वर को तो समझना ही होगा और उससे प्रेम करना होगा। चाहे आप किसी भी धार्मिक प्रक्रिया से ऐसा करें। यदि आप लक्ष्य तक पहुँच गए – यह समझ लिया कि ईश्वर क्या है और उससे प्रेम करना है, तो आपका जीवन सम्पूर्ण है, सर्वोत्कृष्ट है।)
Interviewer: Why do we see so many of your followers chanting all the time? (भावार्थ: आपके अनुयायी हर समय बोल-बोल कर जप करते रहते हैं। ऐसा क्यों है?)
Prabhupadji: Chanting means keep an association with God always. (भावार्थ: नाम जप करने का मतलब यह है कि हर समय ईश्वर से जुड़े रहना।)
Interviewer: So you have to audibly chant Hare Krishna? (भावार्थ: इसलिए आपको बोल-बोल कर हरे कृष्ण जपना होता है?
Prabhupadji: This is a transcedental vibration. Just like a radio message, if you keep in connect with the radio message, then you know everything that is going on outside. Similarily, transcedental sound, Hare Krishna, if you chant, then you keep a connection with God directly. (भावार्थ: यह भावातीत स्पन्दन है। जैसे कि एक रेडियो सन्देश होता है। यदि आप रेडियो से जुड़े रहें तो आपको सब पता होगा कि बाहर की दुनिया में क्या हो रहा है। इसी तरह से यदि आप हरे कृष्ण का जप करते हैं, तो भावातीत ध्वनि के माध्यम से आप सीधे ईश्वर से जुड़ते हैं।)
Interviewer: Thank you very much your Divine Grace. It’s been our privilege to talk with you and to meet you. Thank you very much. And hope that we can see you again when you return. Hare Krishna. (भावार्थ: ईश्वर-कृपालु आपका बहुत-बहुत आभार। आपसे बात करना और मिलना मेरे लिए एक विशेष सुख की बात है। आपका बहुत धन्यवाद। हम आशा करते हैं कि जब आप लौटेंगे तो आपसे फिर मुलकात हो। हरे कृष्ण।)
प्रभुपादजी से एक अन्य इंटरव्यू
Question: Why you don’t chant Ram Nama? (भावार्थ: आप राम नाम क्यों नहीं जपते हैं?)
Prabhupadji: Thousand times Lord Vishnu’s name is equal to one name of Rama. And by chanting three times the name of Lord Rama, it is equal to one name of Krishna. This is the verdict of the Shastra. When we are chanting Hare Krishna, Rama is there already three times. It is not because of we are chanting Hare Krishna, we are neglecting Ram. No. With each Krishna name there are three times Ram (in) it. That is the verdict of the Shastra. Besides that we are chanting also Hare Ram, Hare Ram and Sita Ram. The same thing. So there is no partiality, that these people are simply after Krishna. Of course, we are little more attached to Krishna. But that (doesn’t) mean we do not know who is Lord Ram Ramchandra. We know He is Krishna Himself in His different feature of pastime.
(भावार्थ: भागवान विष्णु का नाम एक हजार बार लेना और राम नाम एक बार लेना – दोनों बराबर हैं। भगवान राम के नाम का तीन बार जप करना और कृष्ण का नाम एक बार लेना – दोनों बराबर है। यह शास्त्र का मत है। जब हम हरे कृष्ण का एक बार जप करते हैं, तो उसमें भगवान राम का तीन बार जप हुआ। हम हरे कृष्ण जपते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम भगवान राम की उपेक्षा कर रहे हैं। कृष्ण के हर एक जप में राम के तीन नाम जप हैं। यह शास्त्र का मत है। इसके अतिरिक्त हम हरे राम हरे राम और सीता राम भी जपते हैं। ये लोग कृष्ण के साथ हैं तो इसमें किसी की कोई उपेक्षा या अनादर की बात नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम भगवान राम रामचंद्रजी को नहीं जानते हैं। हम जानते हैं कि वे स्वयं हरे कृष्ण हैं अपने पिछले भिन्न स्वरूप में।)
उपर्युक्त दोनों इंटरव्यू यूट्यूब के इन URL पर क्लिक करके देखे-सुने जा सकते हैं:
https://youtu.be/2rFN_K7VslQ?
https://youtube.com/shorts/
(लेखक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं।)