भू-रणनीतिक मुद्दों पर मिलकर काम करने का संकल्प दोहराया।
इजराइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने यरुशलम में सोमवार को विशेष रूप से भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) परियोजना पर जोर देते हुए भारत से भू-रणनीतिक मुद्दों पर मिलकर काम करके द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने का आग्रह किया। हर्जोग ने इस परियोजना को ‘‘दुनिया का भविष्य’’ बताया।
हर्जोग ने इजराइल में भारत के नवनियुक्त राजदूत जे. पी. सिंह से कहा, ‘‘हम भारत राष्ट्र और उसके नेतृत्व का बहुत सम्मान करते हैं। इजराइल के लोग आपके देश से प्यार करते हैं। मैं आपके देश का दौरा करने और इजराइल में आपके राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मेजबानी करने के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहा हूं।’’
भारतीय राजदूत सिंह ने राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास पर एक समारोह में अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया। इजराइल के राष्ट्रपति ने भारत के नए दूत का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘मैं आपके कार्यकाल में आपको अत्यधिक सफलता मिलने की कामना करता हूं।’’ उन्होंने भारत और इजराइल से ‘‘भू-रणनीतिक मुद्दों, रणनीतिक मुद्दों, बंधकों की घर वापस लाने, ईरान को (परमाणु हथियार प्राप्त करने से) रोकने, शांति और समावेश, ‘कनेक्टिविटी’ की दिशा में आगे बढ़ने और निश्चित रूप से दोनों देशों के लोगों के बीच अविश्वसनीय संबंधों को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।’’
दोनों देशों के बीच सहयोग के क्षेत्रों पर बात करते हुए हर्जोग ने आईएमईसी को ‘‘दुनिया का भविष्य’’ बताया, जिसमें दुनिया की पूरी भू-रणनीतिक स्थिति को बदलने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आपकी सबसे बड़ी भूमिका आईएमईसी होगी। आईएमईसी दुनिया का भविष्य है, न कि केवल क्षेत्र का। इजराइल और भारत के बीच संपर्क यूरोप, अमेरिका, सुदूर पूर्व और ऑस्ट्रेलिया में भू-रणनीतिक स्थिति को बदल देगा। यह आप पर निर्भर है और मैं आपकी मदद करने के लिए यहां हूं।’’
आईएमईसी परियोजना की घोषणा 2023 में नयी दिल्ली जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत से यूरोप तक बुनियादी ढांचे को जोड़ने, पश्चिम एशिया से एशिया को यूरोप से जोड़ने वाली परियोजना के रूप में की गई थी।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे ‘‘इतिहास की सबसे बड़ी सहयोग परियोजना’’ करार दिया था, जो ‘‘पश्चिम एशिया, इजराइल का चेहरा बदलने वाली और पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाली होगी’’।
फरवरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका के वाशिंगटन की यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे सीधे अमेरिका से जोड़ते हुए कहा था कि वह परियोजना के दायरे को बढ़ाने के लिए भारतीय नेता से सहमत हैं।
सिंह ने भारत और इजराइल के बीच रणनीतिक साझेदारी पर जोर देते हुए कहा कि संकट की घड़ी में दोनों देश एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। सिंह ने कहा, ‘‘हमने एक-दूसरे की मदद की है और हमें इस रणनीतिक साझेदारी को और आगे बढ़ाने की जरूरत है। हम कई क्षेत्रों में जैसे कृषि, जल प्रबंधन, आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) क्षेत्र के साथ-साथ रक्षा सहयोग में एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। आइ्रएमईसी एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है।’’
भारतीय दूत ने कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं, समझौते (आईएमईसी) पर तब हस्ताक्षर किए गए थे जब भारत जी20 अध्यक्षता का नेतृत्व कर रहा था और यह बड़ी भारतीय सभ्यता को यूरोप एवं अटलांटिक तटों से जोड़ेगा तथा यह परियोजना इस क्षेत्र से होकर गुजरेगी। इसी तरह, आई2यू2 एक और पहल है जो दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’’
भारत, इजराइल, अमेरिका और यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) से मिलकर बना आई2यू2 समूह अक्टूबर 2021 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की इज़राइल यात्रा के दौरान उभरा, जब चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक डिजिटल बैठक की। बैठक में घोषणा की गई कि वे मध्य पूर्व क्षेत्र के देशों के बीच भौतिक संपर्क को आगे बढ़ाने का इरादा रखते हैं। हर्जोग ने आई2यू2 के महत्व पर सहमति जताई और यूएई के साथ संबंधों को ‘‘बहुत महत्वपूर्ण’’ बताया।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम का कूटनीतिक समाधान खोजने के लिए अमेरिका ने हाल में ओमान की मध्यस्थता के तहत ईरान के साथ दो दौर की वार्ता की है। इजराइल ने कहा है कि वह ईरान की परमाणु क्षमता हासिल करने की कोशिश को विफल करने के लिए ‘‘सभी विकल्पों को सामने रखेगा’’, जिसे यहूदी देश (इजराइल) अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।