हमास जंग को रोकने संबंधी प्रस्ताव पर बहस के बाद, मतदान से ठीक पहले इस्राएल के राजदूत वहां उपस्थित सभी प्रतिनिधियों को चौंकाते हुए एक पोस्टर लहराने लगे। इस पोस्टर पर अंग्रेजी में लिखा था—’युद्धविराम के लिए संपर्क करें, याह्या सिनवार’। पोस्टर पर याह्या का फोन नंबर भी लिखा हुआ था। यानी इस्राएल के राजदूत का संदेश साफ था कि युद्धविराम के लिए पहले हमास की बर्बरता को रोकने की बात करो।

लेकिन इस बीच मतदान हुआ और इस्राइल—हमास संघर्ष को रोकने संबंध युद्धविराम का प्रस्ताव आम सभा में पारित हो गया। इसी प्रस्ताव के पारित होने से ठीक पहले इस्राइली राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से हमास से बात करने को कहा था। उसका फोन नंबर तक दर्शाया था। यूएनजीए में इस्राइली राजदूत गिलाद एर्दान का यह संकेत बहुत मायने रखता है। क्योंकि यह संघर्ष गत 7 अक्तूबर को शुरू ही हमास के इस्राएली शहरों पर बर्बर हमले और करीब 1500 मासूम नागरिकों की पाशविक हत्या की प्रतिक्रिया से हुआ था।

गाजा में फौरन संघर्षविराम की मांग प्रस्‍ताव पास

कल उस वक्त जब बैठक के बीच यह पोस्टर लहराया गया तो संयुक्त राष्ट्र महासभा में अचानक सन्नाटा छा गया। गाजा में फौरन संघर्षविराम की मांग करता वह प्रस्ताव आखिरकार पारित हो गया। प्रस्ताव के पक्ष में 153 मत पड़े। प्रस्ताव का इस्राएल की तरफ से मुखर और सांकेतिक विरोध किया गया था। इस्राइली राजदूत एर्दान ने खुलकर कहा भी कि युद्धविराम स्थायी रूप से संभव तब होगा जब फिलस्तीन का गुट अपने हथियार हमारे हवाले करके आत्मसमर्पण कर देगा। एर्दान का आगे कहना था कि याह्या सिनवार के साथ पूरे हमास द्वारा हथियार डालने और आतंकवादी गतिविधियों के जारी रहने और सभी बंधकों को रिहा न किए जाने तक कोई स्थायी संघर्षविराम नहीं हो सकता।

आतंकवादी गुट को कोई भी देश समर्थन कैसे दें

इस्राएली राजदूत ने हैरानी भरे स्वर में कहा कि कोई भी देश किसी ऐसे प्रस्ताव को समर्थन कैसे दे सकता है जो आतंकवादी गुट हमास की भर्त्सना न करता हो। यहां बता दें कि पारित किए गए प्रस्ताव में संघर्षविराम की मांग तो है लेकिन इस्राएल पर बेवजह आतंकी हमला बोलने वाले हमास जैसे खूंखार गुट का नाम तक नहीं लिखा है। उन्होंने कहा कि संघर्षविराम चाहने वाले गाजा में हमास के दफ्तर में फोन मिलाकर याह्या सिनवार से कहें कि हथियार डालो।
इस प्रस्ताव के पारित होने के बावजूद दक्षिणी गाजा से मिले समाचार बताते हैं कि इस्राइली हमलों में कोई कमी नहीं आई है। इस्राएल की सेना हमास को जड़ से खत्म करने के अपने घोषित उद्देश्य पर आगे बढ़ रही है। महासभा में इस्राएल के राजदूत ने कहा भी कि इस्राइल को मिटा देने के मंसूबे पालने वालों के विरुद्ध इस्राएल अपनी कार्रवाई को बीच में नहीं छोड़ेगा।

इन देशों ने किया प्रस्‍ताव का समर्थन

संघर्षविराम के पारित प्रस्ताव पर भारत सहित 153 देशों का समर्थन मिला। 10 देशों ने इसके विरोध में मत डाला और 23 देश ऐसे रहे जिन्होंने मत नहीं डाला। इस प्रस्ताव के विरोध में मत डालने वाले देशों में हैं अमेरिका, इस्राइल, चेकिया, ऑस्ट्रिया, नाउरू, लाइबेरिया, ग्वाटेमाला, माइक्रोनेशिया, पैराग्वे और पापुआ न्यू गिनी।
यहां ध्यान रहे कि संघर्षविराम के पारित प्रस्ताव पर भारत सहित 153 देशों का समर्थन मिला। 10 देशों ने इसके विरोध में मत डाला और 23 देश ऐसे रहे जिन्होंने मत नहीं डाला। इस प्रस्ताव के विरोध में मत डालने वाले देशों में हैं अमेरिका, इस्राइल, चेकिया, ऑस्ट्रिया, नाउरू, लाइबेरिया, ग्वाटेमाला, माइक्रोनेशिया, पैराग्वे और पापुआ न्यू गिनी।

हमेशा के लिए सफाया करने की कसमें खाई

हमास किस तरह महिलाओं और बच्चों को ढाल बनाकर गाजा से अपनी इस्राएल विरोधी आतंकवादी गतिविधियां चलाता आ रहा है, इस बात को कपूरी होशियारी के साथ छुपाया जाता रहा है। इधर इस्राइल ने आतंकी हमास के सरगना सिनवार को कब्जे में लेकर हमास का हमेशा के लिए सफाया करने की कसमें खाई हुई हैं।
दरअसल पहले दिन से ही गाजा का दुष्प्रचार तंत्र, जिसमें अल जजीरा सहित कुछ बड़े मीडिया संस्थान भी शामिल हैं, ‘महिलाओं और बच्चों’ की बदहाली के समाचार फैलाने में जुटे हुए हैं। उनकी हर खबर और जानकारी ‘महिलाओं और बच्चों’ से शुरू होकर उन्हीं पर खत्म होती है। इस्राएली सेना द्वारा हमास की सुरंगों और आतंकवादी कार्रवाइयों की सचित्र जानकारी को वे फर्जी बताने में देर नहीं लगाते।

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बाइडेन ने ‘गाजा में नागरिकों पर अंधाधुंध गोलीबारी’ को लेकर चिंता जताई

इस संघर्ष की वजह से हमास की गिरफ्त में आज भी बंधक बने इस्राएलियों के घरवालों ने तेल अवीव में सरकार पर बंधकों को जल्द छुड़ाने का दबाव बनाया हुआ है। उधर अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने ‘गाजा में नागरिकों पर अंधाधुंध गोलीबारी’ को लेकर चिंता जताई है।
इस सबके बावजूद, विशेषज्ञों को नहीं लगता कि इस्राएली सेना की गाजा में कार्रवाई ढीली पड़ जाएगी। उनको चिंता है कि कहीं ऐसे में अमेरिका और इस्राएल के संबंधों में खटास न आ जाए। क्योंकि अमेरिका के सेकुलर तत्व भी अपनी सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं कि इस्राएल से संघर्षविराम कराएं। अभी तक के आंकड़ों के अनुसार, हमास पर जारी इस्राएल की जबरदस्त कार्रवाई में 18 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, 50 हजार से ज्यादा घायल हुए हैं।(एएमएपी)