देश भर के जैन समाज के लिए आज का दिन बेहद दुखद है। समाज के वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले संत आचार्य विद्यासागर महाराज ने 77 साल की उम्र में समाधि लेते हुए 3 दिन के उपवास के बाद अपना देह त्याग दिया है। शनिवार की देर रात करीब 2:35 बजे उन्होंने अपना देह त्याग दिया। देह त्यागने से पहले उन्होंने अखंड मौन धारण कर लिया था। उनके देह त्यागने का पता चलते ही जैन समाज के लोग जुटने लगे है।

पूर्ण जागृतावस्था में आचार्य पद का त्याग करते हुए जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने रात संल्लेखना पूर्वक समाधि ले ली। बताया गया कि वे लगभग 6 माह से डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी में रुके हुए थे। आचार्य विद्यासागर महाराज पिछले कुछ दिन से अस्वस्थ थे। पिछले तीन दिन से आचार्यश्री ने अन्न-जल पूरी तरह त्याग दिया था। जिसके बाद बीती रात 2:35 बजे उन्होंने अंतिम सांसें लीं।

आचार्यश्री अंतिम सांस तक चैतन्य अवस्था में रहे और मंत्रोच्चार करते हुए उन्होंने देह का त्याग किया। समाधि के समय उनके पास पूज्य मुनिश्री योगसागर जी महाराज, श्री समतासागर जी महाराज, श्री प्रसादसागर जी महाराज संघ सहित उपस्थित थे। देशभर के जैन समाज और आचार्यश्री के भक्तों ने उनके सम्मान में आज एक दिन अपने प्रतिष्ठान बंद रखने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी डोंगरगढ़ पहुंचकर जैन मुनि विद्यासागर महाराज के दर्शन किए थे।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- “आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी। तब आचार्य जी से मुझे भरपूर स्नेह और आशीष प्राप्त हुआ था। समाज के लिए उनका अप्रतिम योगदान देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।”

मुख्‍यमंत्री विष्णुदेव साय ने जाहिर किया दुख

प्रदेश मुखिया सीएम विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया के माध्यम से संत विद्यासागर महाराज की समाधि के समाचार पर दुख जताया है। सीएम ने कहा कि विश्व वंदनीय, राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर महामुनिराज जी के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ में सल्लेखना पूर्वक समाधि का समाचार प्राप्त हुआ। छत्तीसगढ़ सहित देश-दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को देश व समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा। आध्यात्मिक चेतना के पुंज आचार्य श्री विद्यासागर जी के श्रीचरणों में कोटि-कोटि नमन।

इंदौर को मिला मुनिश्री का सानिध्‍य का सौभाग्य

इंदौर ऐसा एकमात्र शहर है जहां आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने अपने साधु जीवन का सबसे अधिक वक्त बिताया है। 56 साल के साधु जीवन में उन्होंने 10 महीने से ज्यादा का समय इंदौर में बिताया। दरअसल, साल 2020 में जब आचार्य विद्यासागर इंदौर आए तो कोरोना की वजह से लाकडाउन लगा। इस वजह से इंदौर की जनता को गुरु का यह प्रेम मिल पाया। जैन समाजजन कहते हैं कि गुरु के प्रति अपार स्नेह की वजह से इंदौर को यह सौभाग्य मिला। इस दौरान इंदौर के भक्तों का सौभाग्य ऐसा जागा कि गुरु का सानिध्य 300 दिन से ज्यादा का मिल गया।

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कर्नाटक के बेलगाम में हुआ था जन्म

संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगाम जिले में हुआ। उनका बचपन का नाम विद्याधर था। इसके बाद उन्होंने दीक्षा राजस्थान में ली। आचार्य विद्यासागर जी संस्कृत और प्राकृत के विद्वान रहे। इसके अलावा हिंदी और कन्नड़ सहित कई भाषाओं पर मजबूत पकड़ रही। उन्होंने प्राकृत, संस्कृत, हिंदी आदि भाषाओं में लिखा। उनके ऊपर जीवनी भी लिखी गई, जिसे उनके ही शिष्य मुनि क्षेमसागर ने लिखा। जीवनी का अंग्रेजी में अनुवाद इन द क्वेस्ट ऑफ सेल्फ के रूप में किया गया।

इन्‍हें मिला आचार्य का पद

संत ज्ञान सागर की तरह ही आचार्य विद्यासागर जी ने भी समाधि से 3 दिन पहले अपना आचार्य पद का त्याग करते हुए अगला आचार्य नियुक्त कर दिया था। उन्होंने आचार्य पद उनके पहले मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि समयसागर को सौंप दिया है। विद्यासागर ने उन्हें योग्य समझा और 6 फरवरी के दिन ही आचार्य पद देने की घोषणा कर दी थी। (एएमएपी)