कर्नल, मेजर और डीएसपी शहीद।

जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग जिले के कोकरनाग में हुई मुठभेड़ में तीन भारतीय शहीद हो गए। खबर है कि आतंकवादियों ने इसे ‘बदले’ की कार्रवाई करार दिया। उनका कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में एक आतंकी की हत्या के चलते यह कदम उठाया गया है। हालांकि, इसे लेकर सेना या जम्मू-कश्मीर पुलिस की तरफ से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।

मुठभेड़ में शहीद होने वालों में सेना के दो अधिकारी कर्नल मनप्रीत सिंह और मेजर आशीष धोनैक का नाम शामिल है। इनके साथ डीएसपी हुमायूं भट्ट भी शहीद हुए हैं। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि LeT यानी लश्कर-ए-तैयबा के द रेजिस्टेंस फ्रंट यह बदले की कार्रवाई है। 8 सितंबर को LeT कमांडर रियाज अहमद की PoK के रावलकोट क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों का कहना है कि उसकी मौत के बाद से ही उसके समर्थक नाराजगी जाहिर कर रहे थे और कोकरनाग में जवाबी हमला किया। अहमद के पिता की भी 2005 में हत्या कर दी गई थी।

दो आतंकवादियों को घेरने में जुटे जवान

बुधवार को शुरू हुई कार्रवाई गुरुवार सुबह भी जारी रही। पुलिस ने गुरुवार को जानकारी दी है कि LeT के दो आतंकवादियों को घेर लिया है। इनमें से एक की पहचान उजैर खान के रूप में हुई है। कश्मीर जोन पुलिस ने बताया कि कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनैक और डीएसपी हुमायूं भट, जिन्होंने इस अभियान के दौरान सामने से नेतृत्व करते हुए अपने प्राणों की आहूति दी, उनकी अटल वीरता को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए हमारी सेनाएं उजैर खान सहित लश्कर के दो आतंकवादियों को घेरने में दृढ़ संकल्प के साथ जुटी हुई हैं।

2003 में बने थे लेफ्टिनेंट कर्नल

मनप्रीत वर्ष 2003 में सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे। वर्ष 2005 में उन्हें कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया था। इसके बाद उन्होंने देश के दुश्मनों को मार गिराने के लिए चलाए गए भारतीय सेना के कई अभियानों का नेतृत्व किया। छोटे भाई संदीप सिंह ने बताया कि कर्नल मनप्रीत सिंह वर्ष 2019 से 2021 तक सेना में सेकंड इन कमांड के तौर पर तैनात थे। बाद उन्होंने कमांडिंग अफसर के रूप में काम किया।

पहले ही प्रयास में लेफ्टिनेंट बन गए थे मेजर आशीष धौंचक

पानीपत निवासी शहीद मेजर आशीष धौंचक पहले ही प्रयास में एसएसबी की परीक्षा पास कर लेफ्टिनेंट बन गए थे। उनकी शिक्षा गांव और शहर के स्कूल में हुई। मेजर आशीष बचपन से ही साहसी थे। उनके चाचा रमेश ने बताया कि आशीष बचपन में गांव में ही रहता था। वह पढ़ाई के साथ खेलों में भी आगे था। वह अपनी उम्र और बड़े बुजुर्गों के साथ घुलमिल कर रहता था। बचपन में ही देश सेवा की बड़ी-बड़ी बातें करता था। 23 अक्टूबर 1987 को जन्म लेने वाले आशीष 1 जून 2013 को भारतीय सेवा में लेफ्टिनेंट बने ।

शहीद डीएसपी हुमायूं भट्ट की एक साल पहले हुई थी शादी

शहीद डीएसपी हुमायूं भट्ट के परिवार में उनकी पत्नी और 29 दिन का बेटा है। डीएसपी हुमायूं भट का परिवार दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल का रहने वाले हैं। काफी समय से यहीं रह रहे हैं। करीब एक साल पहले शहीद डीएसपी हुमायूं भट की शादी हुई थी और उनका 29 दिन का एक बच्चा भी है। वो 2019 बैच के अधिकारी थे। हुमायूं के पिता गुलाम हसन भट्ट पूर्व डीआईजी हैं। (एएमएपी)