वित्त मंत्री बोलीं, बहुपक्षीय संस्थानों का वैश्विक स्तर पर कम हुआ है प्रभाव
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि वैश्विक स्तर संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विकास बैंक, डब्ल्यूएचओ और डब्ल्यूटीओ जैसी संस्थाओं का प्रभाव कम हुआ है। सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना देश में वित्तीय समावेशन लाने का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरी है।
वित्त मंत्री ने शुक्रवार को नई दिल्ली में कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023 को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) देश में वित्तीय समावेशन लाने का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरी है। इनमें दो लाख करोड़ रुपये से अधिक का कोष मौजूद है। वित्त मंत्री ने कहा कि 50 से अधिक सरकारी योजनाओं के तहत लाभ (राशि) सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किए जा रहे हैं। इसमें पीएमजेडीवाई ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
It’s time you have a bank account of your own. http://t.co/xR7zagnA5O http://t.co/zS6DNxJ6Pm
— PM Jan Dhan Yojana (@JanDhanYojana) August 27, 2014
कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023 के उद्घाटन के बाद सीतारमण ने बहुपक्षीय संस्थानों पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि मौजूदा वैश्विक स्थिति में संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी), डब्ल्यूएचओ और डब्ल्यूटीओ जैसी संस्थाओं का प्रभाव कम हो गया है। उन्होंने कहा कि हमें यह कहने में संकोच करने की जरूरत नहीं है कि ये बहुपक्षीय संस्थाएं, जिस काम के लिए बनाया गया था, अब वहां से कम प्रभावी हैं।
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— PM Jan Dhan Yojana (@JanDhanYojana) August 27, 2014
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कर्ज की स्थिति को लेकर सचेत है और उसने यह सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय प्रबंधन किया है, ताकि आने वाली पीढ़ी पर बोझ न पड़े। निर्मला सीतारमण ने कहा कि निवेशकों और व्यवसायों को फैसले करते समय वैश्विक आतंकवाद के प्रभाव को ध्यान में रखना होगा। (एएमएपी)