पहले भी हो चुकी है भाजपा के अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के काली चरण मुंडा के बीच टक्कर
अब तक मात्र दो बार जीत मिली है कांग्रेस प्रत्याशी को
दूसरी सफलता 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा को मिली, जब उन्होंने भाजपा के कड़िया मुंडा को शिकस्त दी थी। उसके बाद कांग्रेस को कभी जीत नसीब नहीं हुई। खूंटी सीट से कड़िया मुंडा ने 12 बार लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाया और आठ बार उन्हें सफलता मिली। भाजपा के कड़िया मुंडा ने सबसे पहले 1971 में भारतीय जनसंघ के टिकट पर 1971 में संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन वे झारखंड पार्टी के एनई होरो से मात खा गये थे। 1977 में कड़िया मुंडा ने जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 1980 में वे झारखंड पार्टी के एनई होरो से हार गये।
1984 की इंदिरा लहर में कांग्रेस के साइमन तिग्गा यहां से लोकसभा पहुंचे थे। बाद में 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में कड़िया मुंडा ने लगातार जीत हासिल की। 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने कड़िया मुंडा के विजय रथ को रोक दिया। पुनः कड़िया मुंडा ने 2009 और 2014 में खूंटी संसदीय क्षेत्र में भाजपा का चरपम लहराया। इसके पहले खूंटी को झारखंड पार्टी की परंपरागत सीट माना जाता था, पर एनई होरो के निधन और झारखंड पार्टी का जनाधार कम होने के बाद इस सीट पर भाजपा नें अपना वर्चस्व कायम कर लिया। 2019 में भाजपा ने कड़िया मुंडा के स्थान पर अर्जुन मुंडा को मैदान में उतारा और उन्होंने भी कड़िया मुंडा के राजनीतिक किले को बरकरार रखा। इस सीट से झारखंड पार्टी के जयपाल सिंह मुंडा ने 1962 और 1967 में जीत हासिल की थी। 1971 के आम चुनाव में इसी पार्टी के एनई होरो संसद पहुंचे थे।
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अब तक दो राजनीतिक दलों में हुए सीधा चुनावी मुकाबले को बहुकोणीय बनाने के लिए एक ओर जहां भारत आदिवासी पार्टी ने पत्थलगड़ी को लेकर चर्चित बबीता बेलोशा कच्छप भी मैदान में उतारा है। वहीं झारखंड पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एनोस एक्का भी लोकसभा चुनाव में खूंटी सीट से प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर चुके हैं। बबीता बेलोशा कच्छप ने सात वर्ष पहले गैर संवैधानिक पत्थलगड़ी आंदोलन में काफी सूर्खियां बटोरी थी। जानकारी के अनुसार भारत आदिवासी पार्टी के राजस्थान में तीन और मध्यप्रदेश में एक विधायक है।(एएमएपी)