नव वर्ष आने में भले ही अभी एक सप्ताह का समय रह गया हो लेकिन खूंटी जिले के पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ने लगी है। इस बात में कोई शंका नहीं है कि झारखंड ही नहीं, ओडिशा, पश्चिम बंगाल सहित अन्य जगहों के प्राकृतिक सौंदर्य के प्रेमियों के लिए नव वर्ष या वर्षांत मनाने के लिए सबसे पहली पसंद खूंटी जिला है। प्रकृति ने खूंटी जिले को पर्यटन स्थल के रूप में कई अनुपम उपहार दिये हैं।इनमें पंचघाघ जलप्रपात, पेरवां घाघ, रानी फॉल, बिरसा मृग विहार, तजना डैम, पेलौल डैम, लटरजंग डैम, रिमिक्स फॉल, पाड़ीपुड़िंग जल प्रपात, सप्तधारा, लतरातू डैम, कर्रा का पाट पहाड़, बाघलता, प्रेमघाघ, चंचला घाघ, दशम फॉल, बाबा आम्रेश्वर धाम, नकटी देवी मंदिर, सोनमेर माता मंदिर, विरसा मृग विहार सहित कई अन्य प्राकृतिक और धार्मिक स्थल हमेशा से ही लोगों की पसंद रहे हैं। अब एक नजर इन पर्यटन स्थलों पर डालते हैं

पेरवांघाघ जल प्रपात

पेरवांघाघ जल प्रपात तोरपा प्रखंड मुख्यालय से 16 किलोमीटर दक्षिण दिशा में स्थित है। हरे-भरे जंगल, ऊंची-ऊची पहाड़िया और काफी ऊंचाई से गिरने वाला झारना को नजदीक से देखने की अनुभूति ही अलग है। जिला प्रशासन द्वारा पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन अभी तक पूरी सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है। इस जल प्रपात तक पहुंचने में सबसे बड़ी कठिनाई जर्जर सड़क की है।

रानी फॉल

जिला मुख्यालय से महज बारह किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राकृतिक स्थल रानी फॉल अड़की प्रखण्ड के अन्तर्गत आता है। यहां पहुंचने के लिए खूंटी-तमाड़ मुख्य सड़क को छोड़कर ग्रामीण सड़क पर चलना पड़ता है। थोड़ा ही आगे चलने पर नदी पर निर्मित आकर्षक पुल मिलता है। खूंटी-तमाड़ मुख्य मार्ग पर आड़ीडीह गांव से करीब दो किलो मीटर की दूरी पर स्थित है रानी फॉल। तजना नदी इस क्षेत्र से गुजरने के क्रम में कई छोटे-बड़े झरने को जन्म देती है। कल-कल कलरव करते झरनों के निर्मल जल, दूर तक फैले रेत के मैदान व मनोरम वादियां पर्यटकों को वनभोज का भरपूर आनंद देती हैं। दिसंबर माह के आते ही यहां सैलानियों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

पंचघाघ जल प्रपात

जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर की दूरी पर खूंटी-चाईबासा मुख्य पथ पर मुरहू प्रखंड का पंचघाघ मे सैलानियों की भीड़ सालों भर उमड़ती रहती है। यहां पांच छोटी नदियों के संगम पर बने कई झरने लोगों को आकर्षित करती हैं। हाल के दिनों में प्रशासन द्वारा इसका विकास भी किया गया है।

लतरातू जलाशय

कर्रा प्रखंड में बना लतरातू जलाशय इन दिनों पर्यटकों से सालों भर गुलजार रहता है। हाल के दिनों में प्रशासन ने इसका काफी विकास गया है। डैम में बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। रांची से लोधमा होकर अथवा बेड़ो से साई मंदिर सेरसा होते हुए लतरातू जलाश पहुंचा जा सकता है।

लटरलंग डैम

जिला मुख्यालय खूंटी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर खूंटी-नामकुम रोड पर पूरब की ओर तीन किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों के बीच बना लटरजंग डैम एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। मछली मारने के शौकीन और नौका विहार करने वालों के लिए लटरजंग डैम काफी मनमोहक हैं रांची रिंग रोड या दसमाइल चौक से भी आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है।

रिमिक्स फॉल

रिंग रोड से खूंटी वाली सड़क पर दशम फॉल के पास दिरिगड़ गांव के पास ऊंची-ऊंची पहाड़ियों के बीच रिमिक्स फॉल की सुंदरता देखते ही बनी है। यहां पर सालों भर सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है। खूंटी जिले में पड़ने वाले दशम फॉल से रिमिक्स फॉल की दूरी मात्र सात-आठ किलोमीटर है।

पाड़ी पुड़िंग जल प्रपात

तोरपा के प्रसिद्ध पेरवांघाघ जल प्रपात से दक्षिण पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित पाड़ीपुडिंग जल प्रपात स्थित है। खराब रास्ते के कारण यहां पहुंचना थोड़ा कठिन है। प्रशासन द्वारा इसका अभी तक विकास नहीं किया गया है, जबकि यहां भी हर समय सैलानियों की भीड़ उमड़ती रहती है।

उलूंग जल प्रपात

रनिया प्रखंड मुख्यालय से लगभग पांच किमी की दूरी पर स्थित उलूंग जल प्रपात का प्राकृतिक सौंदर्य बरबस ही सैलानियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। जिला प्रशासन ने हाल के दिनों में इस पर्यटन स्थल के विकास की योजना बनाई गई है। पद पर्यटन स्थलों के अलावा कर्रा प्रखंड के प्रेम घाघ, पाट पहाड़, मुरहू प्रखंड का नकटी देवी मंदिर, भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू, बाबा आम्रेश्वर धाम सहित खूंटी जिले में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो हमेशा सैलानियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं।

बाबा आम्रेश्वर धाम

जिला मुख्यालय से दस किमी की दूरी पर खूंटी-सिमडेगा मुख्य मार्ग पर स्थित बाबा आम्रेश्वर धाम को छोटानागपुर का मिनी बाबाधाम के रूप में जाना जाता है। हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु यहां बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने आते हैं। सावन के महीने में तो श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। यहां एक महीने का श्रावणी मेला लगता है, जहां हजारों लोग जुटते हैं।

माता सोनमेर मंदिर

कर्रा प्रखंड के खूंटी-कर्रा रोड पर स्थित माता सोनमेर मंदिर खूंटी ही नहीं अन्य जिलों और प्रदेशों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। यहां माता अष्टभुजी देवी की पिंडी है। कुछ वर्ष पहले एक सिरफिरे ने कुल्हाड़ी से वार कर पिंडी को खंडित कर दिया था। कहा जाता है कि कुछ दिनों के बाद ही माता की पिंडी अपने पहले स्वरूप में आ गई। संभवतः राज्य का यह पहला मंदिर है, जहां माता दुर्गा की पूजा-अर्चना मुंडारी मंत्रों के साथ होती है। हर दिन सैकड़ों भक्त मनौती मांगने के लिए यहां पहुंचते हैं।  (एएमएपी)