बाद में पारिवारिक मित्र हितेष करकर ने डॉ. निलेश काछडिया से सम्पर्क होने के बाद शिशु के अंगदान के विषय में जानकारी प्राप्त की। इसके बाद जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन के पी एम गोंडलिया और विपुल तलाविया ने शिशु के पिता हर्षभाई और माता चेतनाबेन, चाचा व्रजभाई, दादा अतुलभाई, दादी रश्मीबेन सभी से विमर्श कर शिशु के अंगदान के महत्व को समझाया। बाद में सभी ने शिशु के अंगदान कर निर्णय किया।
पीपी सवाणी हॉस्पिटल में शिशु का आईकेडीआरसी की मदद से दो किडनी, दोनों आंखें, तिल्ली और लीवर का दान किया गया। शिशु के सभी अंग छोटे बालकों में ट्रांसप्लांट किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दोनों किडनी और तिल्ली आईकेडीआरसी अहमदाबाद, लीवर दिल्ली आईएलडीएस हॉस्पिटल और आंख लोकदृष्टि चक्षुबैंक, सूरत को दिया गया है।
जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन के विपुल तलाविया ने बताया कि संघाणी परिवार और डॉक्टरों की मदद से बहुत बड़ा काम हुआ है। सरकारी विभाग भी इस काम में लगातार मददगार साबित हुआ है। अंगदान के क्षेत्र में लगातार इमानदारीपूर्वक प्रयास के कारण ही महज साढ़े 4 दिन के शिशु के अंगों का दान करवाना संभव हो पाया है। (एएमएपी)