आपका अखबार ब्यूरो
लखनऊ का एक पाश इलाका है गोमती नगर। इसी इलाके के विराज खण्ड-1 में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने पत्रकारों को आवासीय भू-खण्ड इस शर्त पर दिये थे कि वे 30 वर्षो तक नहीं बेचेंगे। भूखंड की निर्धारित कीमत में पत्रकारों को कुछ विशेष रियायत भी दी गई थी। लेकिन कई लोगों ने अपने भू-खण्ड मुनाफे के साथ गैर पत्रकारों को बेच दिये। अब ऐसे ही लोग पत्रकारों को परेशान करने पर आमादा हैं।
ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया है। एक वरिष्ठ पत्रकार की पत्नी सुमनलता द्वारा पुलिस को दिये गये एक शिकायत प्रार्थना पत्र में कहा गया है- “मैं लखनऊ के विराज खंड एक में भवन संख्या 1/208 की निवासिनी हूं। 20 अप्रैल 2023 की शाम मेरे पड़ोस के भवन 1/237 के रहने वाले व्यक्ति ने बिना किसी जानकारी के मेरे आवास की निर्माणाधीन सामग्री को अचानक उठाना शुरू कर दिया। इस बीच जब मैंने इसका कारण पूछा तो उस व्यक्ति ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए  हमलावर होकर पत्थर उठाकर मुझ पर फेंका। मैने अचानक हुए इस हमले से  खुद को बचा लिया। इसी से कुपित होकर उस व्यक्ति ने महिला होने के नाते मुझे अकेला पाकर मेरे परिवार को गालियां देना शुरू कर दीं। शिकायती पत्र में महिला ने आरोप लगाया कि-  “जब मैंने उसे शरीफ आदमी की तरह पेश आने की बात कहते हुए प्रतिरोध किया तो धीरज पाल ने मुझे ना केवल मुझे जान से मारने की धमकी दी बल्कि यह कहते हुए भी धमकाया कि मैं तुम्हारे परिवार का विराज खंड में रहना हराम कर दूंगा। यही नहीं उस हमलावर व्यक्ति ने आसपास के लोगों के सामने ही मुझे मारने की नीयत से हाथ में पत्थर लेकर चढ़ाई की। मैं किसी तरह बचकर घर में आ गई और पुलिस को 112 नंबर पर अपनी सुरक्षा के लिए सूचना दी।
श्रीमती सुमन ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि धीरज पाल ने लखनऊ विकास प्राधिकरण से स्वीकृत मानचित्र में हेराफेरी करके मेरे मुख्य द्वार के बाहर एक और दरवाजा खोल लिया। इसकी वजह से मेरे घर के बाहर की नाली बड़े-बड़े स्लैब डालकर अवरुद्ध कर दी गई है। जब मैंने इस पर आपत्ति जताई तो उसने कहा कि तुम लोग अब जीने लायक नहीं हो। मैं अपने घर की छत से इतने बम तुम्हारे घर में डालूंगा कि  जीवन ही नहीं बचेगा। महिला का कहना है कि इस वारदात के बाद से मैं और मेरा परिवार आतंक के साए में है। उस व्यक्ति ने धमकाते हुए कहा कि मैं लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष से लेकर नगर निगम के आयुक्त को अपनी जेब में रखता हूं कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यहां यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि एक आरटीआई के जवाब में प्राधिकरण यह स्वीकार करता है कि धीरज पाल ने 1/237 भवन के मानचित्र में विचलन कर के मुख्य द्वार होते हुए भी 1/208 की ओर अनाधिकृत दरवाजा खोल रखा है जो मान्य नहीं है।
श्रीमती सुमन लता ने पुलिस को दिये अपने पत्र में यह भी लिखा है कि  “उस व्यक्ति के अवैध निर्माण को लेकर मैं स्वयं अपने पति के साथ लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉक्टर इंद्रमणि त्रिपाठी को लिखित में कई बार प्रार्थना पत्र देकर अपना पक्ष रख चुकी हूं। इसके बावजूद लगातार रात को मेरे और मेरे परिवार को अपशब्द बोले जाते हैं और कहा जाता है कि अतीक की तरह तुम्हारा हाल भी कर दूंगा।”
श्री सुमन लता ने पुलिस से फरियाद की है कि इस वारदात के बाद से मैं और मेरा परिवार बुरी तरह से भयभीत है और आशंकित है कि कभी भी हम पर कोई हम जानलेवा हमला हो सकता है। लखनऊ नगर में वरिष्ठ नागरिकों के लिए इससे  शर्मनाक और क्या हो सकता है कि एक वरिष्ठ व वृद्ध महिला को कोई व्यक्ति सरेआम धमकियां देकर इलाके की शांति भंग करने की कोशिश करे।