आंत के कैंसर की चपेट में आ रहे युवा।
दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के ऑन्कोलॉजी की विभाग प्रमुख डॉ. प्रज्ञा शुक्ला बताती हैं कि कम उम्र में यह कैंसर होने पर इलाज प्रभावी नहीं होता। मरीज की ठीक होने की दर बेहद खराब रहती है। इस कैंसर के कारण मरीजों की मृत्यु दर भी अधिक होती है।
गाइडलाइन में बदलाव करें सरकार
डॉ. शुक्ला ने कहा कि कहा कि स्क्रीनिंग का उद्देश्य कैंसर की जल्द पहचान कर इलाज करना होता है, लेकिन देश में ज्यादा उम्र में बड़ी आंत के कैंसर की स्क्रीनिंग होती है। यदि कम उम्र के लोगों में बड़ी आंत के कैंसर का मिल भी जाता है तो इलाज का असर काफी खराब मिला है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह स्क्रीनिंग की गाइडलाइन में बदलाव करें। हमारा मानना है कि सरकार को 40 की उम्र से ही इसकी स्क्रीनिंग शुरू करनी चाहिए।
युवाओं के कैंसर में होता है म्यूटेशन
डॉ. शुक्ला ने कहा कि युवाओं में आंत का कैंसर काफी आक्रामक होता है। इन में पाए जाने वाले कैंसर में म्यूटेशन होते हैं। ऐसे में हमें देखना होगा कि युवाओं में होने वाले म्यूटेशन कौन सा है। इन पर बड़े स्तर पर अध्ययन करने की जरूरत है। जो म्यूटेशन पाया जाएगा, उस का लक्षित उपचार करना होगा। इसके पकड़ के लिए मॉल्युकुलर टेस्टिंग ज्यादा करनी होगी।
किन में होता है ज्यादा
- तले-भुने भोजन का सेवन
- पिज्जा, बर्गर, जंक फूड
- तंबाकू-शराब का सेवन
बचाव के लिए क्या खाएं
- फाइबरयुक्त आहार
- मोटा अनाज
- चोकर युक्त आटा
- आसानी से पचने होने वाले खाद्य उत्पाद
क्या हैं लक्षण
- वजन कम होना
- बिना कुछ किए छह माह में 10 फीसदी से ज्यादा वजन कम होना
- कमजोरी आना
- शरीर में खून का रिसाव होना
- शरीर के किसी हिस्से में सूजन होना
- पेट में कब्ज बनना या अकारण दस्त लगना
- शौच के समय में परिवर्तन
- भूख न लगना (एएमएपी)