भारत की रीढ़ है संस्कृतिः श्री मनोज जोशी
आपका अखबार ब्यूरो।
15 जनवरी, सोमवार को पूरे देश ने भगवान सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश को ‘मकर संक्रान्ति’, ‘उत्तरायण’, ‘बिहू’, ‘पोंगल’ ‘खिचड़ी’ आदि विविध पर्वों के रूप में पूरे उत्साह और आस्था के साथ मनाया। इसी शुभ दिवस पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन प्रभाग (एनएमसीएम) ने अपना स्थापना दिवस “उत्तरायणी” धूमधाम से मनाया। यह सुखद संयोग है कि एनएमसीएम का स्थापना दिवस मकर संक्रांति के राष्ट्रव्यापी उत्सव के दिन ही होता है और इसी शुभ अवसर से प्रेरित भी है।
‘उत्तरायणी’ उत्सव की थीम थी- ‘चले अपने गांव की ओर’। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता (बहुचर्चित टीवी धारावाहिक ‘चक्रवर्तिन सम्राट अशोक’ के चाणक्य) व संस्कृतिकर्मी ‘पद्मश्री’ मनोज जोशी, जबकि संरक्षक थे आईजीएनसीए के अध्यक्ष श्री रामबहादुर राय और सलाहकार थे आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी। इस अवसर पर फिल्म व टीवी लेखक और फिल्मकार श्री आकाशादित्य लामा विशिष्ट अतिथि थे। आईजीएनसीए की एनएमसीएम की मिशन निदेशक डॉ. ऋचा नेगी ने इस अवसर पर मिशन का विवरण प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मनोज जोशी ने गांवों के सांस्कृतिक मानचित्रण का अभूतपूर्व कार्य करने के लिए आईजीएनसीए को बधाई दी। उन्होंने कहा, “गांव भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। संस्कृति रीढ़ है हमारे देश की। भारत एक ऐसा देश है, जिसकी रीढ़ बहुत मजबूत है। विदेशी आक्रांताओं ने बहुत कोशिश की इसे नष्ट करने की, लेकिन नष्ट नहीं कर सके।” उन्होंने कहा कि भले ही हम शहर में रहें, लेकिन हमारी आत्मा का मूल गांव है। श्री जोशी ने अपने भाषण का समापन करते हुए कहा, “भारत के हर जिले में कलाकुंभ का आयोजन होगा, भारत का सांस्कृतिक मानचित्रण बहुत आसान हो जाएगा। आईजीएनसीए को इस शानदार कार्य के लिए अभिनंदन।”
इस अवसर पर डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन के माध्यम से हम देश के साढ़े छह लाख गांवों के विशिष्ट सांस्कृतिक पहलुओं का संग्रह और दस्तावेजीकरण कर रहे हैं। डॉ. जोशी ने बताया कि शहरीकरण ने देश के गांवों के आकार को 20 प्रतिशत तक कम कर दिया है। उन्होंने इन गांवों में रहने वाली सांस्कृतिक परम्पराओं और लोकाचार के संरक्षण के महत्त्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि साढ़े छह लाख गांवों में से साढ़े चार लाख गांवों का मानचित्रण पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ का उल्लेख करते हुए, भारतीय भाषाओं की लोरी को संग्रहित करने, दस्तावेजीकरण करने और पुनर्जीवित करने के साथ-साथ देश भर में घरों को सजाने का आह्वान दोहराया। उन्होंने कहा लगातार बदलते विश्व की चुनौतियों के बीच गांवों के सांस्कृतिक लोकाचार को सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने की बहुत आवश्यकता है।