सौभाग्शाली हैं हम कि प्रभु श्रीराम लला के दर्शन हुए : संतोष जयसवाल

देश के सबसे पुराने शहरों में शुमार मंदिरों की नगरी अयोध्या धाम के भव्य मंदिर में विराजमान भगवान श्रीराम लला के दर्शन के बाद तोरपा के रामभक्तों की टोली लौट आयी। अयोध्या की इस टोली में चार कार सेवक अजीत जयसवाल, संतोष जयसवाल, सतीश शर्मा और रामशीष महतो भी शामिल थे। जैसे ही भगवान श्रीराम के दर्शन हुए सभी कार सेवकों के अलावा अन्य भक्तों की आंखों छलछला गई।कार सेवक अजीत जयसवाल, सतीश शर्मा और सतोष जयसवाल छह दिसंबर 1992 को हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस की पूरी कहानी बताते हुए रो पड़ते हैं और बताते हैं कैसे उन्होंने तार का बाड़ फांदकर मंदिर को तोड़ा था और ईंट लेकर लौटने के दौरान किस तरह पुलिस ने उनकी पिटाई की थी। आज भगवान रामलला को भव्य मंदिर में विराजमान देखकर भला किसे प्रसन्नता नहीं होगी। अयोध्या गये सभी लोगों ने राम भक्तों की सुविधा के लिए राज्य और केंद्र सरकार के साथ ही विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। सतीश चौधरी और अनिल मिश्रा ने कहा कि इस स्वर्णीम पल को देखने के इंतजार में हमारी कितनी पीढ़ियां गुजर गई। हम काफी सौभग्यशाली हैं कि अपने गर्भ गृह में भगवान रामलला को विराजमान होते हुए देखने का अवसर मिला।

राम मंदिर के अलावा दर्जनों दर्शनीय स्थल हैं अयोध्या में

नव निर्मित श्रीराम मंदिर के अलावा अयाध्या में दर्जनों दर्शनीय स्थल हैं। राम मंदिर के बाद सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थल है हनुमानगढ़ी मंदिर। मंदिर पुजारियों ने बताया कि लंका विजय के बाद भगवान श्रीराम जब अयोध्या लौट आये, तब उनके भक्त हनुमान वहां रहने लगे। इसके कारण इसका नाम हनुमानगढ़ी पड़ा। यहीं से हनुमान जी राम दरबार की रक्षा करते हैं। मुख्य मंदिर में माता अंजनी की गोद में हनुमान जी विराजमान हैं। बताया गया कि दसवीं सदी में हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण कराया गया था।

दशरथ महत

हनुमानगढ़ी से लगभग दो-ढाई सौ मीटर की दूरी पर राजा दशरथ का महल। महल में श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता की प्रतिमाएं स्थापित हैं। दशरथ महल में हर समय राम चरितमानस का संगीतमय पाठ होता रहता है।

कनक भवन

दशरथ महल से लगभग दौ सौ मीटर की दूरी पर स्थित है एक और दर्शनीय स्थल है कनक महल। पौराणिक कथाओं के अनुसार कनक महल को रानी कैकेयी ने माता सीता को दिया था।

तुलसी उद्यान

रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की स्मृति में 1960 में इस उद्यान का निर्माण कराया गया था। इसके पहले इस जगह का नाम विक्टोरिया पार्क था और यहा महारानी विक्टोरिया की मूर्ति लगी थी। अब वहां गोस्वामी तुलसीदास की प्रतिमा विराजमान है।

राम की पौड़ी

राम मंदिर और हनुमानगढ़ी के बाद श्रद्धालओं का पसंदीदा जगह है राम की पौड़ी। राम की पौढ़ी सरयू नदी पर घाटों की एक श्रृंखला है। हर समय सरयू नदी के इस घाट पर लोगों की भीड़ लगी रहती है।

लता मंगेशकर चौक

मशहूर गायिक लता मंगेशकर की स्मृति में अयोध्या नगरी के राम पथ और धर्म पथ के चौराहे पर लता मंगेशकर चौक का निर्माण सरकार द्वारा कराया गया है। चौक पर 40 फीट लबी और 12 मीटर ऊंची और 14 टन वजन वाली वीणा स्थापित की गई है। आज के समय में यह पसंदीदा सेल्फी पॉइंट बन गया है। इसके अलावा अयोघ्या में बिरला मंदिर धर्मशाला, गुप्तार घाट, बहू बेगम मकबरा, गुलाब बाड़ी सहित कई दर्शनीय स्थल हैं। (एएमएपी)