महिला को नग्न घुमाए जाने के मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने नाराजगी प्रकट की। अदालत ने पूछा, क्या हम 17वीं सदी में वापस जा रहे हैं? इंसानियत को शर्मसार करने वाली यह घटना बेलगावी जिले की है। एक गांव में महिला को नग्न घुमाए जाने की घटना को ‘असाधारण’ बताते हुए हाईकोर्ट ने कहा, कानून इस मामले में कोई नरमी नहीं दिखाएगा।
#BiggestStoryTonight | Woman assaulted and paraded naked in Belagavi. The Karnataka High Court steps in, raps Siddaramaiah government over the incident. Congress divided over the BJP fact-finding committee.
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— Republic (@republic) December 15, 2023
गौरतलब है कि बीते 12 दिसंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने समाचार के आधार पर घटना का स्वत: संज्ञान लिया है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, एक खतरनाक मिसाल कायम की जा रही है कि कानून का कोई डर नहीं है। कोर्ट ने कहा, ऐसी घटनाओं से खतरनाक संदेश भेजा जा रहा है कि कानून का कोई डर बाकी नहीं है। अगर प्रगतिशील राज्य कर्नाटक में आजादी के बाद ऐसी घटनाएं होती हैं तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अपराधियों के मन में कानून का कोई डर नहीं होना बहुत परेशान करने वाला है।
हाईकोर्ट की खंडपीठ घटना से कितनी नाराज है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बेलगावी के पुलिस आयुक्त को पेश होने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने अपने फरमान में कहा, कमिश्नर के साथ सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) 18 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद रहें। हाईकोर्ट ने पुलिस से पूरे मामले पर अतिरिक्त रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
घटना पर गंभीर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट ने कहा, ‘यह हम सभी को शर्मसार करने वाला है। हम आजादी के 75 साल बाद ऐसी घटनाओं की उम्मीद नहीं कर सकते। यह हमारे लिए एक सवाल है। क्या हम 21वीं सदी में जी रहे हैं या 17वीं सदी में वापस जा रहे हैं।’
अदालत ने सवाल किया, ‘क्या हम समानता या प्रगतिशीलता देखने जा रहे हैं या हम 17वीं और 18वीं शताब्दी में वापस जा रहे हैं?’ कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा, बेलगावी की घटना पर अदालत की पीड़ा हमें ऐसे कठोर शब्दों का इस्तेमाल करने पर मजबूर कर रही है। यह घटना आने वाली पीढ़ी को भी प्रभावित करेगी।
खंडपीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा, क्या हम एक ऐसा समाज बना रहे हैं जहां बेहतर भविष्य का सपना देखा जा सकेगा? या हम ऐसा समाज तैयार कर रहे हैं जहां ऐसी घुटन होने लगे कि जीने से बेहतर मौत को गले लगाना है। जहां एक महिला के लिए कोई सम्मान नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा, मामले के आरोपी भी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति (SC/ST) समुदाय से आते हैं। ऐसे में इस मामले में एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून के प्रावधानों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा, इस मामले में महिला आयोग अभी तक कहां है? खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी में कहा, बहुत भारी मन से हाईकोर्ट को कहना पड़ रहा है कि महिला आयोग ऐसी बातों पर भी सक्रियता दिखाता है, जो किसी टीवी डिबेट में कही जाती हैं, लेकिन ऐसे गंभीर मामलों में आयोग कहां होता है? क्या उन्होंने संज्ञान लिया है? किसी महिला अधिकार या मानवाधिकार आयोग ने कुछ किया है? पीड़ित परिवार से कोई व्यक्तिगत मुलाकात तक नहीं। अदालत अवाक है।
मामले को असाधारण बताते हुए कोर्ट ने पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दियाष अदालत ने कहा, ‘अपने इंस्पेक्टर से कहें, जब तक आरोपी गिरफ्तार न हो जाए, तब तक दोपहर और रात का खाना न खाएं। सरकार को पीड़ित महिला और परिवार के लिए मुआवजा या आर्थिक मदद के लिए योजना बनाने को भी कहा।
Didn’t happen even in era of Mahabharat: Karnataka high court on strippinghttps://t.co/AZAoUhRo7D
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बता दें कि पूरा मामला 11 दिसंबर का है। खबरों के अनुसार, महिला का बेटा एक लड़की के साथ भाग गया। इसके बाद महिला के साथ स्थानीय लोगों ने शर्मनाक सलूक किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लड़की की सगाई किसी और से होने वाली थी। घटना से आक्रोशित लोगों ने कथित तौर पर महिला के साथ पहले मारपीट की। इसके बाद उसे नग्न कर गांव में घुमाया गया। इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना में लोगों ने पीड़िता को बिजली के खंभे से बांध दिया।
कर्नाटक के बेलगावी में आदिवासी महिला को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। तमाम राजनीतिक दलों ने राज्य सरकार की निंदा की। सिद्धारमैया सरकार के खिलाफ भाजपा ने जमकर हमला बोला है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जब से कांग्रेस सत्ता में आई है, तब से महिलाओं के साथ होने वाले जघन्य अपराध बढ़ गए हैं। इस तरह की घटनाएं अब राज्य में रोज होने लगी है। मामले पर सरकार की निष्क्रियता कांग्रेस के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को दर्शाता है। वहीं कर्नाटक हाईकोर्ट ने बेलगावी में महिला को नग्न कराकर परेड कराए जाने की घटना पर नाराजगी जताई है। अदालत ने सवाल किया कि क्या समाज 17वीं सदी में वापस जा रहा है। अदालत ने महिला आयोग की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं।
कर्नाटक सरकार विफल रही- रेखा शर्मा
कर्नाटक के बेलगावी घटना पर एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि एनसीडब्ल्यू की एक टीम पीड़िता से मिलने जा रही है। साथ ही पूरे मामले की जांच करेंगी। साथ ही उन्होंने कहा कि पीड़िता से पूछा जाएगा कि क्या उन्हें कोई मदद चाहिए। कर्नाटक सरकार और पुलिस ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। कर्नाटक सरकार ने ऐसे मामलों पर त्वरित प्रक्रियाएं देनी चाहिए थी। मुझे लगता है हाईकोर्ट की फटकार के बाजद उन्होंने तुरंत कदम उठाया है।
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राज्य के गृह मंत्री ने किया दौरा, कहा- यह अमानवीय घटना
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिन लोगों ने यह अपराध किया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। राज्य गृह मंत्री जी परमेश्व ने इलाके का दौरा करने वाले गृह मंत्री जी परमेश्वर ने घटना को अमानवीय करार दिया।