सिनेमा में आये बदलाव पर होगा मंथन।
उन्होंने कहा कि काशी देश की सांस्कृतिक राजधानी कही जाती है। हम काशी की ज्ञान परम्परा, गरिमा एवं वैश्विकता के अनुरूप ही 18 सत्र का आयोजन कर रहे हैं। काशी दुनिया को संस्कार, संस्कृति और परम्परा के माध्यम से शब्दों की उत्सवधर्मिता एवं मानवता का संदेश देती रही है। प्रयास है कि इस शब्दोत्सव में शास्त्र और लोक, पुरातन और अद्यतन, परम्परा और विज्ञान, योग और अध्यात्म का समन्वय दिखे।
भारत में आयोजित जी-20 सम्मेलन की बैठक के मद्देनजर कूटनीतिक संवाद पर गहन मंथन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उ.प्र. क्षेत्र के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोजकांत ने बताया कि भारत में आयोजित जी-20 सम्मेलन के बैठक के मद्देनजर हम वसुधैव कुटुंबकम को ध्यान में रख कूटनीतिक संवाद,सांस्कृतिक विशिष्टता का विषय बना रहे हैं। हमारा प्रयास है कि यह सारा संवाद सकारात्मक एवं रचनात्मक दृष्टि उत्पन्न करने वाला बने। जिससे भारतीय समाज और विश्व को हमारे मूल तत्वज्ञान के साथ ही व्यावहारिक ज्ञान का बोध कराया जा सके। इसीलिए इस आयोजन में भारत बोध को भी समाहित किया गया है। हम काशी की विभूतियों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे कि ज्ञान संस्कृति और परम्परा के संगम का यह अनूठा आयोजन बन सके। उन्होंने बताया कि काशी शब्दोत्सव में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास नई दिल्ली की ओर से तीन दिन तक पुस्तक मेला भी आयोजित होगा।
सिनेमा में आये बदलाव पर भी चर्चा
काशी शब्दोत्सव में सिनेमा में आये बदलाव पर भी खास चर्चा होगी। प्रख्यात गीतकार व वक्ता मनोज मुंतशिर,चाणक्य धारावाहिक के विख्यात प्रस्तोता डा.चंद्रप्रकाश द्विवेदी सहित इस विधा से जुड़े विशिष्ट जनों की मौजूदगी में सिनेमा जगत में आई विकृतियों पर चर्चा होगी। (एएमएपी)